मृणाल सेन 95 साल के थे. सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मभूषण, दादा साहब फाल्के और कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.
कोलकाता: जाने-माने बंगाली फिल्मकार और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित मृणाल सेन का कोलकाता में निधन हो गया. वह 95 साल के थे.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सेन ने रविवार को कोलकाता के भवानीपुर में अपने घर पर अंतिम सांस ली. मृणाल सेन के बेटे कुणाल सेन, जो शिकागो में रहते हैं, के कोलकाता आने तक उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.
मृणाल सेन ने अपने परिवार से कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद लोग उनके शरीर पर फूल और माल्यार्पण न करें और उनके पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए नहीं रखा जाना चाहिए.
मृणाल सेन के साथ काम करने वाले सौमित्र चटर्जी, धृतिमान चटर्जी, अपर्णा सेन, निर्देशक बुद्धदेव दासगुप्ता और अंजना दत्ता जैसे प्रतिष्ठित अभिनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.
सौमित्र चटर्जी ने कहा, ‘मैंने आज अपने मार्गदर्शक स्टार को खो दिया. एक युग का अंत हो गया.’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सेन के निधन पर शोक व्यक्त किया.
Saddened at the passing away of Mrinal Sen. A great loss to the film industry. My condolences to his family
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 30, 2018
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मृणाल सेन के निधन पर दुख हुआ. ये फिल्म इंडस्ट्री को बहुत बड़ा नुकसान है. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं.’
वहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी मृणाल सेन के निधन पर दुख प्रकट किया है. उन्होंने ट्विटर पर मृणाल सेन का एक वीडियो साझा करते हुए संवेदनाएं व्यक्त किया है.
Mrinal Sen’s passing away is a big loss not only to Cinema but to the world of Culture & India's civilisational values. Mrinal da radicalised Cinematography by his people-centric humanistic narrative. Deepest condolences. https://t.co/SXkwr5NQKf
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) December 30, 2018
येचुरी ने ट्वीट में लिखा, ‘मृणाल सेन का निधन न केवल सिनेमा बल्कि संस्कृति की दुनिया और भारत के मूल्यों के लिए एक बड़ी क्षति है. मृणाल दा ने अपनी लोक-केंद्रित मानवतावादी कथा के जरिए सिनेमैटोग्राफी व्यापक बदलाव किया. दिल से संवेदना.’
मृणाल सेन विख्यात फिल्मकार थे. उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से नवाजा गया है. उन्हें बैशे सरबन (बंगाली, 1960), भुवन शोम (हिंदी, 1969), मृगया (हिंदी, 1976), ओका ऊरी कथा (तमिल, 1977), अकालेर संधाने (बंगाली, 1980), ख्रिज (बंगाली, 1982) और खंडहर (हिंदी, 1983) जैसी कालजयी फिल्मों के लिए जाना जाता है.
मृणाल सेन ने साल 1955 में अपनी पहली फीचर फिल्म रात भोरे बनाई थी, जिसमें उत्तम कुमार ने अभिनय किया था. मृणाल सेन को साल 2005 में भारत का सर्वोच्च फिल्म सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. सेन ने कान्स, बर्लिन, वेनिस और मॉस्को सहित कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार जीते थे.
मृणाल सेन को उनकी फिल्मों के सौंदर्य और तकनीकी के लिए जाना जाता है, जो आमतौर पर सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर आधारित होती हैं और अक्सर उसमें एक राजनीतिक बदलाव आता है.