इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, असम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.
नई दिल्ली/आइज़ोल/गुवाहाटी: गणतंत्र दिवस के अवसर पर देशभर में आयोजित रंगारंग परेड के दौरान निकली मनमोहक झांकियों में राज्यों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों और विकास यात्रा की झलक देखने को मिली.
सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के बीच समारोह आयोजित किये गए. हालांकि पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में कुछ संगठनों द्वारा नागरिकता विधेयक के विरोध चलते बहिष्कार के आह्वान से समारोहों पर असर पड़ा. कुछ संगठनों ने गणतंत्र दिवस समारोह का बहिष्कार किया.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्य में गणतंत्र दिवस समारोहों का बहिष्कार करने वाले संगठनों से नाराज़गी जताई. संगठनों ने नागरिकता विधेयक के ख़िलाफ़ समारोहों का बहिष्कार किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन संगठनों को इसके बजाय जनादेश हासिल करने के लिए चुनाव में उतरना चाहिए.
मणिपुर राइफल्स परेड ग्राउंड में सिंह ने हालांकि कहा अगर विधेयक राज्य की जनता के हितों को नुकसान पहुंचाएगा तो राज्य सरकार चुप नहीं बैठेगी.
मिज़ोरम के राज्यपाल कुम्मानम राजशेखरन ने 70वें गणतंत्र दिवस पर लगभग खाली पड़े मैदान में अपना संबोधन दिया.
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य की सीमाओं की सुरक्षा के लिए क़दम उठाए जाएंगे. साथ ही सीमाई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के विकास के लिए कल्याणकारी योजनाओं को अहमियत दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य को भारत का सर्वाधिक स्वच्छ राज्य बनाने की दिशा में काम करना जारी रखेगी.
दरअसल नागरिक (संशोधन) विधेयक के विरोध में संगठनों ने गणतंत्र दिवस के राज्यव्यापी बहिष्कार की घोषणा की थी जिसके बाद शनिवार को राष्ट्रीय पर्व में लोग शामिल नहीं हुए.
पुलिस ने बताया कि इस कार्यक्रम में आम लोग शामिल नहीं हुए. केवल मंत्री, विधायक और उच्च अधिकारियों ने ही इसमें शिरकत की.
कार्यकम के बहिष्कार का आह्वान स्वयंसेवी संगठन कोऑर्डिनेशन कमेटी ने किया था. यह नागरिक समाज एवं छात्र इकाइयों का संगठन है.
नगालैंड में भी नागरिकता विधेयक के विरोध में कुछ प्रमुख संगठनों के बहिष्कार के आह्वान के बीच गणतंत्र दिवस समारोह की धूमधाम कम रही. छात्र-छात्राओं और आम जनता ने समारोहों में भाग नहीं लिया.
आठ जनवरी को लोकसभा से पारित हो चुके नागरिकता (संशोधन) विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भागकर भारत में शरण लेने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.
नागरिकता विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत में छह साल निवास करने के बाद किसी दस्तावेज़ बिना भी नागिरकता दिये जाने का प्रावधान है. फिलहाल ऐसे लोगों को 12 वर्ष भारत में निवास करने के बाद नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है.
असम पुलिस ने लोगों को काले कपड़ों में गणतंत्र दिवस समारोहों में आने से रोका
असम पुलिस ने बीती 26 जनवरी को नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध की आशंका के मद्देनज़र गणतंत्र दिवस के अधिकारिक कार्यक्रमों में लोगों को काले कपड़ों में जाने से रोका.
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ राज्य में व्यापक प्रदर्शन जारी हैं. पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को उनके दौरे पर काले झंडे दिखाए जा रहे हैं.
गुवाहाटी स्थित वेटनरी कॉलेज खेल मैदान में 70वें गणतंत्र दिवस का मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था. वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों जैसे वीवीआईपी की उपस्थिति को देखते हुये कई स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.
सभी प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर्स लगाए गये थे और सभी आगंतुकों की तलाशी ली गई. सामान्य प्रतिबंधित सामग्रियों में इस बार काले कपड़ों को भी शामिल किया गया था.
