दारुल उलूम के प्रभारी ने बताया, ‘दो साल पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर पुलिस ने मदरसे के छात्रों को हिरासत में लिया था और मीडिया ने उन्हें आतंकी बता दिया था. हालांकि अगले ही दिन उन्हें छोड़ दिया गया, लेकिन मीडिया ने नहीं बताया कि उसने ग़लत जानकारी चला दी थी. दारुल उलूम नहीं चाहता कि ऐसी कोई घटना दोबारा हो.’
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम देवबंद मदरसा ने गणतंत्र दिवस को देखते हुए अपने छात्रों से अपील की है कि अगर संभव हो तो वे यात्रा करने से बचें. सुरक्षा जांच की संभावना का हवाला देते हुए उसने कहा कि इस समय ऐसा माहौल बनाया जाता है जिससे भय और असुरक्षा की भावना पैदा होती है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, उर्दू में जारी किए गए इस निर्देश में कहा गया है, ‘अगर यात्रा करना बहुत जरुरी है तो छात्रों को संयम दिखाना चाहिए और किसी भी तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहिए. अपना काम खत्म करके उन्हें तत्काल अपने मदरसे वापस लौट आना चाहिए.’
यह निर्देश मदरसा परिसर में लगाया गया है. हालांकि, मदरसा या उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति ने इस सूचना को परिसर के बाहर प्रचारित करने की मांग नहीं की है.
162 साल पुराने इस मदरसे के छात्रावास के प्रभारी मौलाना मुनीर उद्दीन उस्मानी ने देवबंद में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कई दिनों की बैठक के बाद ये निर्देश जारी किए गए हैं. वे उन पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे जिन्हें इन निर्देशों की जानकारी मिली थी या स्क्रीनशॉट मिला था. उन्होंने इस संबंध में कोई प्रेस कांफ्रेंस आयोजित नहीं की.
उस्मानी ने कहा, ‘राष्ट्रीय महत्व के दिनों में पुलिस और अन्य विभाग अपनी सुरक्षा जांच बढ़ा देते हैं. पूर्व में हमारे छात्रों को न सिर्फ प्रताड़ित किया गया है बल्कि कुछ लोगों द्वारा उन पर हमला भी किया गया है. इसलिए अगर यात्रा करना बहुत जरुरी है तो उन्हें अधिक सावधान रहने की जरूरत है.’
मदरसे के एक पूर्व सदस्य और स्थानीय मौलाना मु्फ्ती असद कासमी ने कहा, ‘पुलिस ने दो साल पहले दारुल उलूम के छात्रों को गणतंत्र दिवस के मौके पर हिरासत में लिया था और मीडिया में उन्हें आतंकी बताया था. हालांकि अगले दिन ही उन्हें रिहा कर दिया गया. मीडिया ने यह बात साफ नहीं की कि उन्होंने गलत जानकारी चलाई थी. दारुल उलूम नहीं चाहता कि ऐसी घटना दोबारा हो.’
कासमी ने कहा, ‘मदरसे के छात्रों पर पिछले साल सहारनपुर और बागपत में ट्रेनों और प्लेटफॉर्म पर हमला किया गया था. इसके साथ ही साल 2017 में सहारनपुर में भी उन पर हमला किया गया था लेकिन इन तीनों ही मामलों में आरोपियों की पहचान नहीं की गई.’
दारुल उलूम के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अशरफ उस्मानी ने कहा, ‘यह नियमित तौर पर जारी किए जाने वाले निर्देशों की तरह ही है और इसका कोई अन्य मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. हम छात्रों की सुरक्षा चाहते हैं इसलिए राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर उन्हें सचेत करते रहते हैं.’
वहीं, पत्रकारों के सवालों पर सहारनपुर जिले एक पुलिस अधिकारी ने ऐसे किसी निर्देश की जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया. बता दें कि देवबंद लखनऊ से 600 किमी दूर सहारनपुर जिले में स्थित है.
अपना नाम गुप्त रखे जाने की शर्त पर पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा हो सकता है कि पूर्व में उन घटनाओं को प्रताड़ना समझा गया हो जब सुरक्षा एजेंसियां कोई लापरवाही न बरतना चाहती हों और संदेह की स्थिति में छात्रों को हिरासत में ले ली हों. ऐसा कोई नोटिस जारी करने की बजाय मदरसा प्रबंधन को प्रशासन के पास आना चाहिए और विरोध दर्ज कराना चाहिए.’
भाजपा के अल्पसंख्यक संगठन के स्थानीय नेता मोहम्मद अनवर ने निर्देश को अजीब बताते हुए कहा, ‘हम गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर सफर करते हैं. राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर हमारी महिलाएं भी बुर्का पहनकर बाहर जाती हैं. पुलिस या बहुसंख्यक समुदाय के लोग कभी भी उन्हें प्रताड़ित नहीं करते हैं. दारुल उलूम को भय का माहौल नहीं बनाना चाहिए.’