नॉर्थ ईस्ट डायरी: मेघालय के मुख्यमंत्री ने कहा, लघु उद्योगों को निवेश नहीं मिल रहा

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मेघालय, असम, मणिपुर, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के प्रमुख समाचार.

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मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मेघालय, असम, मणिपुर, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के प्रमुख समाचार.

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक)
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

शिलॉन्ग: मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड के. संगमा ने बीते 29 अक्टूबर को कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) वास्तव में अर्थव्यवस्था को गति दे रहे हैं लेकिन उनकी तरफ निवेशकों की नज़र नहीं जा रही.

शिलॉन्ग में हुए एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगमा ने कहा कि कुल रोज़गार में अधिकतम रोज़गार एमएसएमई क्षेत्र देता है और देश की वृद्धि में इसका उल्लेखनीय योगदान है.

उन्होंने कहा, ‘देश में छह करोड़ सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध इकाइयां हैं और इसमें करीब 11 करोड़ लोगों को रोज़गार मिला हुआ है. वास्तव में वे अर्थव्यवस्था को गति दे रहे हैं. क्षेत्र को 120 अरब डालर का निवेश मिल रहा जबकि जरूरत 320 अरब डालर का है.’

मुख्यमंत्री ने दलील दी कि बैंक 85 प्रतिशत क़र्ज़ बड़े उपक्रमों को देते हैं जबकि केवल 15 प्रतिशत कर्ज एमएसएमई को मिलता है.

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘स्पष्ट रूप से यह पता चलता है कि एमएसएमई को जो समर्थन की ज़रूरत है और जो उसे मिलना चाहिए, उसमें अंतर है. इस संदर्भ में काफी कुछ किए जाने की ज़रूरत है.’

संगमा ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन मेघालय’ को बढ़ावा देने की नीति अपनायी है.

उन्होंने कहा, ‘हमने यह फैसला किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय तथा उपायुक्त कार्यालय ‘मेक इन मेघालय’ के तहत उद्यमियों से उत्पाद खरीदेंगे और उसे बढ़ावा देंगे.’

असम: पांच बांग्ला भाषा लोगों की हत्या के विरोध में 12 घंटे के बंद, जनजीवन प्रभावित

असम के तिनसुकिया ज़िले में मारे गए लोगों के परिजन. (फोटो: पीटीआई)
असम के तिनसुकिया ज़िले में मारे गए लोगों के परिजन. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी/खेरोनिबाड़ी: असम के तिनसुकिया ज़िले में पांच लोगों की गोली मारकर हत्या किए जाने के विरोध में बीते तीन नवंबर को 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद के दौरान असम के कुछ ज़िलों में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे पटरियों पर धरना दिया, वाहनों पर पथराव किया और सड़कों पर टायर जलाए.

अधिकारियों ने बताया कि सुबह पांच बजे से शुरू हुए बंद का सबसे ज़्यादा असर बंगाली भाषी लोगों की बहुलता वाली बराक घाटी और ब्रह्मपुत्र घाटी के कुछ हिस्सों में देखने को मिला.

सदोऊ असम बंगाली युवा छात्र संघ और सामान विचारधारा वाले कई संगठनों ने एक नवंबर की रात में हुई घटना के विरोध में बंद का आह्वान किया था. खेरोनीबारी गांव में बंदूकधारियों ने एक परिवार के तीन सदस्यों सहित पांच बांग्ला भाषी व्यक्तियों की गोली मार कर हत्या कर दी थी.

कांग्रेस ने बराक में बंद का समर्थन किया है.

ज़िला भाजपा अध्यक्ष सुब्रत नाथ ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि भाजपा हैलाकांडी में धरने को अपना समर्थन दे रही है.

तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ में बंद नहीं है क्योंकि इन दोनों ज़िलों में बीते दो नवंबर को बंद आयोजित किया गया था. कछार और करीमगंज के बराक घाटी ज़िलों में दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान, शैक्षणिक संस्थान, निजी कार्यालय बंद हैं और सड़कों पर वाहन नहीं चल रह रही है.

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने सिलचर में बंद करवा रहे कांग्रेस विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ को हिरासत में ले लिया. उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।

खोज अभियान जारी, उल्फा (आई) ने संलिप्तता से इनकार किया

असम पुलिस ने तिनसुकिया ज़िले में एक ही परिवार के तीन सदस्यों समेत पांच बांग्ला भाषी लोगों की हत्या में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए बीते दो नवंबर को व्यापक खोज अभियान शुरू किया.

पुलिस ने संदेह जताया था कि बंदूकधारी उल्फा (इंडीपेंडेंट) गुट के है लेकिन संगठन ने अपनी संलिप्तता से इनकार कर दिया.

पुलिस के अनुसार, हमलावरों के एक समूह ने एक नवंबर की रात करीब आठ बजे छह लोगों को खेरोनिबाड़ी गांव में बुलाया.

इसके बाद वे उन्हें इलाके के धोला सदिया पुल लेकर गए और उन पर अंधाधुंध गोलियां चला दी जिनमें से पांच की मौके पर ही मौत हो गई.

इनमें से एक पुल से गिर गया और गोलीबारी से बच गया.

पुलिस महानिदेशक कुलधर सैकिया और अतिरिक्त डीजीपी मुकेश घटना के तुरंत बाद कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए तिनसुकिया पहुंचे.

गुवाहाटी में मीडिया से बातचीत में सैकिया ने कहा, ‘आरोपियों को पकड़ने के लिए व्यापक खोज अभियान चलाया गया है. घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाएगा. गत रात के बाद से हमने दोषियों को पकड़ने के लिए कई अभियान शुरू किए हैं.’

हत्याओं में उल्फा गुट की संलिप्तता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘ऐसे ही कोई नाम नहीं ले सकते. हम कानून के अनुसार कार्रवाई करेंगे.’

घटना में बचे इकलौते व्यक्ति की पहचान सहदेव नामसुद्र ने दो नवंबर की सुबह पत्रकारों को बताया कि वह सौभाग्य से बच गए क्योंकि वह पुल के किनारे से गिर गए जहां बंदूकधारियों ने छह लोगों को खड़ा किया और उन्हें गोली मार दी.

हालांकि उन्हें चोटें नहीं आई लेकिन वह डर से बेहोश हो गए थे.

उधर, उल्फा (आई) के प्रचार विभाग के सदस्य रोमेल असम ने ई-मेल के ज़रिये दिए बयान में कहा, ‘उल्फा(आई) सभी संबंधित अधिकारियों को यह स्पष्ट करना चाहता है कि हमारे संगठन की इस घटना में कोई संलिप्तता नहीं है.’

एक नवंबर रात को हुए हमले के मद्देनज़र राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. मुख्यमंत्री ने सभी पुलिस उपायुक्तों और अधीक्षकों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं.

इस बीच, कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई ने कहा कि हमले के लिए कोई ‘तीसरी ताकत’ ज़िम्मेदार हो सकती है.

स्थानीय टीवी चैनल से बातचीत में गोगोई ने कहा, ‘हत्या में कोई तीसरी ताकत भी शामिल हो सकती है क्योंकि कुछ भाजपा, आरएसएस और कांग्रेस के नेता असमी-बंगाली समुदाय के सौहार्द्र के खिलाफ उत्तेजक टिप्पणी कर रहे हैं.’

असम: एनआरसी में नाम शामिल करने, आपत्तियां दाख़िल करने की समयसीमा 15 दिसंबर

(फोटो: पीटीआई/nrcassam.nic.in)
(फोटो: पीटीआई/nrcassam.nic.in)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में नाम शामिल करने के दावे और आपत्तियां दाख़िल करने के लिए बीते एक नवंबर को 15 दिसंबर तक की समय सीमा निर्धारित कर दी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लिए दावा करने वालों को उन पांच दस्तावेज़ों का सहारा लेने की भी अनुमति दे दी जिन पर पहले राष्ट्रीय पंजी के समन्वयक ने आपत्ति की थी.

