पिछले कुछ समय से केंद्र की मोदी सरकार और रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के बीच गतिरोध जारी था. उर्जित पटेल ने इस्तीफे का कारण निजी बताया है.
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. पिछले कुछ समय से केंद्र की मोदी सरकार और उर्जित पटेल के साथ गतिरोध चल रहा था.
हालांकि उर्जित पटेल ने कहा है कि वे व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं.
Urjit R. Patel: On account of personal reasons, I have decided to step down from my current position (RBI Governor) effective immediately. It has been my privilege and honour to serve in the Reserve Bank of India in various capacities over the years (File pic) pic.twitter.com/PAxQIiQ3hV
— ANI (@ANI) December 10, 2018
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक उर्जित पटेल ने कहा, ‘व्यक्तिगत कारणों से मैंने आरबीआई गवर्नर के पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है. ये मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैं पिछले कुछ सालों में रिजर्व बैंक के विभिन्न पदों पर रहा.’
रिजर्व बैंक के कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘इन सालों में आरबीआई के कर्मचारी, अधिकारियों और प्रबंधन की वजह से बैंक ने काफी काम किया. मैं अपने सहयोगियों और निदेशकों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं.’
बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से अब तक कभी नहीं इस्तेमाल की गई रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा-7 के तहत पहली बार आरबीआई को निर्देश दिए जाने और रिज़र्व बैंक की कमाई में सरकार के हिस्से को लेकर नियम बनाने जैसे मामलों को लेकर विवाद चल रहा था.
पटेल आरबीआई के 24वें गवर्नर थे. उन्हें सितंबर 2016 में तीन साल के लिए इस पद पर गवर्नर नियुक्त किया गया था. उन्होंने पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की जगह ली थी.
कुछ दिन पहले उर्जित पटेल ने बैंकों में धोखाधड़ी पर गहरा दुख जताते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक नीलकंठ की तरह विषपान करेगा और अपने ऊपर फेंके जा रहे पत्थरों का सामना करेगा, लेकिन हर बार पहले से बेहतर होने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ेगा.
वहीं हाल ही में रिजर्व बैंक की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब मोदी सरकार के साथ चल रहे गतिरोध से संबंधित सवाल पूछा गया तो उर्जित पटेल ने इस पर कोई भी जवाब देने से मना कर दिया था. ऐसा माना जा रहा था केंद्र की ओर से रिजर्व बैंक पर दबाव डाला जा रहा है और बैंक स्वायत्तता को प्रभावित किया जा रहा है.