उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि रथयात्रा के लिए भाजपा अगर संशोधित योजना के साथ आती है तो उस पर विचार किया जा सकता है. भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई को रैली और सभाएं करने की अनुमति मिली.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में रथयात्रा निकालने के लिए भाजपा को मंज़ूरी देने से सोमवार को इनकार कर दिया. हालांकि न्यायालय की ओर से कहा गया है कि भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई रैली और सभाएं कर सकती है.
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा है कि रथयात्रा के लिए भाजपा अगर संशोधित योजना के साथ आती है तो उस पर विचार किया जा सकता है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई से कहा कि वह अपनी प्रस्तावित ‘रथ यात्रा’ का परिवर्तित कार्यक्रम अधिकारियों को दे और उनसे आवश्यक मंज़ूरी प्राप्त करे.
पीठ ने राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार से कहा कि वह संविधान में प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार को ध्यान में रखते हुए रथयात्रा के लिए भाजपा के परिवर्तित कार्यक्रम पर विचार करे.
पीठ ने कहा कि जहां तक संभावित क़ानून व्यवस्था की स्थिति के प्रति राज्य सरकार की आशंका का संबंध है तो उसे ‘निराधार’ नहीं कहा जा सकता और भाजपा को तर्कसंगत तरीके से इन आशंकाओं को दूर करने के लिए सभी संभव क़दम उठाने होंगे.
शीर्ष अदालत ने इससे पहले पश्चिम बंगाल में रथयात्रा आयोजित करने के लिए भाजपा की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. भाजपा की राज्य इकाई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 21 दिसंबर, 2018 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसने उसकी रथयात्रा को अनुमति देने के एकल न्यायाधीश के आदेश को निरस्त कर दिया था.
इस मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि भाजपा ने अब अपना ‘लोकतंत्र बचाओ रथयात्रा’ कार्यक्रम 40 दिन से घटाकर 20 दिन कर दिया है और अब उसकी ‘‘यात्राएं’’ मुर्शीदाबाद में बहरामपुर, दक्षिण 24 परगना ज़िले में डायमंड हार्बर, मेदिनीपुर और कोलकाता उत्तर संसदीय क्षेत्र से शुरू होंगी.
इस वकील ने बताया कि स्कूलों की आगामी परीक्षाओं और आम चुनावों को ध्यान में रखते हुये यह निर्णय लिया गया है.
इससे पहले, भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने राज्य में रैली निकालने की अनुमति के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. इस आयोजन के माध्यम से राज्य के 42 संसदीय क्षेत्रों में सभाएं आयोजित की जानी थीं.
भाजपा का कहना था कि शांतिपूर्ण तरीके से यात्राएं आयोजित करना उसका मौलिक अधिकार है जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता.
भाजपा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि राज्य सरकार बार-बार नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर हमला कर रही है जिसकी वजह से राज्य सरकार की गतिविधियों को चुनौती देते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं.
भाजपा ने दावा किया था कि पहले भी कई बार अंतिम क्षणों में उसे अनुमति देने से इनकार किया जा चुका है. भाजपा का आरोप है कि 2014 से ही राज्य में पार्टी राजनीतिक प्रतिशोध का सामना कर रही है.
बता दें कि भाजपा ‘लोकतंत्र बचाओ’ अभियान के तहत ये रथयात्राएं आयोजित करना चाहती है. 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा इस रथयात्रा के माध्यम से पश्चिम बंगाल के 42 संसदीय क्षेत्रों में पहुंचने का प्रयास कर रही थी.
मूल कार्यक्रम के तहत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बंगाल के कूच बिहार ज़िले से बीते साल सात दिसंबर को इस रथयात्रा की शुरुआत करने वाले थे. इसके बाद यह रथयात्रा नौ दिसंबर को दक्षिणी 24 परगना के काकद्वीप और 14 दिसंबर को बीरभूम में तारापीठ मंदिर से शुरू होनी थी.
भाजपा के इस कार्यक्रम को राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने अनुमति नहीं दी थी. राज्य सरकार ने ऐसा होने पर इससे सांप्रदायिक तनाव और हिंसा फैलने का अंदेशा जताया था. इसके बाद भाजपा ने राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए अदालत रुख़ किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)