क्यों गोवा में खनन का विरोध कर रहे 45 ग्रामीण ज़मानत मिलने पर भी जेल में हैं?

गोवा के सोनशी गांव के लोगों के मुताबिक, लौह अयस्क के खनन से साफ हवा और स्वच्छ पानी की गांव में दिक्कत हो गई है.

जेल में बंद सोनाशी गांव निवासियों के परिजन (फोटो: हिंदुस्तान टाइम्स)

गोवा के सोनशी गांव के लोगों के मुताबिक, लौह अयस्क के खनन से साफ हवा और स्वच्छ पानी की गांव में दिक्कत हो गई है.

Family members of the arrested Sonshi villagers have no clue how to secure their release.(Nida Khan/HT Photo)
जेल में बंद गांववालों के परिजन हर रोज़ थाने जाकर लोगों को रिहा करने की मांग कर रहे हैं. (फोटो: हिंदुस्तान टाइम्स/निदा ख़ान)

गोवा की राजधानी पणजी से 57 किलोमीटर दूर वालपोई जिले में स्थित सोनशी गांव में खनन के विरोध के चलते 45 गांववाले जेल में हैं. सभी को ज़मानत मिल चुकी है, उसके बावज़ूद 10 हज़ार रुपये का निजी मुचलका न जमा करवाने के कारण वे अब भी जेल में हैं.

पिछले हफ़्ते इन गांव वालों को को ग़ैरक़ानूनी सभा और आपराधिक धमकी देने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था. गांववालों ने मानव श्रृंखला बनाकर खनन के बाद लौह अयस्क ले जा रहे ट्रकों का रास्ता रोक दिया था.

गांववालों की मांग है कि उनके गांव से इन खनन ट्रकों का न गुज़रने दिया जाए. साथ ही सड़क, साफ हवा, पानी और बुनियादी स्वास्थ्य सेवा देने की मांग की जा रही है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी गांववालों को ज़मानत मिल चुकी है, लेकिन ये अब भी जेल में ही हैं. इसकी वजह इनके परिजनों द्वारा 10 हज़ार रुपये का निजी मुचलका न भर पाना है. इनके परिजनों के पास इसे चुकाने के लिए पैसे ही नहीं है.

गिरफ्तार होने के बाद से ही इन गांववालों के परिवारवाले हर रोज़ वालपोई पुलिस स्टेशन के बाहर जुटते हैं और उन्हें रिहा करने की मांग करते हैं.

सोनशी गांव खनन क्षेत्र से घिरा हुआ है. पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा खनन से प्रतिबंध हटा देने के बाद गांव में फिर से खनन का काम शुरू हो गया है. इसके बाद से 75 परिवारों वाला यह गांव लाल धूल से घिरा होता है.

रिपोर्ट के अनुसार, गांववालों के ख़िलाफ़ थाने में शिकायत करने वाले व्यक्ति ने बात करने से मना करते हुए कहा कि खनन का काम करने वाली कंपनी के उच्च अधिकारी से बात करें. जब हिंदुस्तान टाइम्स ने अधिकारी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.

60 साल की ग्रामीण सुशीला गावड़े कहती हैं, ‘खनन का काम शुरू होते ही गांव का एकमात्र कुआं सूख गया. यहां पीने के पानी की समस्या है. खनन की वजह से उड़ने वाली लाल धूल से बच्चों को सांस लेने की समस्या है. गांव के स्कूल में 40 बच्चे पढ़ते थे, लेकिन खनन शुरू होने के बाद, तमाम बच्चों ने पांच किलोमीटर दूर दूसरे स्कूल में प्रवेश ले लिया. अब स्कूल में केवल आठ बच्चे ही बचे हैं.’

सुशीला के मुताबिक, 11 अप्रैल को ख़बर आई कि खनन के लिए माइनिंग कंपनी ने 117 ट्रक और तैनात कर दिए हैं, जिसके बाद गांववालों ने विरोध प्रदर्शन और तेज़ कर दिया. वह बताती हैं कि हर 20 से 30 सेकेंड पर गांव से होकर तीन से चार ट्रक गुज़रते हैं और गांव लाल धूल से भर उठता है. 117 ट्रक और बढ़ जाने से हालत और ख़राब हो जाएगी.

उधर, वालपोई थाने के इंस्पेक्टर दीपक पेडणेकर का कहना है, ‘हम गांववालों की समस्या को समझते हैं, लेकिन यह खनन कानूनी रूप से जायज़ है और यह हाईकोर्ट के आदेश पर हो रहा है. पिछली बार 2014 में इन्ही गांववालों के कारण खनन पर रोक लगी थी.’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के ज़्यादातर निवासी टैक्सी चलाने वाले हैं. गांववालों का कहना है कि उनके पास अब उम्मीद भी नहीं है क्योंकि उनके विधायक विश्वजीत राणे ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं.

उधर, विश्वजीत राणे का कहना है, ‘मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर इस मामले को गंभीरता से ले रहें हैं. ये मामला अकेले से नहीं सुलझेगा. इसके लिए कंपनी के लोगों को भी साथ लेना पड़ेगा. गांववालों की खनन बंद करने की मांग को माना नहीं जा सकता, क्योंकि गोवा सरकार को सब से बड़ा राजस्व खनन से ही मिलता है.’

बहरहाल, सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ ने इस मामले में गिरफ्तार 45 लोगों और खनन का संज्ञान लिया है. पीठ ने राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण विभाग से जवाब तलाब किया है.