इलाहाबाद कुंभ: अधिक ज़मीन के लिए गंगा की दो धाराएं एक करने की कोशिश, हाईकोर्ट में याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया है कि मेला प्रशासन लोगों को अधिक भूमि की उपलब्धता के लिए प्राकृतिक रूप से बंटी गंगा की धाराओं को एक कर रहा है. इससे गंगा की पारिस्थिति तंत्र बिगड़ने की संभावना है.

Allahabad: Workers construct a pontoon bridge over River Ganga for the upcoming Kumbh Mela 2019, in Allahabad, Friday, Nov. 30, 2018. (PTI Photo) (PTI11_30_2018_000045)
Allahabad: Workers construct a pontoon bridge over River Ganga for the upcoming Kumbh Mela 2019, in Allahabad, Friday, Nov. 30, 2018. (PTI Photo) (PTI11_30_2018_000045)

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया है कि मेला प्रशासन लोगों को अधिक भूमि की उपलब्धता के लिए प्राकृतिक रूप से बंटी गंगा की धाराओं को एक कर रहा है. इससे गंगा की पारिस्थिति तंत्र बिगड़ने की संभावना है.

Allahabad: Workers construct a pontoon bridge over River Ganga for the upcoming Kumbh Mela 2019, in Allahabad, Friday, Nov. 30, 2018. (PTI Photo) (PTI11_30_2018_000045)
इलाहाबाद में इन दिनों कुंभ मेले की तैयारियां ज़ोर-शोर से चल रही हैं. (फोटो: पीटीआई)

इलाहाबाद: इलाहाबाद शहर में अगले कुछ महीनों में होने वाले कुंभ मेले के तहत ज़िला प्रशासन गंगा की प्राकृतिक रूप से बंटी दो धाराओं को एक में मिलाने की कोशिश में लगा हुआ है. इसके ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल की गई है.

याचिका में इलाहाबाद में गंगा नदी की प्राकृतिक धारा बदलने की ज़िला प्रशासन की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है.

चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस वाईके श्रीवास्तव की पीठ इस मामले की सुनवाई 10 दिसंबर को करेगी.

अधिवक्ता अरुण गुप्ता ने  इस अर्ज़ी में अदालत से मांग की गई है कि इलाहाबाद स्थित संगम में गंगा नदी की धारा प्राकृतिक रूप से दो भागों में बंटी है, लेकिन कुंभ मेला प्रशासन मशीनों और उपकरणों के ज़रिये इन दो धाराओं के बीच बालू खोदकर इसे एक धारा में तब्दील करने की कोशिश कर रहा है.

प्रशासन यह कार्रवाई इसलिए कर रहा है ताकि अधिक से अधिक ज़मीन संतों और अन्य धार्मिक संगठनों को आवंटन के लिए उपलब्ध कराई जा सके जिससे वे कुंभ मेला के दौरान अपना शिविर लगा सकें.

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा कि इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान 15-16 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और गंगा में डुबकी लगाने की संभावना है.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अरुण गुप्ता का कहना है कि 2013 के महाकुंभ में गंगा में आठ करोड़ लोगों ने स्नान किया था. साल 18-19 के कुंभ में 15 से 16 करोड़ लोगों के आने की संभावना जताई जा रही है.

उन्होंने कहा है कि विशेषज्ञ इंजीनियरों ने गंगा के प्रवाह में छेड़छाड़ से पर्यावरण के प्रभावित होने की आशंका जताई है. इससे गंगा के कछार का तापमान बढ़ने और जल की गुणवत्ता प्रभावित होने का अनुमान है.

उन्होंने आरोप लगाया कि मेला प्रशासन लोगों को अधिक भूमि की उपलब्धता के लिए गंगा की धाराओं को एक कर रहा है. गंगा के प्राकृतिक मार्ग में बदलाव करने का फायदे से अधिक नुकसान होगा.

हर साल माघ मेले के दौरान स्नान के लिए नदी में पानी छोड़ा जाता है.

याचिका में कहा गया है कि गंगा नदी की धारा बदलने से पारिस्थिति तंत्र के बिगड़ने की काफी संभावना है.

याचिकाकर्ता ने अदालत से राज्य सरकार को कुंभ मेले के दौरान स्नान के लिए गंगा में पर्याप्त पानी छोड़ने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया. यह अर्ज़ी हाईकोर्ट में पहले से लंबित गंगा प्रदूषण से जुड़े मामले के संदर्भ में दाख़िल की गई है.

मालूम हो कि कुंभ मेला अगले साल 15 जनवरी से 04 मार्च तक चलेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)