इन पांच दस्तावेज़ों में 1951 की राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, 1966 की मतदाता सूची, 1971 की मतदाता सूची, 1971 तक का शरणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र और 1971 तक जारी राशन कार्ड शामिल हैं.

अभी तक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे में नाम शामिल करने या निकालने के लिए उन दस दस्तावेज़ों का इस्तेमाल हो रहा था जिन्हें 24 मार्च, 1971 की आधी रात से विभिन्न प्राधिकरणों और निगमों ने जारी किया था.

शीर्ष अदालत ने दावेदारों को नोटिस जारी करने की समय सीमा 15 जनवरी और दस्तावेजों के सत्यापन की समय सीमा एक फरवरी निर्धारित की है.

असम: 9,000 लोगों ने पश्चिम बंगाल बोर्ड परीक्षा का प्रवेश पत्र की प्रतिलिपि मांगी

कोलकाता: असम के करीब 9,000 निवासियों ने 1973 से पहले हुई माध्यमिक परीक्षा के प्रवेश पत्र की प्रतिलिपि जारी करने के लिए पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) के पास आवदेन किया है.

बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.

यह आवेदन लोगों ने एनआरसी के अंतिम मसौदे से कथित तौर पर बाहर रखे जाने के बाद किया गया है.

डब्ल्यूबीबीएसई के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली ने कहा कि बोर्ड ने 6,000 आवेदकों को प्रवेश पत्र जारी किया और भेज दिया है. वे वास्तव में त्रिपुरा के रहने वाले थे और बाद में असम चले गए. उन्होंने 1973 से पहले डब्ल्यूबीबीएसई के तहत माध्यमिक परीक्षा पास किया था.

गांगुली ने को बताया, ‘हम युद्धस्तर पर शेष आवेदनों की जांच की प्रक्रिया में हैं.’

गांगुली ने बताया कि आवेदनकर्ता 1973 से पहले त्रिपुरा में रहते थे. उस समय उत्तर-पूर्वी राज्य में कोई माध्यमिक विद्यालय शिक्षा बोर्ड नहीं था जिसके कारण स्कूल डब्ल्यूबीबीएसई से संबद्ध था.

प्रवेश पत्र माध्यमिक शिक्षा का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है क्योंकि इसमें परीक्षार्थी के जन्म की तारीख का उल्लेख रहता है.

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के पूर्ण मसौदे से लाखों बंगालियों का नाम बाहर रहने का प्रवेश पत्र की प्रतिलिपि जारी करने से कोई संबंध होने पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए गांगुली ने कहा, ‘जिन्होंने प्रवेश पत्र की प्रतिलिपि के लिए आवेदन किया है, हो सकता है कि उनका मूल दस्तावेज़ खो गया हो.’

उन्होंने बताया कि राज्य शिक्षा विभाग जुलाई से प्रवेश पत्र की प्रतिलिपि के लिए आने वाले आवेदनों को डब्ल्यूबीबीएसई के पास भेज रहा है.

तीस जुलाई को असम में एनआरसी के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के बाद विवाद छिड़ गया था क्योंकि 40 लाख से अधिक नामों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.

नगालैंड: राज्य सरकार ने कहा, तीन महीने में लोकायुक्त की नियुक्ति कर देंगे

सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नगालैंड सरकार ने बीते 31 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह तीन महीने के भीतर राज्य लोकायुक्त की नियुक्ति कर देगी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस उदय यू. ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने नगालैंड के मुख्य सचिव के हलफ़नामे को रिकॉर्ड पर लिया कि नगालैंड लोकायुक्त कानून, 2017 के तहत तीन महीने के भीतर लोकायुक्त का चयन करके उसकी नियुक्ति कर दी जाएगी.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मुख्य सचिव ने यह भी कहा है कि नगालैंड सरकार यह आश्वासन देती है कि वह आज से तीन महीने के भीतर लोकायुक्त कार्यालय में नियुक्तियां पूरी करना सुनिश्चित किया जाएगा.

