भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अनुसार दो ‘तीन तलाक प्रमुख’ की नियुक्ति हो चुकी है. जो महिलाएं शरीयत और कानून की ठोस जानकारी रखती हैं और तीन तलाक से पीड़ित औरतों के जीवन में सामाजिक बदलाव ला सकती हैं, उन्हें इस काम के लिए चुना जाएगा.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने तलाक-ए-बिद्दत की शिकार महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए दो ‘तीन तलाक प्रमुख’ की नियुक्ति की है और प्रदेश में पार्टी की सभी छह क्षेत्रीय इकाइयों में ऐसे प्रमुखों को तैनात करने की योजना है.
उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की सचिव नाज़िया आलम ने बताया कि ऐसी शिक्षित महिलाएं, जो शरीयत और कानून की ठोस जानकारी रखती हैं, और जो तीन तलाक से पीड़ित औरतों के जीवन में सामाजिक बदलाव ला सकती हैं, उनकी तलाक प्रमुख के रूप में जिलेवार तैनाती की जाएगी.
तीन तलाक की पीडि़त कुछ महिलाएं इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए पहले से ही अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के साथ काम कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि प्रकोष्ठ हर जिले में तीन तलाक की शिकार हुई महिलाओं की वास्तविक संख्या जानने के लिए एक सर्वे कराएगा. इससे पता चलेगा कि यह बुराई किस हद तक फैली है.
पार्टी के सभी 93 सांगठनिक जिलों और छह क्षेत्रीय इकाइयों में तलाक प्रमुख की नियुक्ति की जाएगी. यह काम दीपावली के बाद शुरू होने की संभावना है.
दिसंबर के अंत तक यह सर्वे कार्य शुरू होगा. नाजिया ने यह भी कहा कि भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ कुरान और शरीयत को लेकर लोगों के जेहन में बन रही नकारात्मक तस्वीर को खत्म करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा ने दो तीन तलाक प्रमुखों की नियुक्ति कर दी है और इस तरह के कुल 100 प्रमुखों की नियुक्ति की योजना है.
फिलहाल भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की सचिव नाजि़या आलम और शहनाज़ ख़ान को तीन तलाक प्रमुख नियुक्त किया गया है.
तीन तलाक प्रमुख कुरान का हिंदी अनुवाद भी मुस्लिम परिवारों में बाटेंगे. इस पर नाजिया ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘अगर लोग उस भाषा में कुरान को पढ़ते हैं जिसमें वे सहज हैं तो तीन तलाक की प्रथा को आसानी से पकड़ा जा सकता है क्योंकि कुरान में इस प्रथा पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस अभियान से हमें कट्टरपंथी धर्मगुरुओं की उस प्रथा को तोड़ना पड़ेगा जिससे वे गलत संदेश अभी तक फैलाते आ रहे हैं. हमारे पास अभी कोई स्पष्ट संख्या नहीं है कि तीन तलाक के कितने पीड़ित हैं. हमारा पहला काम होगा की हम इनकी पहचान करें.’
नाजि़या आलम ने कहा कि ऐसा काम करने का उद्देश्य सामाजिक है, राजनीतिक नहीं. पहले चरण में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा जिसमें रामपुर, बरेली, सहारनपुर, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर शामिल है.
वहीं उत्तर प्रदेश भाजपा के अंल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैदर अब्बास चांद ने कहा कि जिन तीन तलाक पीड़ित महिलाओं ने बहादुरी के साथ इसके खिलाफ लड़ा है उन्हें पार्टी द्वारा सम्मानित किया जाएगा.
बता दें कि साल 2017 में राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने घोषणापत्र में तीन तलाक का मुद्दा शामिल किया था. चुनाव में जीच हासिल करने के बाद भाजपा नेताओं ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं ने उनका समर्थन किया है और वे इस प्रथा के खिलाफ हैं. भाजपा द्वारा इस मुद्दे को बार-बार चुनाव के हर स्तर पर उठाया जाता रहा है.
केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दे चुकी है. आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को सदन में पेश किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)