‘द हिंदू’ अख़बार ने खुलासा किया है कि रफाल सौदे में पीएमओ ने फ्रांस सरकार से समानांतर बातचीत की थी. इस बातचीत ने इस सौदे पर रक्षा मंत्रालय और भारतीय वार्ताकार टीम की बातचीत को कमज़ोर किया. इस रिपोर्ट को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ख़ारिज करते हुए कहा है कि अख़बार ने पत्रकारीय मूल्यों का पालन नहीं किया.
नई दिल्ली: रफाल सौदे को लेकर ‘द हिंदू’ अख़बार की विशेष पड़ताल पर मचे सियासी घमासान पर रक्षा मंत्रालय की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया है. इसे लेकर ‘द हिंदू’ समूह के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने कहा है कि मुझे रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है.
लोकसभा में विपक्ष पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है. उनकी (विपक्ष) वायुसेना को मजबूत बनाने में कोई रुचि नहीं है.’
उन्होंने ‘द हिंदू’ में प्रकाशित रिपोर्ट को भी गलत ठहराया है.
रिपोर्ट में रफाल सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के हस्तक्षेप के आरोपों को ख़ारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेना हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के दौरान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) बनाई गयी थी जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं, उसका पीएमओ में कितना हस्तक्षेप था?
एनडीटीवी के अनुसार, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘इस रिपोर्ट में अख़बार को पत्रकारीय मूल्यों का पालन करना चाहिए था और अगर अख़बार चाहता था कि सच्चाई सामने आए तो उसे तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का बयान भी शामिल करना चाहिए था. पर्रिकर ने कहा था कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है और चीजें अच्छे तरीके से आगे बढ़ रही हैं.’
N Ram, Chairman of The Hindu Group: I don’t need any certificate from Nirmala Sitharaman. Now they are in big trouble&trying to cover up. My only advice to her would be, ‘You are not involved in transaction, why you take upon yourself the burden of justifying the indefensible?' pic.twitter.com/dzde151bZo
— ANI (@ANI) February 8, 2019
‘द हिंदू’ अख़बार द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ग़लत ठहराए जाने पर एन. राम ने कहा, ‘मुझे निर्मला सीतारमण की ओर से किसी भी सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है. अब वे बड़ी मुश्किल में पड़ गए हैं. उन्हें मेरी तरफ से सलाह ये है कि आप जब समझौते में शामिल नहीं थीं तो फिर किसी ऐसी चीज़ का बोझ अपने सिर क्यों ले रही हैं, जिसका बचाव नहीं किया जा सकता है.’
#WATCH: N Ram, Chairman of The Hindu Group reacts on MoD's dissent note on Rafale negotiations. He says "The story is complete in itself because we have not dealt with Manohar Parrikar's role in this & that needs investigation." pic.twitter.com/LMFUdTnoBz
— ANI (@ANI) February 8, 2019
एन. राम ने कहा, ‘यह रिपोर्ट अपने आप में पूरी है और मैं मनोहर पर्रिकर की भूमिका क्या थी और क्या नहीं, इस पर कुछ नहीं कहा है, यह जांच का विषय है.’ उन्होंने कहा, ‘मनोहर पर्रिकर की भूमिका की अलग से जांच होनी चाहिए कि उनसे सलाह ली गई थी या नहीं. उन्होंने यह स्वीकार किया है कि वह उनसे संपर्क (पीएमओ) में थे, लेकिन उन्होंने कोई एक कोई पक्ष नहीं लिया है.’
N Ram, Chairman of The Hindu Group, on MoD's dissent note on Rafale negotiations: Manohar Parrikar’s role has to be separately investigated further, whether he was consulted on it. He clarifies that he has been in touch. But he is not taking any stand. pic.twitter.com/ZGpLvEbChW
— ANI (@ANI) February 8, 2019
द हिंदू की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और फ्रांस के बीच 7.87 अरब यूरो के विवादित रफाल सौदे को लेकर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से समानांतर बातचीत का रक्षा मंत्रालय ने विरोध किया था.
अख़बार ने खुलासा किया है कि रफाल सौदे में पीएमओ ने फ्रांस सरकार से समानांतर बातचीत की थी. अखबार का कहना है कि यह स्पष्ट था कि पीएमओ की ओर से इस तरह की समानांतर बातचीत ने इस सौदे पर रक्षा मंत्रालय और भारतीय वार्ताकार टीम की बातचीत को कमजोर किया.
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2015 में पेरिस में इस समझौते का ऐलान किया था. 26 जनवरी 2016 को जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भारत आए थे तब इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे.