इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, सिक्किम, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय के प्रमुख समाचार.
गुवाहाटी: असम में भाजपा को झटका देते हुए तेज़पुर से मौजूदा सांसद राम प्रसाद शर्मा ने बीते 16 मार्च को पार्टी छोड़ने की घोषणा कर आरोप लगाया कि पार्टी में नए घुसपैठियों के कारण पुराने कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है.
शर्मा ने कहा कि आरएसएस और विहिप के लिए 15 वर्ष और भाजपा के लिए 29 वर्ष काम करने के बाद वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं.
उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, ‘मैंने आज भाजपा छोड़ दी. मैं असम के उन पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए दुख महसूस करता हूं जिन्हें नए घुसपैठियों के कारण नज़रअंदाज़ किया जा रहा है.’
तेज़पुर लोकसभा सीट के लिए पार्टी के संभावित उम्मीदवार के पैनल में शर्मा का नाम शामिल नहीं था. इसमें केवल असम के मंत्री और एनईडीए के संयोजक हिमंत बिस्वा शर्मा का नाम था.
असम की 14 लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों की सूची दिल्ली भेजी जा चुकी है और जल्द ही प्रत्याशियों के नामों की घोषणा किए जाने की संभावना है.
मालूम हो कि शर्मा की बेटी को एपीएससी नौकरी घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही उनकी उम्मीदवारी दांव पर थी.
सिक्किम: भाजपा से अलग हुआ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा
गंगटोक: सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने बीते 15 मार्च को भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया और सिक्किम की सभी विधानसभा सीटों और लोकसभा की एकमात्र सीट पर मैदान में उतरने का निर्णय लिया.
एसकेएम के प्रवक्ता सोनम भूटिया ने बताया, ‘एसकेएम सिक्किम में सभी 32 विधानसभा सीटों और एकमात्र लोकसभा सीट पर प्रत्याशी उतारेगी.’
उन्होंने बताया कि दक्षिण सिक्किम के जोरेथांग में पार्टी की संबंधित समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
बैठक की अध्यक्षता एसकेएम के अध्यक्ष प्रेम सिंह तमांग ने की.
असम: अगप और भाजपा प्रचार के दौरान नागरिकता विधेयक पर नहीं बोलेंगे
गुवाहाटी: पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) के संयोजक हेमंत विश्वा सरमा ने बीते 15 मार्च को कहा कि असम में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान असम गण परिषद (अगप) और भाजपा विवादास्पद नागरिकता विधेयक पर बात नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों ने चुनाव के बाद विधेयक पर वार्ता फिर से शुरू करने का निर्णय लिया था.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक के मुद्दे पर दो महीने पहले भाजपा से अपने संबंध समाप्त करने के बाद असम गण परिषद (अगप) 13 मार्च को फिर से राजग में लौट आई थी.
सरमा ने कहा, ‘प्रचार के दौरान हम (विधेयक पर) अपने मतभेदों के बारे में कुछ नहीं कहेंगे लेकिन लोगों के बीच हम अपनी एकता को पेश करेंगे.’
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा चुनाव के बाद विचार विमर्श और सहमति के माध्यम से समाधान निकालने के लिए दोनों पार्टियां एक साथ बैठेगी.
नेडा संयोजक, असम भाजपा के प्रमुख रंजीत कुमार दास और अगप अध्यक्ष अतुल बोरा के साथ गुवाहाटी संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
असम में 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 14 सीटों में से सात पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी. बीपीएफ और अगप का कोई उम्मीदवार जीत नहीं पाया था.
असम में तीन चरणों में 11, 18 और 23 अप्रैल को मतदान होगा.
अरुणाचल प्रदेश: आज भी चुनाव प्रक्रिया का अहम हिस्सा हैं कुली
ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश में ब्रिटिश राज के दौरान ऑक्ज़िलरी लेबर कॉर्प्स (एएलसी) का गठन किया गया था और आज भी यह कोर चुनावों में अहम भूमिका निभा रही है. कोर के कुली दूरदराज़ के पहाड़ी इलाकों में मतदान सामग्री, ईवीएम मशीनों और अन्य सामान की ढुलाई का काम करते हैं.
