सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने अपनी जांच में चंदा कोचर को कर्जदाता आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया. 34 सालों तक आईसीआईसीआई बैंक में काम करने वाली कोचर ने कहा कि वह बेहद निराश, दुखी और हैरान हैं.
नई दिल्ली: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर को 10 महीनों पहले वंशवाद और हितों के टकराव के आरोपों से मुक्त करने वाले बैंक के बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की जांच पर विचार करते हुए बुधवार को अपना फैसला बदल लिया. कोचर को बर्खास्त करने के साथ बोर्ड ने 2009 से उन्हें दिए गए सभी बोनस को भी वापस लेने का फैसला किया जो कि बैंक का शीर्ष पद मिलने के बाद उन्हें दिए गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च 2018 को इस मामले में सवाल पूछे जाने पर बैंक ने कहा था कि बोर्ड इस नतीजे पर पहुंचा है कि विभिन्न अफवाहों के आधार पर किसी वंशवाद या हितों के टकराव का कोई सवाल पैदा नहीं होता है. बोर्ड को पूरा विश्वास है और बैंक की सीईओ एवं एमडी चंदा कोचर में अपना पूरा भरोसा जताता है.
हालांकि अपनी इस रिपोर्ट में जस्टिस श्रीकृष्षा ने चंदा कोचर को कर्जदाता आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने बैंक को दी गई सालाना घोषणाओं को बताने में ईमानदारी नहीं बरती.
बुधवार को आईसीआईसीआई बैंक ने कहा था कि बोर्ड ने फैसला लिया है कि कोचर के इस्तीफे को उनकी ‘गंभीर गलतियों के लिए बर्खास्तगी’ के तौर लेगा. इसके साथ ही अप्रैल 2009 से मार्च 2018 तक उनको दिए गए सभी तरह के बोनस को वापस लेगा और इस मामले में आवश्यक सभी जरूरी कदम उठाएगा.
हालांकि, आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि इस जांच के नतीजों का बैंक की आर्थिक स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
34 सालों तक आईसीआईसीआई बैंक में अपनी सेवाएं देने वाली कोचर ने बैंक के फैसले पर कहा कि वह बेहद निराश, दुखी और हैरान हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे रिपोर्ट की कॉपी नहीं दी गई है. मैं एक बार फिर दोहरा रही हूं कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी निर्णय एकतरफा नहीं होता है. बैंक ने पूरी प्रक्रिया और प्रणाली स्थापित की है, जिसमें एक समिति आधारित सामूहिक निर्णय लिया जाता है. बैंक का संगठनात्मक ढांचा और संरचना हितों के टकराव की संभावना को कम करती है.’
कोचर ने कहा, ‘मैंने अपने करियर को पूरी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ाया है. एक पेशेवर के रूप में मुझे अपने आचरण पर पूरा विश्वास है. मुझे पूरा भरोसा है कि अंत में सत्य की जीत होगी.’
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपये का लोन देने और इसके बदले में वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत द्वारा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को कारोबारी फ़ायदा पहुंचाने का आरोप है.
लोन का 86 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 2810 करोड़ रुपये चुकाया नहीं गया था. इसके बाद, 2017 में आईसीआईसीआई द्वारा वीडियोकॉन के खाते को एनपीए में डाल दिया गया.
दिसंबर 2008 में धूत ने दीपक कोचर और चंदा कोचर के दो अन्य रिश्तेदारों के साथ एक कंपनी खोली, उसके बाद इस कंपनी को अपनी एक कंपनी द्वारा 64 करोड़ रुपये का लोन दिया. इसके बाद उस कंपनी (जिसके द्वारा लोन दिया गया था) का स्वामित्व महज 9 लाख रुपयों में एक ट्रस्ट को सौंप दिया, जिसके प्रमुख दीपक कोचर हैं.