अदालत ने पुलिस से कहा कि वह मंज़ूरी हासिल करने के बाद आरोप-पत्र दाख़िल कर सकती थी. इतनी जल्दबाज़ी क्या थी. जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और पूर्व छात्रों उमर ख़ालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य के ख़िलाफ़ देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने सोमवार को यहां की एक अदालत से कहा कि जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के ख़िलाफ़ 2016 के राजद्रोह के एक मामले में मुकदमा चलाने के लिए अधिकारियों से अब तक ज़रूरी अनुमति नहीं मिली है.
दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को कन्हैया कुमार और अन्य के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया था जिसमें कहा गया था कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान जेएनयू छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार एक जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने देश विरोधी नारेबाज़ी का समर्थन किया था.
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने पुलिस से कहा कि वह मंज़ूरी हासिल करने के बाद आरोप पत्र दाख़िल कर सकती थी. न्यायाधीश ने कहा, ‘आप (पुलिस) मंज़ूरी हासिल करने के बाद इसे दायर कर सकते थे. जल्दबाज़ी क्या थी? मैं मामले में आगे बढ़ सकता हूं.’
पुलिस ने अदालत को बताया कि मंज़ूरी मिलने में दो से तीन महीने लगेंगे. अदालत ने इस मामले से जुड़े पुलिस उपायुक्त से भी रिपोर्ट मांगी है.
मामले में अगली सुनवाई 29 मार्च को की जाएगी.
मालूम हो कि राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस ने बीते 14 जनवरी को छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों के ख़िलाफ़ 1,200 पन्नों का आरोप-पत्र दाखिल कर कहा था कि वे परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर 9 फरवरी, 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है.
पुलिस ने 9 फरवरी, 2016 को आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ राष्ट्र-विरोधी नारे लगाने का भी आरोप लगाया है. यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफज़ल गुरु को फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था.
इस मामले में कश्मीरी छात्र-छात्राओं आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के ख़िलाफ़ भी आरोप-पत्र दाखिल किए गए.
पुलिस ने आरोप-पत्र में दावा किया है कि गवाहों ने यह भी कहा कि कन्हैया घटनास्थल पर मौजूद थे जहां प्रदर्शनकारियों के हाथों में अफजल के पोस्टर थे. अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि कन्हैया ने सरकार के ख़िलाफ़ नफ़रत और असंतोष भड़काने के लिए खुद ही भारत विरोधी नारे लगाए थे.
हालांकि बीते 19 जनवरी को अदालत ने मामले में समुचित मंज़ूरी लिए बिना आरोप-पत्र दायर करने को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए थे.
कोर्ट ने कहा था कि जब तक दिल्ली सरकार आरोप-पत्र दायर करने की मंजूरी नहीं देती, तब तक कोर्ट इस पर संज्ञान नहीं लेगी. आरोप-पत्र पर पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी.
दरअसल राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार से अनुमति लेनी होती है और यह दिल्ली सरकार का क़ानून विभाग देता है. इसके अलावा अनुमति लेने के लिए फाइल को एलजी के पास भेजा जाता है. अगर मंज़ूरी नहीं मिलती है तो आरोप-पत्र पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेता.
मालूम हो कि भाजपा के सांसद महेश गिरी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में 11 फरवरी, 2016 को अज्ञात व्यक्तियों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए तथा 120बी के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.
एबीवीपी ने कथित आयोजन को ‘राष्ट्र विरोधी’ बताते हुए शिकायत की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति रद्द कर दी थी. इसके बावजूद यह आयोजन हुआ था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)