ब्रिटिश राज के दौरान सामान लाने ले जाने के लिए एएलसी का गठन किया गया था. 1987 में अरुणाचल प्रदेश के पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल करने के बाद स्थायी आधार पर एएलसी सदस्यों की भर्ती बंद कर दी गई. अब इन्हें केवल अस्थायी आधार पर ही नियुक्त किया जाता है.
एएलसी के कुली प्रदेश के ऐसे ऐसे इलाकों तक पहुंच रखते हैं जहां दुर्गम रास्तों पर आवागमन का कोई साधन मौजूद नहीं है. ऐसे में ये कुली सरकार और आम जन के बीच संपर्क सेतु का काम करते हैं.
मौसम के विपरीत हालात, पहाड़ी दर्रों और जंगलों को पार करते हुए एएलसी के कुली चुनाव सामग्री को दुर्गम इलाकों में पहुंचाते हैं और उनके दम पर ही प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो पाती है.
आज़ादी के 72 साल बीत जाने के बावजूद, एएलसी के महत्व को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रदेश के कई ज़िले ऐसे हैं जहां वाहन से नहीं पहुंचा जा सकता और ऐसे इलाकों में प्रशासन को केवल एएलसी के कुलियों के सहारे ही रहना पड़ता है.
अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी कांकी दरांग बताते हैं, ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित किए जाने वाले सामान की ढुलाई, नए प्रशासनिक केंद्रों को खोलने, प्राकृतिक आपदाओं और चुनाव के दौरान एएलसी की सेवाओं की ज़रूरत होती है.’
निर्वाचन कार्यालय ने यहां साल 2014 के चुनाव के दौरान 2100 कुलियों को भर्ती किया था और 2009 के विधानसभा चुनाव के दौरान 1400 कुलियों की सेवाएं ली गई थीं.
उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी लिकेन कोयू ने बताया, ‘इस बार अधिक एएलसी को भर्ती करने की ज़रूरत होगी क्योंकि भारतीय निर्वाचन आयोग पहली बार वीवीपीएटी पेश कर रहा है और इस अतिरिक्त सामग्री की ढुलाई के लिए हमें अतिरिक्त कुलियों की ज़रूरत होगी.’
प्रदेश में कई सीटों पर चुनाव परिणामों की घोषणा करने में कई दिन का समय लगता है क्योंकि एएलसी के कुली ईवीएम मशीनों को ढोकर लाते हैं और इसके लिए उन्हें तीन दिन से ज़्यादा का पहाड़ी सफर करना पड़ता है.
अरुणाचल प्रदेश में ऐसे 518 दूरस्थ मतदान केंद्र हैं जहां मतदानकर्मियों को कई दिन पैदल चलकर पहुंचना पड़ता है.
अधिकारियों ने बताया कि कई मतदान केंद्र ज़िला मुख्यालय से 30 से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. ऐसे में मतदानकर्मियों को वहां पहुंचने में दो-तीन दिन का समय लगता है.
सुप्रीम कोर्ट ने घुसपैठ मुद्दे पर केंद्र एवं असम सरकार से जताई नाराज़गी
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने असम में विदेशी न्यायाधिकरणों के कामकाज और गैरकानूनी तरीके से प्रवासियों की घुसपैठ के कारण बाहरी हमले की समस्या को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को बीते 13 मार्च को आड़े हाथ लिया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ‘यह अब मज़ाक बन गया है. स्थिति काफ़ी ख़राब हो चुकी है.’
इसके साथ ही न्यायालय ने असम सरकार से कहा कि इन ग़ैरक़ानूनी प्रवासियों को उनके मूल देश वापस भेजने में वह सफल नहीं हो सकी है.
पीठ ने असम सरकार से जानना चाहा कि क्या विदेशी न्यायाधिकरण और कानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियां सही तरीके से काम कर रही हैं.
