कला के क्षेत्र में सरकार की दख़लअंदाज़ी से कलाकारों को दिक्कत होती है: अमोल पालेकर

बीते सप्ताह मुंबई में हुए एक कार्यक्रम के दौरान संस्कृति मंत्रालय की आलोचना करने पर अभिनेता और निर्देशक अमोल पालेकर को भाषण देने से रोक दिया गया था.

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अमोल पालेकर (फोटो: File photo/Commons)

बीते सप्ताह मुंबई में हुए एक कार्यक्रम के दौरान संस्कृति मंत्रालय की आलोचना करने पर अभिनेता और निर्देशक अमोल पालेकर को भाषण देने से रोक दिया गया था.

अमोल पालेकर (फोटो: File photo/Commons)
अमोल पालेकर (फोटो: File photo/Commons)

मुंबई: अभिनेता-निर्देशक अमोल पालेकर का कहना है कि कला की दुनिया में सरकार की ज्यादा दखलअंदाजी कलाकारों के लिए दिक्कतें पैदा करती है.

पिछले सप्ताह राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी (एनजीएमए) में पालेकर के एक भाषण को बाधित किया गया था.

पालेकर को आठ फरवरी को कलाकार प्रभाकर भार्वे की याद में एक प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर अतिथि वक्ता के तौर पर बुलाया गया था.

जब उन्होंने गैलरी के मुंबई और बेंगलुरू केंद्रों पर सलाहकार समितियों को कथित रूप से भंग करने के लिए संस्कृति मंत्रालय की आलोचना की, तो एनजीएमए के कुछ सदस्यों ने उनका भाषण बाधित किया था.

पालेकर ने कहा कि एनजीएमए सदस्यों की असहिष्णुता साफ देखने को मिली, लेकिन दर्शकों में मौजूद किसी कलाकार के उनके समर्थन में न आने की बात से वह चिंतित हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार, पालेकर ने बताया कि वहां मौजूद किसी ने भी यह नहीं कहा कि अमोल को बोलने दिया जाए. उन्होंने बताया कि निजी तौर पर लोगों ने बधाई दी और मैसेज भेजकर बधाई देने का काम किया.

उन्होंने कहा कि चूंकि कला के क्षेत्र में सरकार की दखलअंदाजी बहुत बढ़ गई है, कलाकार अपना रुख दृढ़ता से रखने की हिम्मत नहीं कर सकते.

पालेकर ने बताया कि वो वजह जानने का प्रयास कर रहे थे कि किन वजह से सरकार ने अपना निर्णय बदला.

उन्होंने बताया, ‘मंत्रालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वे अब निर्णय लेते वक़्त कलाकारों से परामर्श करेंगे. यह निर्णय अपने आप में एक जीत के रूप में देखा जाना चाहिए कि अब निर्णय लेने में कलाकार और परामर्श समिति शामिल होगी. मैं बस यही चाहता था कि ये समस्या सब के समक्ष आए और निर्णय में कलाकार भी शामिल हो सके.’

मालूम हो कि बीते शुक्रवार अभिनेता एनजीएमए के मुंबई और बेंगलुरु केंद्रों की एडवाइज़री समिति को कथित तौर पर ख़त्म करने के लिए संस्कृति मंत्रालय की आलोचना कर रहे थे, जब मंच पर बैठीं एक महिला ने उन्हें रोक दिया और कार्यक्रम से जुड़ी हुईं बातें कहने को कहा.

अमोल पालेकर कह रहे थे कि स्थानीय कलाकारों की समितियों को भंग कर दिया गया है और दिल्ली से तय होता है कि किस कलाकार की प्रदर्शनी लगेगी. हालांकि एनजीएमए की निदेशक अनीत रूपावतराम ने अमोल पालेकर के आरोपों को ख़ारिज किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)