पीठ ने कहा कि इस बयान के मद्देनज़र हम इस प्रक्रिया को पूरा करने और नियुक्तियां करने का मसला संबंधित प्राधिकारी पर छोड़ते हैं.

न्यायालय भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमे प्रत्येक राज्य में लोकायुक्त नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है. याचिका में लोकायुक्तों के प्रभावी तरीके से कामकाज के लिए आवश्यक बजट और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

जनहित याचिका के अनुसार लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 को एक जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिलने के बाद 16 जनवरी, 2014 से यह प्रभावी है परंतु कार्यपालिका ने अभी तक लोकपाल स्थापित नहीं किया है.

त्रिपुरा: ब्रू शरणार्थियों के शिविरों में चुनाव प्रचार से परहेज़ करें सियासी दल

(प्रतीकात्मक फोटो: फेसबुक/Vishwa Samvad Kendra Bharat)
(प्रतीकात्मक फोटो: फेसबुक/Vishwa Samvad Kendra Bharat)

आइजोल: त्रिपुरा में ब्रू शरणार्थियों के एक शीर्ष संगठन ने मिज़ोरम के राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे चुनाव प्रचार के इरादे से उनके समुदाय के लिए बने राहत शिविरों में जाने से बचें.

मिज़ोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) के उपाध्यक्ष आर. लालडानगलियाना ने कहा कि समुदाय के सदस्य मिज़ोरम के दलों की राजनीतिक बैठकों में भाग लेने के इच्छुक नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हम शिविरों में प्रचार का स्वागत नहीं करेंगे. हमारे सदस्य, चुनाव से ठीक पहले सियासी दलों की सार्वजनिक बैठकों में भाग लेने के इच्छुक नहीं हैं.’

संगठन के महासचिव ब्रूनो मशा ने कहा वे नहीं चाहते कि शिविरों में कानून व्यवस्था की कोई समस्या पैदा हो जहां एक समूह को दूसरे के सामने खड़ा किया जा सकता है.

हालांकि, उन्होंने ये स्पष्ट किया कि अगर राजनीतिक दल इस इलाके में चुनाव प्रचार करना चाहते हैं तो उन्हें पहले एमबीडीपीएफ नेतृत्व बात करनी होगी.

गौरतलब है कि साल 1997 में त्रिपुरा में हुए जातीय संघर्ष के बाद ब्रू समुदाय के हज़ारों लोगों को मिज़ोरम में शरण लेनी पड़ी थी. यह हिंसा तब भड़की थी जब ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट के उग्रवादियों ने एक वन अधिकारी की हत्या कर दी थी.

केंद्र, मिज़ोरम और त्रिपुरा सरकार इन शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रयासरत है. हाल ही में एमबीडीपीएफ ने चुनाव आयोग से अपील की थी कि ब्रू मतदाताओं के लिए इन शरणार्थी शिविरों में ही मतदान केंद्र बनाए जाएं.

मिज़ोरम विधानसभा चुनाव: प्रचार ने पकड़ी गति

आइजोल: मिज़ोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए 28 नवंबर को होने वाले चुनाव को लेकर प्रचार पूरे ज़ोरों पर है.

राज्य में इस बार मुकाबला काफी कड़ा है क्योंकि मिज़ोरम पूर्वोत्तर का एकमात्र राज्य है जहां कांग्रेस की सरकार है. त्रिपुरा में माकपा सरकार को हराने के बाद भाजपा इस बार चुनाव में ईसाई बहुल राज्य में पैठ बनाना चाहती है.

मुख्यमंत्री लाल थनहवला, उनके कैबिनेट के सहयोगी और मिज़ोरम प्रदेश कांग्रेस समिति के शीर्ष नेताओं ने पहले ही चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है.

साथ ही मुख्य विपक्षी दल एमएनएफ के पूर्व मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने भी प्रचार शुरू कर दिया है. एमएनएफ भाजपा की अगुवाई वाली एनईडीए (उत्तर-पूर्व लोकतांत्रिक गठबंधन) का एक घटक है.