पीठ ने कहा, ‘यह तो अब मज़ाक बन गया है. हम यही कहना चाहेंगे कि स्थिति काफ़ी ख़राब हो गई है. आपने कुछ भी नहीं किया है. विदेशी न्यायाधिकरणों ने 56,697 व्यक्तियों की विदेशियों के रूप में पहचान की और अभी करीब 900 व्यक्ति ही हिरासत शिविरों में हैं.’
पीठ ने असम के मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष अदालत के 2005 के फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसमें कहा गया था कि बड़े पैमाने पर प्रवासियों की घुसपैठ की वजह से असम बाहरी हमले के ख़तरे का सामना कर रहा है.
पीठ ने कहा, ‘हम भारत सरकार और असम सरकार से जानना चाहते हैं कि इस ख़तरे के बारे में क्या करा जा रहा है.’
असम सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के विदेशी नागरिक न्यायाधिकरणों के कामकाज के मसले पर जवाबों से संतुष्ट नहीं होने पर पीठ ने कहा कि वह वस्तुस्थिति के बारे में स्पष्टीकरण के लिए राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव को तलब करेगी.
पीठ ने कहा, ‘हमें यह भी नहीं बताया गया कि कौन विदेशी हैं या जिनके विदेशी होने का संदेह है. इन विदेशी नागरिक न्यायाधिकरणों के पीठासीन अधिकारी कौन हैं और राज्य में कितने विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण सही तरीके से काम कर रहे हैं.’
मेहता ने कहा कि न्यायालय के सभी सवालों के बारे में हलफ़नामा दाख़िल किया जाएगा और उन्होंने इस मामले की किसी अन्य दिन सुनवाई करने का अनुरोध किया.
उन्होंने कहा कि वैध दस्तावेज़ों पर भारत आए 150 लोगों को वापस नहीं भेजा जाएगा जबकि 823 व्यक्ति, जिनमे अधिकतर ग़ैरक़ानूनी प्रवासी हैं, राज्य के छह हिरासत शिविरों में हैं.
पीठ ने मेहता को यह जानकारी देने का निर्देश दिया कि न्यायाधिकरण ने कितने व्यक्तियों को विदेशी घोषित किया है और वे कहां हैं.
सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि पिछले 10 साल में 56,697 व्यक्तियों को विदेशी घोषित किया गया और सिर्फ़ 823 व्यक्ति ही हिरासत शिविरों में रह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों के ख़िलाफ़ विदेशी न्यायाधिकरण में कार्यवाही शुरू होती है उनमें से अधिकतर फ़रार होने और भीड़ में घुलमिल जाने का प्रयास करते हैं.
उन्होंने कहा कि क़ानून के तहत इस तरह की कार्यवाही शुरू होने पर उन्हें हिरासत में नहीं लिया जा सकता है और न्यायाधिकरण के आदेश के बाद ही हिरासत में लिया जा सकता है.
मेहता ने कहा कि यही वजह है कि न्यायाधिकरण के अधिकांश आदेश एकपक्षीय हैं. उन्होंने इन आदेशों और शिविरों में हिरासत में व्यक्तियों के बीच बड़े अंतर के बारे में भी स्पष्टीकरण दिया.
पीठ ने यह भी जानना चाहा कि इस समय राज्य में कितने हिरासत शिविर कार्यरत हैं और इनमें कितने व्यक्ति हैं.
न्यायालय असम के हिरासत शिविरों में बंद लोगों की दयनीय स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
इस मामले में अब 27 मार्च को आगे सुनवाई होगी.
मिज़ोरम: बांग्लादेश के अवैध शरणार्थियों ने स्थापित किए 16 गांव
आइज़ोल: बांग्लादेश के अवैध शरणार्थियों ने दक्षिणी मिज़ोरम के लुंगलेई ज़िले में 16 गांव स्थापित कर लिए हैं. बीते 15 मार्च को विधानसभा को यह जानकारी दी गई.