मिज़ोरम: मिज़ो नेशनल फ्रंट ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर राजग से गठबंधन तोड़ने की चेतावनी दी
आइज़ोल: मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने बीती 24 जनवरी को कहा कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक को रद्द नहीं किया गया तो सत्ताधारी मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) राजग के साथ गठबंधन तोड़ने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाएगी.
आइज़ोल के एबॉक गांव में अपनी पार्टी मिज़ो नेशनल फ्रंट के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ज़ोरमथंगा ने कहा था कि पार्टी और उनकी सरकार विधेयक को रद्द करने के लिये हरसंभव प्रयास कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘अगर यही हालात रहे तो उनकी पार्टी राजग से नाता तोड़ लेगी.’
नगालैंड पर नागरिकता विधेयक लागू नहीं हो सकता: मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो
कोहिमा: नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है कि नागरिकता विधेयक राज्य पर लागू नहीं हो सकता क्योंकि इसे संविधान के अनुच्छेद 371 (ए) के तहत संरक्षण प्राप्त है.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बीती 20 जनवरी को जारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि राज्य को संविधान के अनुच्छेद 371 (ए) और बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन 1873 के तहत इनर लाइन परमिट के तहत संरक्षण मिला हुआ है.
इस अनुच्छेद में नगालैंड के लिये विशेष प्रावधान किए गए हैं.
इसमें कहा गया है कि नगाओं की धार्मिक या सामाजिक परंपराओं, नगा प्रथाओं संबंधी कानून एवं प्रक्रिया, नगा प्रथा कानून के अनुसार निर्णय लेने वाले नागरिक एवं आपराधिक न्याय के प्रशासन, भूमि एवं उसके संसाधनों का स्वामित्व और हस्तांतरण से जुड़े मामलों पर संसद का कोई कानून तब तक लागू नहीं हो सकता, जब तक राज्य विधानसभा ऐसे निर्णयों के संबंध में प्रस्ताव पारित नहीं कर देती.
बैठक में नागरिकता विधेयक के नगालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों पर पड़ने वाले असर को लेकर चर्चा हुई. यह विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा से पारित हो चुका है.
विज्ञप्ति में कहा गया कि कैबिनेट के निर्णय के अनुसार मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया है.
बैठक के दौरान राज्य की कैबिनेट ने केंद्र सरकार से यह अपील करने का निर्णय लिया कि वह सभी पूर्वोत्तर राज्यों के साथ विचार विमर्श कर यह सुनिश्चित करे कि इन राज्यों के मूल निवासियों के हित पूरी तरह सुरक्षित हैं.
अरुणाचल प्रदेश: विजयनगर में ग्रामीणों ने वायुसेना के हेलिकॉप्टर को उतरने से रोका
ईटानगर: राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री कामलुंग मोसांग ने कहा कि चांगलांग ज़िले के विजयनगर के स्थानीय निवासियों ने बीती 23 जनवरी को एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) में भारतीय वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर को उतरने नहीं दिया.
विजयनगर के एक पूर्व ज़िला पार्षद सदस्य के हवाले से मोसांग ने कहा कि भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर के उतरने से रोकने के लिए स्थानीय लोग पूरे रनवे पर फैल गए थे. ग्रामीणों द्वारा उत्पादित इलायची को हेलीकॉप्टर से मिआओ तक नहीं ले जाया गया, जिसका विरोध करने के लिए ग्रामीणों ने ऐसा किया.
विजयनगर के पास के 11 गांवों के लोगों ने 20 जनवरी को एएलजी के रनवे पर उग आए घास और काई की सफाई की थी, जो 2016 के बाद से इस्तेमाल नहीं किए जाने के कारण बढ़ गए थे.
मंत्री ने कहा कि ग्रामीणों ने दावा किया कि उन्होंने रनवे की सफाई इस शर्त पर की थी कि वायुसेना का हेलीकॉप्टर विजयनगर से मिआओ लौटते वक्त उनके द्वारा पैदा की गई इलरायची को रखकर ले जाएगा. लेकिन हेलीकॉप्टर इलायची नहीं ले गया, जिससे गुस्साये लोगों ने विजयनगर में हेलीकॉप्टर को उतरने नहीं दिया.
आईएएफ की तरफ से कोई भी अधिकारी इस पर बयान देने के लिए उपलब्ध नहीं हो सका.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)