बिहार के सासाराम में ट्रेनिंग कर रही इस पुलिसकर्मी को गर्भवती होने के कारण जनवरी में बर्ख़ास्त कर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें मजबूरन गर्भपात करवाना पड़ा.
जहां एक ओर लगातार कामकाजी महिला अधिकारों पर बहस जारी है, वहीं कई जगह उनके निजी फैसले उनके करिअर पर भारी पड़ रहे हैं. हालिया मामला बिहार के सासाराम का है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार सासाराम में बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) 2 की एक अविवाहित ट्रेनी महिला पुलिसकर्मी के गर्भवती होने पर उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया गया, साथ ही उन्हें ट्रेनिंग में हिस्सा लेने से भी रोक दिया गया.
हालांकि पुलिस हेडक्वार्टर ने पिछले हफ़्ते महिला का सस्पेंशन रद्द कर दिया पर तब तक वह अपना गर्भपात करवा चुकी थीं.
मामला इस साल जनवरी का है जब बीएमपी 2 के कमांडेंट परवेज़ अख़्तर ने इस महिला पुलिसकर्मी के गर्भवती होने को सर्विस नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए ‘अनैतिक’ बताया और उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया था. साथ ही उन्हें ट्रेनिंग पर आने से भी मना कर दिया गया. पर पिछले दिनों इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस हेडक्वार्टर ने इसे रद्द कर दिया.
मामला जब आईजी (ट्रेनिंग) एके अंबेडकर के पास पहुंचा तब उन्होंने महिला का पक्ष लिया. उनका कहना था क्योंकि वह महिला बालिग है, इसलिए बिना विवाह के गर्भवती होने पर निलंबन के इस फैसले को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए महिला के निलंबन को तो रद्द किया ही, साथ ही बीएमपी 2 कमांडेंट से उन्हें मातृत्व अवकाश देने की भी बात कही, पर उस समय तक यह ट्रेनी कॉन्स्टेबल गर्भपात करवा चुकी थीं.
हालांकि बीएमपी 2 कमांडेंट परवेज़ अख़्तर का कहना है कि भले ही महिला पुलिसकर्मी का निलंबन वापस ले लिया गया है पर उन्हें अपने ‘अनैतिक कृत्य’ के लिए सज़ा मिलेगी. आगे की कार्रवाई के लिए उन्होंने रोहतास के एसपी को विस्तृत रिपोर्ट भेज दी है. अख़बार के रोहतास के एसपी एमएस ढिल्लों से संपर्क करने पर उन्होंने बताया, ‘जब पुलिस हेडक्वार्टर ने ही निलंबन रद्द कर दिया है, तब ज़िला स्तर पर उस ट्रेनी महिला कॉन्स्टेबल के ख़िलाफ़ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा.’
सासाराम के सिविल कोर्ट में तैनात ट्रेनी महिला कॉन्स्टेबल ने इस विषय पर कोई भी टिप्पणी करने से मना किया है.