ओडिशा के ढेंकनाल ज़िले में एक गैर सरकारी संस्था द्वारा संचालित आश्रय गृह में रहने वाली नाबालिग लड़कियों ने आरोप लगाया कि दो साल से ज़्यादा समय से उनके साथ यौन शोषण. हो रहा था. आश्रय गृह का प्रभारी गिरफ़्तार.
ढेंकनाल: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह के बाद ओडिशा के ढेंकनाल जिले में एक गैर सरकारी संस्था द्वारा संचालित आश्रय गृह को रविवार को सील कर दिया गया. यह कार्रवाई वहां रहने वाले नाबालिगों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते की गई.
एक अधिकारी ने बताया कि मीडिया में नाबालिग लड़कियों के शोषण की खबर आने के दो दिन बाद जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डीसीपीओ) अनुराधा गोस्वामी और बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों ने आश्रय गृह पर छापेमारी की कार्रवाई की.
जिला अधिकारी ने बताया, ‘ढेंकनाल सदर के तहसीलदार यूके महापात्रा और डीसीपीओ की उपस्थिति में पुलिस ने बेल्तिकिरी क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित हो रहे निजी आश्रय गृह को बंद करा दिया.’
आश्रय गृह में रहने वाली नाबालिग लड़कियों का आरोप है कि नायक पिछले दो साल से अधिक वक्त से उनका शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण कर रहा था. लड़कियों के आरोपों के बाद उसे पुलिस हिरासत में ले लिया गया है.
पुलिस ने बताया कि घटना तब प्रकाश में आई जब कुछ लड़कियों ने मीडिया से बातचीत में हाल में आश्रय गृह के प्रभारी पर आरोप लगाया. ढेंकनाल के पुलिस उप-मंडल अधिकारी अब्दुल करीम ने बताया कि आश्रय गृह के प्रभारी सीमांचल नायक और प्रबंध निर्देशक फैयाज रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया.
नायक ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि वह (लड़कियां) ऐसा इसलिए कह रही है क्योंकि उसने आश्रय गृह में अनुशासन लागू करने की कोशिश की थी.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मीडिया में आई खबरों पर कार्रवाई करते हुए जिला बाल संरक्षण अधिकारी और जिला बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने शहर के बाहरी इलाकेमें बने इस आश्रय गृह पर शुक्रवार को छापा मारा था.
पुलिस ने कहा कि आश्रय गृह में 80 से अधिक लड़कियां और लड़के हैं.
महापात्रा ने बताया कि ढेंकनाल आश्रय घर में 47 लड़कियों और 34 लड़के थे, जिनकी उम्र 5 से 16 साल के बीच है. घटना उजागर होने के बाद उन्हें दूसरे बाल आश्रय गृह में स्थानांतरित कर दिया गया है.
ओडिशा के महिला एवं बाल विकास मंत्री प्रफुल्ल सामल ने शनिवार को ऐसे केंद्रों को ‘अनियंत्रित और अवैध’ बताया और तत्काल बंद करने के आदेश दिए.
इसके बाद केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री और भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान ने अपंजीकृत आश्रय घर के अवैध कामकाज को रोकने में सरकार की ‘विफलता’ के लिए मंत्री प्रफुल्ल सामल के इस्तीफे की मांग की है, वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना ने कहा कि बीजद सरकार अपनी जिम्मेदारी को निभाने में विफल रही है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री पर विपक्षी दलों के हमले पर उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं की जानी चाहिए और दोषियों को सज़ा दिलाने में बीजद सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
ज्ञात हो कि इस साल की शुरुआत में केंद्र सरकार ने बिहार और उत्तर प्रदेश में आश्रय गृहों कथित यौन दुर्व्यवहार के दो मामलों के बाद सभी राज्यों को आश्रय घरों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया था.
मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस द्वारा बीते 27 अप्रैल को बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गयी सोशल ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर मुज़फ़्फ़रपुर जिले में स्थित एक बालिका गृह में 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था. पीड़ित लड़कियों में से कुछ के गर्भवती होने की भी ख़बर सामने आई थी.
इस आश्रय गृह की 42 में से 34 लड़कियों के यौन शोषण की मेडिकल परीक्षण में पुष्टि हुई थी. पुलिस ने इस संबंध में इस आश्रय गृह को सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम के एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)