स्थानीय प्रशासनिक मामलों के मंत्री के. लालरिनलियाना ने कहा कि बिना वैध दस्तावेज़ के भारत में प्रवेश करने वाले लोगों द्वारा अवैध तरीके से स्थापित किए गए नौ और गांव हैं.
उन्होंने जोरम पीपल्स मूवमेंट के सी. लालसाविवुंगा द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि नौ गांवों में से चार आइज़ोल ज़िले में स्थापित किए गए हैं. इसके बाद म्यांमार से लगे चेम्फाई में तीन गांव स्थापित किए गए हैं. इसके अलावा त्रिपुरा से लगे हुए ममित में दो गांव स्थापित किए गए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि बांग्लादेश के अलावा म्यांमार, मणिपुर और त्रिपुरा के अवैध शरणार्थी भी इस गांव में रह रहे हैं. अधिकारियों सहित इस क्षेत्र का सर्वे करने वाले छात्र नेताओं का कहना है कि ये शरणार्थी चकमा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
चीनी सांसद का अरुणाचल प्रदेश के रास्ते सीमा व्यापार को बढ़ावा देने का विचार
बीजिंग: चीन को सीमावर्ती इलाकों के ज़रिये स्थानीय आबादी को जोड़ते हुए भारत के साथ व्यापार को बढ़ावा देना चाहिए. इससे एक तरफ जहां दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव कम होगा वहीं दूसरी तरफ द्विपक्षीय रिश्ते बेहतर होंगे. चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उपसभापति (डिप्टी) एन. रैन ने यह बात कही है.
रैन ने कहा कि चीन को भारत के साथ रिश्तों में सुधार लाने तथा सैन्य टकराव कम करने के लिए भारत की सीमा से लगे सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को भारत के साथ व्यापार की अनुमति देनी चाहिए. इससे स्थानीय लोगों को लाभ होगा.
सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एन. रैन गुआंगडोंग प्रांत के गुआनझाऊ में साउथ चाइना यूनिवर्सिटी आफ टेक्नालॉजी में प्रोफेसर भी हैं. उन्होंने दक्षिण पश्चिम चीन में यून्नान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के आधार पर यह बात कही.
यून्नान प्रांत की सीमा तिब्बत क्षेत्र, भारत, वियतनाम, लाओस और म्यांमार से लगती है.
अध्ययन करने वाले समूह के प्रमुख प्रोफेसर गुओ जिआनबिन ने कहा कि उनकी टीम पिछले साल अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्रों में गई और पाया कि वहां के लोगों को मैकमोहन रेखा आसानी से पार करने की अनुमति नहीं है.
चीन मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देता जबकि भारत इसे सीमा मानता है. चीन दावा करता है कि भारत का पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है.
मणिपुर: असम राइफल्स ने एनएससीएन (आईएम) द्वारा अपहृत महिला को छुड़ाया
इम्फाल: असम राइफल्स ने एनएससीएन (आईएम) सदस्यों द्वारा अपहृत एक महिला को सुरक्षित छुड़ा लिया है तथा प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन के दो सदस्यों को हिरासत में लिया है. अधिकारियों ने बीते 14 मार्च को यह जानकारी दी.
मणिपुर के चंदेल ज़िले में नए वंगपराल गांव में अर्धसैनिक बल की एक त्वरित प्रतिक्रिया टीम ने महिला को स्कूल की एक इमारत से छुड़ाया.
महिला का बीते 12 मार्च को अपहरण किया गया था.
अधिकारी ने कहा कि खुफिया जानकारी मिली थी कि एनएससीएन (आईएम) के हथियारों से लैस दो सदस्यों ने एक महिला को उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर स्कूल की इमारत में रख रखा है. इसके बाद असम राइफल्स की बटालियन ने बीते 13 मार्च को तलाशी एवं बचाव अभियान चलाया.
अधिकारियों ने कहा, ‘सुरक्षाकर्मियों को देखकर घबराए एनएससीएन (आईएम) के सदस्यों ने सैनिकों पर गोलीबारी शुरू कर दी और वहां से भाग गए. लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने पीछा कर उन्हें पकड़ लिया.’
