भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की ओर से की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र पाकिस्तान के समर्थन और भारत विरोधी नारा लगा रहे थे. छात्रों ने इसे ख़ारिज करते हुए आरोप लगाया है कि एएमयू को रिपब्लिक टीवी की टीम ने ‘आतंकवादियों का विश्वविद्यालय’ कहा, जिसके बाद विवाद हुआ.
नई दिल्ली: हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) परिसर में प्रवेश न करने देने की मांग को लेकर आरएसएस के युवा संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदर्शन और एक समाचार चैनल की टीम से छात्रों द्वारा कथित तौर पर मारपीट को लेकर परिसर में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ द्वारा मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल उल मुस्लिमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को आमंत्रित किया गया था. इसके विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कुछ कार्यकर्ताओं ने एएमयू के फ़ैज़ गेट के पास प्रदर्शन किया.
हालांकि ओवैसी कार्यक्रम में नहीं आए, मगर इसी बीच कार्यक्रम की कवरेज करने आई रिपब्लिक टीवी की टीम की कुछ छात्रों से बहस हो गई. यूनिवर्सिटी में एबीवीपी और रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों के साथ कथित झड़प के बाद मंगलवार शाम को यूनिवर्सिटी के चौदह छात्रों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है.
स्क्रॉल डॉट इन के मुताबिक, भारतीय जनता युवा मोर्चा के ज़िला नेता मुकेश सिंह की ओर से की गई शिकायत के बाद पुलिस ने इन छात्रों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है.
एफआईआर में दावा किया गया है कि सैकड़ों की संख्या में एएमयू के छात्रों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया था और उन पर हमला किया. स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि एएमयू के छात्र पाकिस्तान के समर्थन और भारत के ख़िलाफ़ नारा लगा रहे थे.
रिपोर्ट के अनुसार, मामला तब भड़का जब यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने फेसबुक पोस्ट कर यह बताया कि कैंपस में रिपोर्टिंग कर रही रिपब्लिक टीवी की टीम ने एएमयू को ‘आतंकवादियों का संस्थान’ कहकर संबोधित किया है. इसके बाद रिपब्लिक टीवी की टीम और विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के बीच झड़प हुई.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्रसंघ ने एफआईआर को झूठा और मनगढ़ंत बताते हुए दावा किया है कि रिपब्लिक टीवी की टीम और संघ और भाजपा के कुछ सहयोगी दुर्भावनापूर्ण इरादे से कैंपस में घुसे थे.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एएमयू छात्रसंघ के उपाध्यक्ष हमज़ा सूफ़यान ने कहा, ‘यह पूरा मामला उस समय शुरू हुआ, जब कैंपस में समाज के दबे-कुचले वर्गों को लेकर छात्र एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे थे.’
उन्होंने आरोप लगाया कि रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों को इस कार्यक्रम को कवर करने और यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसने की अनुमति नहीं दी गई थी. जब उन्हें प्रॉक्टर द्वारा रोका गया तो उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया. इस झड़प के बीच वे एमएमयू को ‘आतंकवादियों की यूनिवर्सिटी’ कहकर नारा लगाने लगे.
एएमयू के पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर शाफे रिज़वी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘चैनल के पत्रकार बिना किसी मंजूरी के कैंपस में घुस आए और छात्रों से सवाल पूछने शुरू कर दिए थे. पुलिस को भी किसी कैंपस में घुसने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन से अनुमति लेनी होती है. वहीं कैंपस में किसी अन्य मीडिया संगठन से कोई भी अन्य पत्रकार मौजूद नहीं था. विश्वविद्यालय का शांतिपूर्ण माहौल ख़राब करने के लिए हम रिपब्लिक टीवी और कुछ अज्ञात बाहरी लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करा रहे हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस में दो अलग-अलग शिकायतें दर्ज की, जिसमें से एक बिना मंजूरी के पत्रकारों के कैंपस में घुसने और दूसरी आगजनी और अवैध गतिविधियों के लिए अज्ञात शरारती तत्वों के खिलाफ दर्ज कराई गई.
रिपोर्ट के अनुसार, रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए आरोप लगाया है कि एएमयू के छात्रों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया जब वे एक स्टोरी के सिलसिले में कैंपस में आए थे. रिपब्लिक टीवी की पत्रकार नलिनी शर्मा ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने छात्रों को भड़काने के लिए कुछ भी नहीं कहा.
I want to clarify, there was NO provocation from our side to invite this attack. I didn’t even speak to anybody inside the AMU campus until we were surrounded by this crowd of hooligans who continued saying how they’re not going to let us report because we were from Republic.
— Nalini (@nalinisharma_) February 12, 2019
इस झड़प के दौरान एएमयू कैंपस में मौजूद रहीं रिपब्लिक टीवी की पत्रकार नलिनी शर्मा ने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर अपना पक्ष रखते हुए कहा, ‘मैं व्यथित हूं कि इस घटना को किस तरह से तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. मैं खुद वहां रिपोर्टिंग कर रही थी, जिसका एएमयू से कोई लेना-देना नहीं था कि तभी छात्रों ने हमें घेरकर धमकाना शुरू कर दिया. उन्होंने छात्रों को उकसाने के लिए कुछ नहीं किया. हमने आसपास किसी छात्र से बात भी नहीं की थी.’
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, ‘कुछ पत्रकार छात्रों का मत सामने रख रहे हैं कि रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों ने एएमयू छात्रों को आतंकवादी कहा. यह सच से कोसों दूर है. अगर कोई खुद इसकी पुष्टि करना चाहता है तो दोपहर 1:30 बजे रिपब्लिक टीवी की लाइव रिपोर्टिंग देख सकता है, जब यह घटना हुई थी.’
उन्होंने कहा, हमारा कैमरा और अन्य उपकरण हमसे छीन लिए गए. हमें धक्का दिया गया, गाली-गलौज और बदतमीज़ी की गई.
हालांकि, यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने बाद में ट्वीट कर कहा कि एएमयू के चौदह छात्रों पर राजद्रोह सहित नौ आरोप लगाए गए हैं जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया.
अलीगढ़ ज़िला मजिस्ट्रेट सीएम सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘यह विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है. हमने विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच करने और उसके आधार पर कार्रवाई करने को कहा है. जांच के बाद जो भी दोषी होगा. उसे ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.’
वहीं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरि ने बताया कि विभिन्न पक्षों द्वारा सिविल लाइंस थाने में कई शिकायतें दी गई हैं और पुलिस मुकदमे दर्ज करने की प्रक्रिया में जुटी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)