गुजरात सरकार की ओर से बताया गया है कि साल 2013 से 2017 के बीच एससी व एसटी एक्ट के तहत कुल 6,185 मामले दर्ज हुए.

गुजरात विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार की ओर से बताया गया है कि साल 2013 और 2017 के बीच अनुसूचित जातियों के ख़िलाफ़ अपराधों में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वहीं अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराधों में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
इस संबंध में कांग्रेस विधायक ने सितंबर 2018 में सवाल पूछा था जिसके जवाब में गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ईश्वर परमार ने यह जानकारी दी है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक, गुजरात सरकार की ओर से बताया गया है कि साल 2013 से 2017 के बीच एससी व एसटी एक्ट के तहत कुल 6,185 मामले दर्ज हुए. दी गई जानकारी के अनुसार साल 2013 में 1,147 मामले दर्ज किए गए थे जो 33 फीसदी बढ़कर साल 2017 में 1,515 हो गए.
पिछले साल मार्च महीने तक दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के 414 मामले सामने आए जिनमें से सबसे अधिक मामले अहमदाबाद में थे. अहमदाबाद में 49 मामले दर्ज होने के बाद जूनागढ़ में 34 और भावनगर में 25 मामले दर्ज हुए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराधों में भी तेज़ी आई है. साल 2013 से 2017 के बीच पांच सालों के दौरान अनुसूचित जनजातियों के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों की संख्या 55 फीसदी बढ़कर 1,310 पहुंच गई है. साल 2018 के शुरुआती तीन महीनों में भी एसटी समुदाय के ख़िलाफ़ अपराध के 89 मामले दर्ज हुए हैं. इसमें से सबसे अधिक मामले भरूच (14) में दर्ज हुए. भरूच के बाद वडोदरा में 11 व पंचमहल में 10 मामले दर्ज हुए है.
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 5,863 से अधिक मामलों में सरकार ने इस अवधि के दौरान लगभग 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है.
दलितों के ख़िलाफ़ अपराध भाजपा सरकार की विभाजनकारी राजनीति का प्रमाण: अहमद पटेल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि कि गुजरात में पिछले पांच सालों में दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है जो भाजपा सरकार की विभाजनकारी और कुछ लोगों को अलग-थलग रखने की राजनीति को दिखाता है.
पटेल ने ट्वीट कर कहा, ‘गुजरात सरकार के अपने आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में 32 फीसदी और आदिवासियों के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में 55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.’
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)