दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष अंकिव बैसोया ने फ़र्ज़ी डिग्री विवाद को लेकर 15 नवंबर को इस्तीफ़ा दे दिया था. दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिए दोबारा चुनाव कराने से इनकार किया.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दाखिला लेने के लिए कथित तौर पर फर्जी डिग्री जमा करने पर एबीवीपी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकिव बैसोया के खिलाफ मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज की है. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि अंकिव बैसोया के छात्रसंघ अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के मद्देनजर इस पद के लिए दोबारा चुनाव नहीं कराया जाएगा.
डीयू ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस योगेश खन्ना को बताया कि लिंगदोह समिति के दिशा निर्देशों के अनुसार नए चुनाव केवल तभी कराए जा सकते हैं जब परिणामों की घोषणा के दो महीनों के भीतर पद खाली हो गया हो.
बैसोया के निर्वाचन को चुनौती देने वाले एनएसयूआई के नेता सन्नी छिल्लर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि जब डिग्री फर्जी पाई जाती है तो नामांकन अपने आप ही अवैध हो जाता है और इसलिए इस मामले में फिर से चुनाव कराए जाने के लिए दो महीने की अवधि लागू नहीं होगी.
डीयू की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने अदालत को बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) अध्यक्ष का पद 14 नवंबर को खाली हुआ था और दो महीने की अवधि 13 नवंबर को समाप्त हुई थी क्योंकि चुनाव परिणाम 13 सितंबर को घोषित किए गए थे.
उन्होंने कहा कि एक बार दो महीने की अवधि गुजर जाने पर चुनाव नहीं कराये जा सकते है और डीयू, डूसू उपाध्यक्ष को अध्यक्ष के रूप में घोषित करने के लिए स्वतंत्र है.
चिदंबरम ने कहा कि डीयू को दाखिले और उनका नामांकन स्वीकार करते हुए बैसोया के प्रमाण पत्र की समुचित ढंग से जांच करनी चाहिए थी.
सुनवाई के दौरान एएसजी ने कहा कि तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय से एक पत्र मिलने के बाद 14 नवंबर को बैसोया के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. पत्र में बैसोया की स्नातक की डिग्री के फर्जी होने की पुष्टि की गई थी.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया.
अंकिव बैसोया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए कथित तौर पर फर्जी डिग्री जमा करने पर एबीवीपी के पूर्व डूसू अध्यक्ष अंकिव बैसोया के खिलाफ मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज की है.
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने सोमवार को इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रमुख के टीएस साराओ द्वारा दायर शिकायत के अनुसार बैसोया मास्टर पाठ्यक्रम में दाखिला के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे.
शिकायत में कहा गया है कि इस परीक्षा में सफल होने के बाद बैसोया ने एमए बौद्ध स्टडीज, पार्ट वन में प्रवेश लिया और तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय से कला स्नातक के छह सेमेस्टर के छह अंकपत्र पेश किए.
साराओ ने शिकायत में कहा कि एमए (बौद्ध अध्ययन) में प्रवेश के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री जरूरी है.
शिकायत के अनुसार, इन अंकपत्रों के सत्यापन के अनुरोध के लिखित जवाब में तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक ने कहा है कि बैसोया द्वारा पेश अंकपत्र फर्जी है.
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर बैसोया का दाखिला 14 नवंबर को रद्द कर दिया गया था.
बैसोया सितंबर में डूसू के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कहने के बाद बैसोया ने 15 दिसंबर को इस्तीफा दे दिया था.
एबीवीपी ने आरोपों की जांच पूरी होने तक बैसोया को संगठन से निलंबित कर दिया है.
मालूम हो कि तमिलनाडु के तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने बताया था कि जो प्रमाण पत्र अंकिव बैसोया ने दिल्ली विश्वविद्यालय में पेश किया था वो फ़र्ज़ी है, इस यूनिवर्सिटी का नहीं है. अंकिव किसी भी तरह से विश्वविद्यालय के छात्र नहीं रहे हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए नकली दस्तावेज दिखाने का मामला सामने आने के बाद तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को यह जानकारी दी. बैसोया ने दावा किया था कि उन्होंने साल 2013 से 2016 के बीच तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)