बेंगलुरु में कराची बेकरी के नाम को लेकर बवाल, दुकानदार को ‘कराची’ शब्द ढकना पड़ा

इस बेकरी की शुरुआत साल 1947 में भारत- पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत आए एक सिंधी शख्स खानचंद रामनामी ने की थी. रामनामी कराची से हैदराबाद आए थे इसीलिए उन्होंने बेकरी का नाम कराची बेकरी रख दिया.

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इस बेकरी की शुरुआत साल 1947 में भारत- पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत आए एक सिंधी शख्स खानचंद रामनामी ने की थी. रामनामी कराची से हैदराबाद आए थे इसीलिए उन्होंने बेकरी का नाम कराची बेकरी रख दिया.

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बेकरी के कर्मचारियों को अपने साइनबोर्ड पर लिखे कराची शब्द को ढकना पड़ा और साथ में भारत का झंडा भी लगाना पड़ा. (फोटो साभार: ट्विटर)

बेंगलुरु: बेंगलुरु की एक बेकरी ‘कराची बेकरी’ को अपने नाम को लेकर विवाद का सामना करना पड़ रहा है. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के विरोध में कुछ लोग इस नाम का विरोध कर रहे हैं.

कराची बेकरी की इंद्रानगर शाखा के बाहर शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोगों ने इकट्ठा होकर बेकरी के बाहर लगे साइनबोर्ड को हटाने की मांग की.

विरोध होने पर बेकरी के कर्मचारियों को अपने साइनबोर्ड पर लिखे कराची शब्द को ढकना पड़ा और साथ में भारत का झंडा भी लगाना पड़ा. पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश के कई राज्यों में कश्मीरी छात्र-छात्राओं और व्यापारियों को निशाना बनाने की ख़बरें आ रही हैं.

इसके साथ ही सोशल मीडिया पर पाकिस्तान विरोधी पोस्ट भी लिखी जा रही हैं, ऐसे में इस बेकरी का नाम पाकिस्तान के एक शहर पर होने के कारण भीड़ का गुस्सा इस बेकरी पर निकला.

जनसत्ता की ख़बर के अनुसार, ‘बेकरी का नाम पाकिस्तान के एक शहर पर होने के कारण लोगों द्वारा बेकरी को बंद काराए जाने की मांग की जा रही है.’

इस बेकरी की शुरुआत साल 1947 में भारत- पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत आए एक सिंधी शख्स खानचंद रामनामी ने की थी. रामनामी कराची से हैदराबाद आए थे इसीलिए उन्होंने बेकरी का नाम कराची बेकरी रख दिया.

इसी ख़बर के अनुसार, बेकरी के नाम पर गुस्साई भीड़ कराची शब्द को कपड़े से ढके जाने के बाद शांत हुई. कर्मचारियों ने दुकान के साइनबोर्ड के ऊपर हिंदुस्तान का झंडा भी लगा दिया.

स्क्रॉल.इन के अनुसार, बेंगलुरु पुलिस ने भी घटना की पुष्टि की है. बताया जा रहा है इस बेकरी की अन्य शाखाओं को भी 17 फरवरी से कराची नाम होने के कारण धमकियां मिल रहीं हैं. महादेवपुरा शाखा के कर्मचारियों ने भी धमकियों की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने की बात कही है.

हाल ही में पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए थे और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.