नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर नवंबर में असम सरकार से अलग हुई थी असम गण परिषद. भाजपा के साथ बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष अतुल बोरा ने कहा कि कांग्रेस को हराने के लिए साथ आए हैं.
गुवाहाटी: नागरिकता (संशोधन) विधेयक के मुद्दे पर दो महीने पहले असम सरकार से निकलने के बाद असम गण परिषद (एजीपी) अब भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी.
भाजपा महासचिव राम माधव, एजीपी अध्यक्ष अतुल बोरा और अन्य के साथ मंगलवार मध्यरात्रि के बाद तक चली बैठक में गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया.
बुधवार की सुबह भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी माधव ने ट्वीट किया, ‘बैठक के बाद भाजपा और एजीपी ने आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए साथ काम करने का निर्णय लिया है.’
उन्होंने कहा, ‘गुवाहाटी में भाजपा के नेता हिमंता बिस्वा शर्मा और एजीपी के अतुल बोरा और केशव महंत की उपस्थिति में यह घोषणा हुई.’ माधव ने बताया कि गठबंधन में तीसरा सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) है.
गठबंधन के बाद बोरा ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस को हराने के लिए पहले के सहयोगी फिर से साथ आ गए हैं.
हालांकि एजीपी प्रमुख ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक और चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर पार्टी के रुख को लेकर पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया.
एजीपी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर कदम उठाने को लेकर असम में भाजपा सरकार से अपना समर्थन जनवरी में वापस ले लिया था.
इस विधेयक में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के गैर मुस्लिम लोगों को भारत में छह साल तक रहने के बाद नागरिकता देने की बात कही गई है. इसका विरोध करते हुए एजीपी ने सार्वजनिक तौर पर भाजपा नेतृत्व की आलोचना की थी.
ज्ञात हो कि असम में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 14 सीटों में से सात पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी. बीपीएफ और एजीपी का कोई उम्मीदवार जीत नहीं पाया था.
वहीं, राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा, एजीपी और बीपीएफ ने मिलकर चुनाव लड़ा था और 2001 से राज्य की सत्ता पर लगातार काबिज कांग्रेस को हराया था.