जेएनयू राजद्रोह: कोर्ट ने पुलिस से पूछा, सरकार की मंज़ूरी बिना आरोप-पत्र क्यों दाख़िल किया

कोर्ट ने कहा कि समुचित मंज़ूरी बिना अदालत आरोप-पत्र पर संज्ञान नहीं लेगी. जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, पूर्व छात्र उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने का आरोप है.

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उमर ख़ालिद और कन्हैया कुमार. (फोटो: पीटीआई)

कोर्ट ने कहा कि समुचित मंज़ूरी बिना अदालत आरोप-पत्र पर संज्ञान नहीं लेगी. जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, पूर्व छात्र उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने का आरोप है.

उमर ख़ालिद और कन्हैया कुमार. (फोटो: पीटीआई)
उमर ख़ालिद और कन्हैया कुमार. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज 2016 के राजद्रोह मामले में समुचित मंज़ूरी लिए बिना आरोप-पत्र दायर करने को लेकर शनिवार को दिल्ली पुलिस से सवाल किए.

अदालत ने शनिवार को दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि समुचित मंजूरी लिए बिना कैसे आरोप-पत्र दायर की गई.

फिलहाल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत ने दिल्ली पुलिस को सभी संबंधित मंज़ूरियां लेने के लिए छह फरवरी तक का वक्त दिया है. इससे पहले दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा था कि वह 10 दिन के भीतर अनुमति ले लेगी.

अदालत ने पुलिस से पूछा, ‘आपने कानूनी विभाग की मंजूरी के बगैर आरोप-पत्र दायर क्यों किया? आपके पास विधि विभाग नहीं है क्या?’

एनडीटीवी खबर के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि जब तक दिल्ली सरकार आरोप-पत्र दायर करने की मंजूरी नहीं देती, तब तक कोर्ट इस पर संज्ञान नहीं लेगी. आरोप-पत्र पर पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी.

मालूम हो कि राजद्रोह के मामले में सीआरपीसी की धारा 196 के तहत जब तक सरकार मंजूरी नहीं दे देती, तब तक कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सकता.

राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार से अनुमति लेनी होती है और यह दिल्ली सरकार का कानून विभाग देता है. इसके अलावा अनुमति लेने के लिए फाइल को एलजी के पास भेजा जाता है. अगर मंजूरी नहीं मिलती है तो आरोप-पत्र पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेता.

राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस ने बीते 14 जनवरी को छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों के ख़िलाफ़ 1,200 पन्नों का आरोप-पत्र दाखिल कर कहा था कि वे परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर 9 फरवरी, 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है.

पुलिस ने 9 फरवरी, 2016 को आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ राष्ट्र-विरोधी नारे लगाने का भी आरोप लगाया है. यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफज़ल गुरु को फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था.

इस मामले में कश्मीरी छात्र-छात्राओं आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के ख़िलाफ़ भी आरोप-पत्र दाखिल किए गए.

पुलिस ने आरोप-पत्र में दावा किया है कि गवाहों ने यह भी कहा कि कन्हैया घटनास्थल पर मौजूद थे जहां प्रदर्शनकारियों के हाथों में अफजल के पोस्टर थे. अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि कन्हैया ने सरकार के ख़िलाफ़ नफ़रत और असंतोष भड़काने के लिए खुद ही भारत विरोधी नारे लगाए थे.

भाजपा के सांसद महेश गिरी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में 11 फरवरी, 2016 को अज्ञात व्यक्तियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए तथा 120बी के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.

एबीवीपी ने कथित आयोजन को ‘राष्ट्र विरोधी’ बताते हुए शिकायत की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति रद्द कर दी थी. इसके बावजूद यह आयोजन हुआ था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)