आरके पचौरी के साथ काम कर रहीं शोधार्थी ने साल 2015 में उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. युवती ने दावा किया था कि पचौरी ने संबंध बनाने के बदले में उन्हें टेरी का कार्यकारी उपाध्यक्ष बनाने को कहा था.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को टेरी के पूर्व प्रमुख आरके पचौरी पर उनके एक पूर्व सहयोगी द्वारा दर्ज कराए गए कथित यौन उत्पीड़न मामले में उत्पीड़न के आरोप तय किए.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट चारु गुप्ता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (किसी महिला की गरिमा भंग करना), 354 ए (शारीरिक संपर्क बनाना, अवांछनीय और यौन रंजित टिप्पणियां करना) तथा 509 (छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें या भाव-भंगिमा प्रदर्शित करना) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पचौरी पर मुक़दमा चलाने का आदेश दिया है.
अदालत कक्ष में मौजूद पचौरी के ख़ुद को निर्दोष बताने एवं मुक़दमा चलाने के लिए कहने के बाद ये आरोप तय किए गए.
आरोपी की ओर से पेश हुए वकील आशीष दीक्षित ने मामले की तेज़ सुनवाई की मांग की जिसके बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए चार जनवरी, 2019 की तारीख तय की.
इस दिन शिकायतकर्ता युवती अदालत में अपना बयान दर्ज कराएंगी और आरके पचौरी के वकीलों के सवालों का जवाब भी देंगी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत में आरोप तय होने के बाद पचौरी ने ख़ुद के निर्दोष होने की दलील दी. उन्होंने कहा, ‘मैं 78 साल से ऊपर का हो चुका हूं. पिछले चार साल से मेरे ख़िलाफ़ अनैतिक ट्रायल हो रहा है. कृपया मामले की तेज़ सुनवाई की जाए. मीडिया पहले से ही ट्रायल कर रही है. यहां तक कि आज भी पीड़िता ने मीडिया में एक बयान जारी किया है.’
टेरी में शोध कर रही एक युवती की शिकायत के बाद पचौरी के ख़िलाफ़ 13 फरवरी 2015 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उन्हें इस मामले में 21 मार्च 2015 को अग्रिम जमानत मिल गई. युवती आरके पचौरी के गाइडेंस में अपना शोध कर रही थीं.
फरवरी 2016 में युवती ने सार्वजनिक तौर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. युवती का दावा था कि 10 साल पहले पचौरी ने उनसे संबंध बनाने की मांग की थी और कहा था कि अगर ऐसा होता है तो उन्हें (युवती) टेरी का कार्यकारी उपाध्यक्ष बना दिया जाएगा.
ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी- द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट) के पूर्व प्रमुख ने इससे पहले अतिरिक्त ज़िला न्यायाधीश से एक अंतरिम आदेश प्राप्त कर लिया था जिसमें मामले की कवरेज को प्रकाशित एवं प्रसारित करना मीडिया के लिए अनिवार्य कर दिया गया. इसके साथ एक शीर्षक लगाने को कहा गया था कि किसी भी अदालत में आरोप साबित नहीं हुए हैं और वे सही नहीं भी हो सकते हैं.
इस आदेश में यह भी कहा गया, ‘जब भी इस तरह की सूचना किसी भी पत्रिका या ख़बर में प्रकाशित हो तो पृष्ठ के बीच में मोटे अक्षरों में यह लिखा होना चाहिए तथा प्रकाशित लेख के फॉन्ट से पांच गुणा ज़्यादा बड़े फॉन्ट में लिखा होना चाहिए.’
दिल्ली पुलिस द्वारा एक मार्च 2016 को दाख़िल 1400 पन्नों के आरोप-पत्र में कहा गया कि पचौरी के ख़िलाफ़ ‘पर्याप्त साक्ष्य’ हैं कि उन्होंने शिकायतकर्ता का पीछा किया, डराया-धमकाया एवं यौन उत्पीड़न किया.
अंतिम रिपोर्ट में कहा गया कि फोन, कंप्यूटर हार्ड डिस्क एवं अन्य उपकरणों से पुन: हासिल किए गए वॉट्सएप चैट, संदेश जाली नहीं हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)