मुख्य राजनीतिक दलों ने लगभग सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है तथा पार्टी नेताओं, स्टार प्रचारकों एवं कार्यकर्ताओं ने मिज़ोरम पुपील्स फोरम (एमपीएफ) की निगरानी के तहत घर-घर जाकर कर प्रचार करना शुरू कर दिया है.

एमपीएफ का गठन चुनावी सुधार के लिए विभिन्न चर्चों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने किया है.

मिज़ोरम विधानसभा चुनाव के लिए दो नवंबर को गजट अधिसूचना जारी किया जाना निर्धारित और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख नौ नवंबर है.

चुनाव आयोग ने बताया कि नामांकन पत्रों की जांच 12 नवंबर को और नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख 14 नवंबर हो सकती है.

मिज़ोरम में मतों की गिनती राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के साथ 11 दिसंबर को किया जाएगा.

अपने उम्मीदवार उतारेगी एनपीपी, सीटों पर निर्णय जल्द

नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने बीते 29 अक्टूबर को घोषणा की कि वह 40 सदस्यीय मिज़ोरम विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारेगी.

पार्टी संयोजक लियानजुआला ने पत्रकारों से कहा एनपीपी को पार्टी की सीट हासिल करने के लिए 25 आवेदन मिले हैं. पार्टी नेतृत्व इनकी जांच कर रहा है.

उन्होंने कहा कि कितनी सीटों पर वह अपने उम्मीदवार उतारेगी उसकी संख्या और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा जल्द की जाएगी.

नागालैंड के महासचिव और मिजोरम चुनावों के लिए पार्टी के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक शशांक घटराज ने बताया कि एनपीपी भले ही भाजपा नेतृत्व वाले ‘नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस’ (एनईडीए) का एक घटक है, लेकिन उसका अपना भी एक अस्तित्व है.

घटराज ने कहा, ‘एनईडीए एक राजनीतिक दल नहीं है, बल्कि क्षेत्र में गैर-कांग्रेसी दलों का एक मंच है.’

उन्होंने साथ ही बताया कि पार्टी मणिपुर, नगालैंड और मेघालय में भी इस गठबंधन का हिस्सा है और साथ ही भाजपा भी.

सांगलियाना प्रदेश चुनाव अभियान समिति के सह-अध्यक्ष बनाए गए

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को पीसी जोरम सांगलियाना को मिज़ोरम प्रदेश चुनाव अभियान समिति का सह-अध्यक्ष नियुक्त किया.

28 नवंबर को होने वाले मिज़ोरम विधानसभा चुनाव के लिए बीते दो नवंबर को अधिसूचना जारी हुई है.

पूर्वोत्तर में कांग्रेस शासित एकमात्र राज्य मिज़ोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर को पूरा होगा.

गांधी ने डॉ. पुष्पा अमरनाथ को कर्नाटक प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया है.

मणिपुर: सीएम ने कहा, अफीम की खेती बंद करवाने में की मदद कर रही हैं सेना

एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)
एन. बीरेन सिंह. (फोटो: पीटीआई)

इम्फाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार मादक पदार्थों के खिलाफ युद्ध की रणनीति के तौर पर सीमावर्ती इलाकों में अफीम की खेती को खत्म करने के लिए सेना तथा असम राइफल्स की मदद ले रही है.

मुख्यमंत्री ने हाल ही में राज्य के दौरे पर आए पत्रकारों से कहा, ‘म्यांमार के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास के इलाकों में अफीम की खेती के लिए हज़ारों हेक्टेयर भूमि का इस्तेमाल होता है.’

दक्षिण पूर्वी एशिया में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए कुख्यात गोल्डन ट्राएंगल के समीप उत्तर-पूर्वी राज्य सिरिंज के ज़रिये मादक पदार्थ लेने के कारण एचआईवी के बड़े मामलों का दंश झेल रहा है.

