मोदी पर डिस्लेक्सिया पीड़ितों का मज़ाक उड़ाने का आरोप

विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए काम करने वाले संगठन 'नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड' ने डिस्लेक्सिया पीड़ितों के लिए असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की है.

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New Delhi: Prime Minister Narendra Modi gestures during the CSIR's Shanti Swarup Bhatnagar Prize for Science and Technology 2016-2018 ceremony in New Delhi, Thursday, Feb 28, 2019. (PTI Photo/Vijay Verma) (PTI2_28_2019_000105B)
New Delhi: Prime Minister Narendra Modi gestures during the CSIR's Shanti Swarup Bhatnagar Prize for Science and Technology 2016-2018 ceremony in New Delhi, Thursday, Feb 28, 2019. (PTI Photo/Vijay Verma) (PTI2_28_2019_000105B)

विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए काम करने वाले संगठन नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड ने डिस्लेक्सिया पीड़ितों के लिए असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की है.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi gestures during the CSIR's Shanti Swarup Bhatnagar Prize for Science and Technology 2016-2018 ceremony in New Delhi, Thursday, Feb 28, 2019. (PTI Photo/Vijay Verma) (PTI2_28_2019_000105B)
नरेंद्र मोदी (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड (एनपीआरडी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिस्लेक्सिया पीड़ितों को लेकर दिए गए बयान को अपमानजनक और असंवेदनशील बताते हुए माफी की मांग की है.

एनपीआरडी विशेष रूप से सक्षम यानी डिफरेंटली एबल्ड लोगों के लिए काम कर रहे देशभर के अधिकार समूहों का संगठन है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी ने शनिवार को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रूड़की द्वारा आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2019 में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान डिस्लेक्सिया पीड़ितों को लेकर एक असंवेदनशील बयान दिया था, जिसकी आलोचना करते हुए एनपीआरडी ने मोदी से माफी की मांग की है.

बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री को किसी भी परिस्थिति में इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. यह बयान विशेष रूप से सक्षम लोगों के प्रति उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है. दिव्यांगता अधिकार विधेयक 2016 के तहत इस तरह का बयान देना अपराध की श्रेणी में आता है. प्रधानमंत्री को कम से कम अपने बयान के लिए माफी मांग लेनी चाहिए.’

स्मार्ट हैकाथॉन में उत्तराखंड की एक बीटेक छात्रा ने डिस्लेक्सिया से जूझ रहे छात्रों की मदद के लिए अपने एक प्रोजेक्ट के बारे में कहा, ‘डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोग पढ़ने-लिखने में कमजोर होते हैं लेकिन उनकी रचनात्मकता का स्तर अच्छा होता है. इस दौरान छात्रा ने बॉलीवुड फिल्म तारें जमीन पर का उदाहरण दिया.’

https://twitter.com/Neurophysik/status/1102186003043889152

इसी बीच मोदी ने छात्रा को रोकते हुए पूछा कि क्या आपकी इस योजना से एक 40-50 साल के बच्चे को भी मदद मिलेगी? इस पर सभी छात्र हंसने लगे. मोदी ने कहा, ‘अगर ऐसा है तो मां और बच्चे दोनों खुश होंगे.’

एनआरपीडी ने जारी बयान में कहा कि छात्रा द्वारा किए गए सवाल पर जवाब देने के बजाए प्रधानमंत्री ने मौके का इस्तेमाल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर निशाना साधने के लिए किया.

बयान में कहा गया, ‘उन्होंने एक ऐसा असंवेदनशील बयान दिया जिसकी जरूरत नहीं थी, उनके बयान से डिस्लेक्सिया पीड़ित व्यक्ति की गलत छवि बनती है. प्रधानमंत्री जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के लिए यह बिल्कुल शोभनीय नहीं है. यह बयान ऐसे शख्स ने दिया है, जिसने विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए एक नए शब्द दिव्यांग पर जोर दिया. यहां तक कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी नरेंद्र मोदी ने अपने विरोधियों के लिए अंधे, गूंगे, लंगड़े जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था.’

बयान में यह भी कहा गया कि पहले भी कई अन्य नेता विशेष रूप से सक्षम लोगों का मज़ाक बना चुके हैं, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हैं. उन्होंने मोदी को एक बार सिजोफ्रेनिक कहा था.