अब आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में आने वाले सामान्य वर्ग के लोगों के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान होगा. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि चुनावी फायदे के लिए सरकार अंतिम समय में आनन-फानन में ये विधेयक पास करा रही है.
नई दिल्ली: संसद ने बीते बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के 124वां संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक लगभग नौ घंटे तक चली लंबी बहस के बाद बुधवार की देर रात विधेयक को राज्यसभा में पारित किया गया. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि चुनावी फायदे के लिए सरकार अंतिम समय में आनन-फानन में ये विधेयक पास करा रही है.
विपक्ष के आरोपों पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘क्रिकेट मैच के आखिरी ओवर में ही छक्के मारे जाते हैं और भविष्य में ऐसे और भी छक्के मारे जाएंगे.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधेयक को सामाजिक न्याय की जीत कहा है. ये विधेयक राज्यसभा में दो तिहाई की बहुमत 165-7 के जरूरी आंकड़े से पारित किया गया.
बहस के दौरान डीएमके सांसद कनिमोझी ने विधेयक को चयन समिति के पास भेजने की मांग की, हालांकि वो 155-18 मतों से हार गईं. दोनों सदनों से पास हो चुके इस विधेयक को अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.
बहस के दौरान कानून मंत्री ने सामान्य श्रेणी में ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण की सिफारिश करने वाली साल 2010 की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस से कहा, ‘2010 से 2014 तक इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करने से आपको किसने रोका था? आपने काम नहीं किया और अब आप हमसे पूछ रहे हैं कि हम क्यों काम कर रहे हैं? हम आज इतिहास बना रहे हैं और हर कोई विधेयक का समर्थन कर रहा है.’
कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने सदन का ध्यान इस ओर खींचा कि आठ लाख रुपये वार्षिक परिवार की आय का मतलब है एक महीने में 66,000 रुपये कमाने वाले परिवार को इस आरक्षण का लाभ मिलेगा. तो सरकार किस आधार पर इससे कम कमाने वाले एस/एसटी परिवार को इस आरक्षण का लाभ लेने से रोक सकती है.
उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पूर्व में न्यायिक जांच का सामना करने में विफल रहा है. उन्होंने कहा, ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत का कोटा मंडल आयोग की सिफारिश है. इंद्रा साहनी मामले में, सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह असंवैधानिक है. मैं सरकार से इस सदन को उन सरकारी विधि अधिकारी का नाम बताने का आग्रह करता हूं जिसने आपको बताया कि यह संवैधानिक रूप से मान्य है.’
राजद सांसद मनोज झा ने सरकार से पूछा कि 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला उन्होंने किन आंकड़ों के आधार पर किया है. उन्होंने कहा, ‘हर कोई जानता है कि नाव लीक हो रही है, हर कोई जानता है कि कप्तान झूठ बोलता है. आप चाहते हैं कि हम लीक वाली नाव का गुणगान करें.’