सिंह ने कहा कि गोल्डन ट्राएंगल के ज़रिये अन्य देशों में अफीम भेजी जाती है.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम मणिपुर में अफीम की खेती को खत्म करने के लिए सेना तथा असम राइफल्स की मदद ले रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि अफीम की खेती करने वालों को लेमन ग्रास की खेती करने के लिए कहा जा रहा है.

राज्य के दक्षिणी हिस्से में जौपी गांव में अफीम की खेती करने वाले लालबोई ने काकचिन शहर में हुई बातचीत में कहा कि वह अपने गांव में तथा उसके आसपास कई अन्य लोगों के साथ अपनी आजीविका के लिए अफीम की खेती करते हैं.

उन्होंने बताया कि उनके इलाके में अफीम की खेती करने वाले करीब 150 लोग हैं.

उन्होंने कहा, ‘असम राइफल्स हमारी मदद कर रही है और हमें सिखा रही है कि कैसे लेमन ग्रास की खेती की जाए ताकि हम अफीम की खेती छोड़ दें.’

लेमन ग्रास एक खुशबूदार उष्णकटिबंधीय घास है जिससे तेल निकलता है जिसमें नींबू की खुशबू आती है और इसका बड़े पैमाने पर एशियन कुकिंग और परफ्यूम तथा दवा बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस साल 600 तस्करों को गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई गई है.

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार और सुरक्षाबलों ने लोगों की नशे की आदत को छुड़वाने के लिए भी परियोजनाएं शुरू की है.

मणिपुर: मुख्यमंत्री ने आफ्सपा की समीक्षा का आह्वान किया

इम्फाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून की समीक्षा की जाए.

सिंह ने बीते 31 अक्टूबर को इम्फाल आए पत्रकारों के एक समूह से कहा कि आफ्सपा की समीक्षा के साथ पड़ोसी देशों से लगी राज्य की सीमा की सुरक्षा चिंताओं पर भी गौर किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘समय आ गया है कि आफ्सपा की समीक्षा की जाए. चूंकि हम दूसरे देशों के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं इसलिए सुरक्षा पहलू को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.’

सिंह ने कहा, ‘मणिपुर अब एक शांतिपूर्ण राज्य है. लेकिन देश की सुरक्षा निश्चित तौर पर प्राथमिक है… दूसरे देशों से आर्थिक मदद और हथियारों की आपूर्ति को खारिज नहीं किया जा सकता है.’

सेना के 57 माउंटेन डिविजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल वीके मिश्रा मणिपुर में उग्रवाद रोधी अभियानों की अगुवाई करते हैं. उन्होंने कहा कि उग्रवाद प्रभावित राज्य में शांति बनाए रखने में सेना के लिये आफ्सपा ज़रूरी है.

उग्रवादियों के शिविरों से आधुनिक हथियारों को जब्त किए जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे पास आफ्सपा नहीं रहता तो इसे कैसे कर पाते… यह सिर्फ हमें कुछ करने का अधिकार नहीं देता बल्कि यह हमारे लिए ज़रूरी है. काम-काज को लेकर सेना के लिए आफ्सपा आवश्यक है.’

उन्होंने कहा कि हालात नियंत्रण में हैं लेकिन पूर्वोत्तर के राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए उग्रवादियों पर दबाव बनाना भी ज़रूरी है. कई साल से यह राज्य उग्रवादियों से प्रभावित हैं.

बहरहाल सुरक्षा बलों को व्यापक शक्ति देने वाले इस क़ानून की समीक्षा की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने यह माना कि मणिपुर में स्थिति बेहद जटिल है.

उन्होंने कहा, ‘यह कश्मीर की तरह नहीं है जहां पाकिस्तान शामिल है. यहां तो हमारे अपने ही लोग हैं और ऐसे में यह सुरक्षाकर्मियों के लिए भी बेहद मुश्किल हो जाता है. यह बेहद गंभीर और जटिल मुद्दा है और सुलझाना ही होगा.’

असम और अरुणाचल प्रदेश: 2जी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर न्यायालय ने बीएसएनएल से मांगा जवाब

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)
(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश और असम के दो ज़िलों में ‘पुरानी हो चुकी’ 2जी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का समझौता रद्द करने की याचिका पर बीते दो नवंबर को भारत संचार निगम लिमिटेस से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा.

जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ से गैर सरकारी संगठन टेलीकॉम वॉचडॉग के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि निगम ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है.

उन्होंने कहा कि न्यायालय को अरुणाचल प्रदेश और असम के दो ज़िलों- कर्बी आंगलांग और दीमा हसाओ-में 2जी प्रौद्योगिकी के लिए टावर और दूसरे उपकरण लगाने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देना चाहिए.

याचिका में दूरसंचार विभाग और सरकार के स्वामित्व वाले भारत संचार निगम लिमिटेड के बीच इस साल 16 जनवरी को हुआ करार रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

इस करार के तहत ‘दुर्भावनापूर्ण मंशा’ से दो निजी कंपनीयों से 2,258 करोड़ रुपये की लागत से खरीदी जा रही पुरानी हो चुकी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा.

भूषण ने पीठ से कहा, ‘यथास्थिति बनाए रखी जाए. टावर लगाने के लिए अब तक काम का ठेका नहीं दिया गया है. इस पर रोक लगाई जानी चाहिए.

निगम के वकील ने पीठ से कहा कि टावर लगाने के अलावा शेष सारा काम हो चुका है और रोक लगाने का आदेश उपभोक्ताओं को परेशान करेगा.

पीठ ने जब यह पूछा कि अभी कितने उपभोक्ता हैं तो वकील ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में 836 उपभोक्ता हैं.

गैर सरकारी संगठन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 13 अगस्त के फैसले को चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने इस संबंध में उसकी याचिका खारिज कर दी थी.

अरुणाचल प्रदेश: चीन ने ब्रह्मपुत्र में बाढ़ की आशंका को लेकर फिर भारत को चेताया

चीन की सियांग नदी अरुणाचल प्रदेश में आकर ब्रह्मपुत्र नदी कहलाती है. (फोटो साभार: यूट्यूब)
चीन की सियांग नदी अरुणाचल प्रदेश में आकर ब्रह्मपुत्र नदी कहलाती है. (फोटो साभार: यूट्यूब)

नई दिल्ली/ईटानगर: चीन ने एक पखवाड़े के भीतर दूसरी बार भारत को अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ जैसे हालात की आशंका पर सतर्क किया है. एक भूस्खलन की वजह से तिब्बत में नदी में पानी का प्रवाह बाधित हो गया है.

जल संसाधन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीते 31 अक्टूबर को कहा कि भूस्खलन और उसके बाद कृत्रिम झील बनने की जानकारी भारत को 29 अक्टूबर की देर शाम राजनयिक माध्यमों से और उस प्रणाली के तहत अलग-अलग दे दी गई, जिसके तहत चीन ब्रह्मपुत्र के साथ जलीय आंकड़े साझा करता है.

केंद्रीय जल आयोग ने ट्वीट किया, ‘चीन की ओर से मिली ताज़ा जानकारी के अनुसार 31 अक्टूबर 2018 को अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह 6:30 बजे (चीनी समयानुसार सुबह नौ बजे) भूस्खलन की जगह रुके हुए पानी की मात्रा अनुमानत: 337 एमसीएम है.’

चीन ने 17 अक्टूबर को भारत को तिब्बत में यारलुंग सांगपू नदी के निचले हिस्सों में मिलिन काउंटी में जियाला गांव के पास भूस्खलन के बारे में जानकारी दी थी. इसके बाद एक कृत्रिम झील बन गई थी.

जब झील से पानी निकलना शुरू हो गया तो अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी के पास के ज़िलों को बाढ़ की आशंका को लेकर हाई अलर्ट पर रखा गया.

तिब्बत में भू-स्खलन के बाद अधिकारियों ने लोगों से सियांग नदी में न जाने को कहा

तिब्बत में भू-स्खलन के बाद अधिकारियों ने लोगों से कहा है कि वे ऊपरी सियांग ज़िले से होकर बहने वाली सियांग नदी के आसपास न जाएं क्योंकि भू-स्खलन के बाद उसमें बाढ़ आने की आशंका है.

