राज्य में बस्तर क्षेत्र के झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को विधानसभा चुनाव से पहले नक्सलियों ने कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था. इस हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी.
रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने झीरम घाटी नक्सल हमले मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने बस्तर जिले के दरभा थाना क्षेत्र की झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को हुई घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश जारी कर दिया है.
पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश के अनुसार बस्तर रेंज जगदलपुर के पुलिस महानिरीक्षक विवेकानंद एसआईटी के प्रभारी होंगे.
विशेष जांच टीम में पुलिस उपमहानिरीक्षक (नक्सल अभियान) सुंदरराज पी., एमएल कोटवानी, सेनानी, सुरक्षा वाहिनी माना (रायपुर), गायत्री सिंह, उप-सेनानी, तीसरी वाहिनी अमलेश्वर (दुर्ग), राजीव शर्मा, उप-पुलिस अधीक्षक सराईपाली (जिला महासमुंद), आशीष शुक्ला, निरीक्षक, जिला रायपुर, प्रेमलाल साहू, निरीक्षक, विशेष आसूचना शाखा, नरेंद्र शर्मा, सेवानिवृत्त उप-पुलिस अधीक्षक बिलासपुर, एनएन चतुर्वेदी, विधि विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त उप संचालक अभियोजन और एमके वर्मा, विधि विज्ञान विशेषज्ञ को सदस्य बनाया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि विशेष जांच दल का आदेश पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने जारी किया है.
गौरतलब है कि राज्य के बस्तर क्षेत्र के झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को विधानसभा चुनाव से पहले नक्सलियों ने कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था. इस हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी.
हालांकि, झीरमघाटी हमला मामले की एनआईए ने जांच की है. कांग्रेस ने इस हमले के पीछे षडयंत्र की आशंका जताई है. राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इस मामले की एसआईटी से जांच कराने की घोषणा की गई थी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि इस मामले की एनआईए की जांच हुई है, लेकिन एनआईए ने षडयंत्र की जांच नहीं की है. एसआईटी की जांच से षड़यंत्र और इसके पीछे कौन लोग हैं? यह सामने आ सकेगा.
भाजपा सरकार में झीरम घाटी हमले पर एनआईए ने जांच की थी. एनआईए की विशेष अदालत में पेश की गई फाइनल रिपोर्ट में कहा गया है कि झीरम हमला सरकार को उखाड़ फेंकने की एक चाल थी. ये हमला दहशत फैलाने के लिए किया गया था. हालांकि कांग्रेस पार्टी इसे एक योजनाबद्ध षड्यंत्र मानती रही है.
2013 में झीरम हमले की जांच तत्कालीन यूपीए सरकार ने एनआईए को सौंपी थी, लेकिन चार सालों की जांच के बाद एनआईए की रिपोर्ट में कोई उल्लेखनीय तथ्य सामने नहीं आया. एनआईए ने इसे नक्सली हमला करार दिया था.
इसके अलावा छत्तीसगढ़ की रमन सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा के नेतृत्व में न्यायिक आयोग बनाया था. आयोग में अभी भी मामले की सुनवाई जारी है.
पत्रिका के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि झीरम मामले की जांच एनआईए कर रही है, इसलिए एसआईटी की जांच शुरू होने के पहले एनआईए को पत्र लिखकर केस वापस लेने को कहा गया है. इसके बाद ही एसआईटी नए सिरे से जांच करेगी.
खबर के अनुसार बस्तर की दरभा थाना के अंतर्गत झीरम घाटी में हुए हमले की जांच कर रही एनआईए से पूरा मामला हस्तांतरित होगा. एसआईटी की स्पेशल टीम नए सिरे से मामले की जांच करेगी.
एसआईटी की टीम घटनास्थल का दौरा कर प्रकरण से जुड़े सभी लोगों से पूछताछ कर सकती है. साथ ही मिले तथ्यों के आधार पर संदेह के दायरे में आने वाले लोगों के साथ पूछताछ की जा सकती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)