एसबी शशांक की शिकायत के बाद राज्य के प्रधान सचिव (गृह) को हटा दिया गया था, जिसके बाद एसबी शशांक को हटाए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. आशीष कुंद्रा को मिज़ोरम का नया मुख्य निर्वाचन अधिकारी बनाया गया.
आइजोल: मिज़ोरम में भारी विरोध प्रदर्शन के बाद यहां के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एसबी शशांक को पद से हटा दिया है. चुनाव आयोग ने तत्काल प्रभाव से आशीष कुंद्रा को मिज़ोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पद पर नियुक्त कर दिया है.
आगामी 28 नवंबर को मिज़ोरम विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं. आयोग के सचिव बीसी पात्रा द्वारा जारी अधिसूचना में मिज़ोरम सरकार के परामर्श पर कुंद्रा को तत्काल प्रभाव से राज्य का सीईओ नियुक्ति किए जाने की जानकारी दी गई है.
उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा के पुनर्वास केंद्रों में रह रहे मिज़ोरम के ब्रू समुदाय के मतदाताओं को त्रिपुरा से ही मताधिकार का इस्तेमाल करने की शशांक द्वारा पैरवी करने के मामले में उपजे विवाद के बाद आयोग ने नए सीईओ की नियुक्ति का फैसला किया है.
मिज़ोरम के सामाजिक संगठनों ने शशांक के विरोध में मुहिम तेज़ कर आयोग से उन्हें पद से हटाने की मांग की थी.
आयोग ने मिज़ोरम सरकार से नए सीईओ की तैनाती के लिए संभावित नामों की सूची देने को कहा था. राज्य सरकार के सुझाव पर आयोग ने जनप्रतिनिधित्व क़ानून के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए कुंद्रा की नियुक्ति की है.
इसके लिए जारी अधिसूचना में आयोग ने स्पष्ट किया है कि कुंद्रा बतौर सीईओ अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करने के दौरान मिज़ोरम सरकार के निर्वाचन विभाग के सचिव पद के प्रभार के अलावा कोई अन्य कार्यभार ग्रहण नहीं करेंगे. इस बीच आयोग ने शशांक को अग्रिम आदेश तक चुनाव आयोग से संबद्ध रहने के लिए कहा है.
ब्रू समुदाय के मतदाताओं की पैरवी करने के अलावा राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के पद पर रहते हुए एसबी शशांक ने राज्य में अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती की मांग की थी और चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि राज्य के पूर्व प्रधान सचिव ललनुनमाविया चुआउंगो चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं.
चुनाव आयोग ने बीते दो नवंबर को अपने आदेश में कहा था, ‘चुनाव आयोग मानता है कि ललनुनमाविया चुआउंगो के मिज़ोरम सरकार में प्रधान सचिव (गृह) रहने से राज्य में सुचारू, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.’
चुआउंगो के साथ अपनी तकरार के बारे में सीईओ रहे एसबी शशांक ने कहा था कि उन्होंने 11 सितंबर को ज़िला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) और मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को अधिसूचित करने के लिए एक बयान जारी किया था कि त्रिपुरा में योग्य ब्रू प्रवासियों द्वारा वैध दस्तावेज़ के तौर पर पहचान स्लिप का इस्तेमाल किया जा सकता है.
एसबी शशांक ने कहा था कि हालांकि चुआउंगो ने 13 सितंबर को एक अन्य आदेश जारी कर कहा था कि ब्रू शरणार्थियों को वापसी उद्देश्यों के अलावा पहचान स्लिप के इस्तेमाल से परहेज़ करना चाहिए.
इस गतिरोध के बाद मिज़ोरम के मूल निवासी और गुजरात कैडर के अधिकारी चुआउंगो को उनकी ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया था. चुनाव आयोग ने उन्हें दिल्ली में गृह मंत्रालय के समक्ष रिपोर्ट करने को कहा था.
चुआउंगो के हटने के बाद से ही सिविल सोसाइटी और छात्र संगठनों के समूह एनजीओ ‘कोआॅर्डिनेशन कमेटी’ और कई राजनीतिक दलों के नेता शशांक को हटाए जाने की मांग करते हुए इसके लिए आंदोलन करने लगे थे.
एसबी शशांक पर निष्पक्ष पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के ख़िलाफ़ काम करने का आरोप लगाते हुए एनजीओ कोआर्डिनेशन कमेटी ने चुनाव आयोग से उन्हें हटाने की मांग की थी.
इस संबंध में बीते पांच नवंबर को मुख्यमंत्री ललथनहवला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एसबी शशांक को तुरंत पद से हटाने की मांग करते हुए कहा था कि लोगों का उनके प्रति भरोसा ख़त्म हो चुका है.
शशांक ने बीते पांच नवंबर को कहा था कि उनका इरादा राज्य के नागरिक समाज की भावनाएं आहत करने का नहीं था और अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो उसके लिए उन्हें खेद है.
मालूम हो कि मिज़ोरम में भी 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव के मतदान होने वाले हैं, जिसका परिणाम अन्य चार राज्यों के साथ 11 दिसंबर को आएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)