अधिकारियों ने यहां कहा कि अगर यारलुंग सांगपो नदी में बीते 29 अक्टूबर की सुबह 10 बजे हुए भू-स्खलन की वजह से वहां बना कृत्रिम बांध टूटता है तो सियांग नदी में बाढ़ आने की प्रबल आशंका है.

यारलुंग सांगपो नदी को अरूणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र के तौर पर जाना जाता है.

असम: राज्य सरकार कोलकाता स्थित भूपेन हज़ारिका का घर अधिग्रहित करेगी

गायक और संगीतकार भूपेन हज़ारिका. (फोटो साभार: यूट्यूब वीडियोग्रैब)
गायक और संगीतकार भूपेन हज़ारिका. (फोटो साभार: यूट्यूब वीडियोग्रैब)

गुवाहाटी: असम सरकार ने महान संगीतज्ञ भूपेन हजारिका के कोलकाता स्थित तीन मंजिली इमारत का अधिग्रहण कर उसका पुनरूद्धार करने का निर्णय किया है, जहां वह लगभग चार दशक तक रहे थे और संगीत की अपनी कई उत्कृष्ठ कृतियां दुनिया को दी थी.

असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि घर खरीदने और उसे सांस्कृतिक केंद्र में बदलने का निर्णय राज्य सरकार की कैबिनेट कमेटी की बैठक में किया गया.

सरमा ने संवाददाताओं को बताया कि कोलकाता के गोल्फ क्लब रोड पर स्थित यह मकान एक करोड़ 70 लाख रूपये में यह घर खरीदा जाएगा. इसके जीर्णोद्धार पर 25 लाख रूपये खर्च किए जाएंगे.’

खबरों के अनुसार गायक, कवि और फिल्म निर्माता भूपेन हज़ारिका असम से 1952 में कोलकाता चले गए थे. वह इस तीन मंज़िली इमारत में किरायेदार के तौर पर रहते थे और 1981 में उन्होंने इसे खरीद लिया था.

हजारिका ने 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध में मुंबई जाने से पहले उन्होंने इसे बेच दिया था.

असम के संस्कृति मंत्री नबा कुमारे डोले और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के मीडिया सलाहकार ऋशिकेष गोस्वामी इस घर को खरीदने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए पिछले साल कोलकाता गए थे.

मेघालय: स्वाइन फ्लू से पहली मौत के बाद अलर्ट जारी

शिलॉन्ग: मेघालय में एच1एन1 से पीड़ित दो में से एक मरीज़ की मौत के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने बीते 29 अक्टूबर को अलर्ट जारी कर दिया.

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में वर्ष 2018 में स्वाइन फ्लू से मौत का यह पहला मामला है.

नाजरेथ अस्पताल के ‘क्रिटिकल केयर यूनिट’ के प्रमुख डॉ. हिमज्योति दास ने बताया कि 57 वर्षीय महिला को 19 अक्टूबर को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उनको बुखार, खांसी, कमज़ोरी के साथ ही सांस लेने में दिक्कत थी. उनका रविवार को निधन हो गया.

डॉ. दास ने बताया कि महिला पुणे में एक पारिवारिक समारोह में शिरकत करने गई थीं और लौटते समय उनके स्वैब नमूने एच1एन1 से पीड़ित पाए गए.

मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री एएल हेक ने बताया कि स्थिति की निगरानी के लिए राज्यभर में अलर्ट जारी कर दिया गया है और अस्पतालों से मरीज़ों के उचित उपचार के लिए एहतियातन क़दम उठाने को भी कहा गया है.

गुवाहाटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और शिलॉन्ग हवाई अड्डे पर भारतीय अधिकारियों से भी एहतीयाती कदम उठाने को कहा गया है.

मेघालय की राजधानी में एक अन्य महिला भी स्वाइन फ्लू से पीड़ित पाई गईं. उन्हें 24 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसकी हालत में अब सुधार है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)