गिरफ्तार दोनों सदस्यों को चंदेल ज़िला पुलिस के हवाले कर दिया गया है.
पकड़ में आए सदस्यों की पहचान एनएससीएन (आईएम) के स्वंयभू लेफ्टिनेंट कर्नल जस्टिन खापाई तथा स्वंयभू सिपाही कोरुंगथांग के रूप में हुई है.
मेघालय: मंत्री ने कहा, कई स्कूलों में केवल दो या चार छात्र
शिलॉन्ग: मेघालय के शिक्षा मंत्री लाह्कमेन रिंबुई ने बीते 13 मार्च को विधानसभा को बताया कि राज्य में कई स्कूल ऐसे हैं जहां केवल दो या चार ही छात्र पढ़ते हैं.
रिंबुई ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत आने वाले कई स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल दो शिक्षक और दो या चार छात्र हैं, जबकि शिक्षक-छात्र का अनुपात 1:30 का है.
उन्होंने कहा, ‘हम एसएसए स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया में हैं ताकि सरकार के संसाधन व्यर्थ न जाने पाएं.’
रिंबुई ने कहा कि मेघालय में, 395 प्राथमिक विद्यालयों में 808 शिक्षक पढ़ा रहे हैं और 508 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1874 शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
मिज़ोरम: सी. लालरोसांगा होंगे मिज़ो नेशनल फ्रंट के लोकसभा उम्मीदवार
आइज़ोल: मिज़ोरम में सत्ताधारी मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने बीते 13 मार्च को घोषणा की कि दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक सी. लालरोसांगा राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार होंगे.
राज्य के मुख्यमंत्री एवं एमएनएफ अध्यक्ष जोरामथांगा ने लालरोसांगा के नाम की घोषणा करते हुए कहा कि एमएनएफ का किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं होगा और पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी.
लालरोसांगा भारतीय प्रसारण कार्यक्रम सेवा (आईबीपीएस) के पूर्व अधिकारी हैं और वह दूरदर्शन के महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए थे.
जोरामथांगा ने यह भी घोषणा की कि पूर्व छात्र नेता जोदिंतलुआंगा आइज़ोल पश्चिम-आई सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार होंगे. इस सीट के लिए उपचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही कराए जाएंगे.
एमएनएफ अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी भाजपा या किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के साथ कोई समझौता नहीं करेगी और चुनाव अकेले ही लड़ेगी.
इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रो. जॉन वी. हलुना ने घोषणा की कि भाजपा राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट के साथ ही आइजोल पश्चिम-आई सीट के लिए होने वाला उपचुनाव भी लड़ेगी.
एनईडीए की घटक नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और ‘पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन फॉर आइडेंटिटी एंड स्टेटस आफ मिज़ोरम’ (पीआरआईएसएम) पार्टी ने भी बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ने का इरादा घोषित किया है.
विपक्षी ज़ोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस ने संसदीय चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनावी गठबंधन का निर्णय किया है.
अरुणाचल प्रदेश: पीआरसी मुद्दे से भाजपा की चुनावी संभावनाएं प्रभावित नहीं होंगी
ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा ने बीते 13 मार्च को विश्वास जताया कि स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) जारी करने संबंधी विवाद का पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
अरुणाचल प्रदेश में 11 अप्रैल को लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ होना है.
भाजपा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष तापिर गाओ ने राजधानी ईटानगर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने एक ग़ैर मुद्दे को लेकर राज्य में समस्या उत्पन्न की है.
गाओ ने कहा, ‘पीआरसी जान-बूझकर गढ़ा हुआ मुद्दा है, पिछले महीने जो कुछ भी हो हल्ला हुआ वह निहित स्वार्थी तत्वों का काम है. इसका जनता पर कोई प्रभाव नहीं होगा.’
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी में पिछले महीने फरवरी में तब प्रदर्शन शुरू हो गए जब राज्य सरकार की ओर से नियुक्त एक समिति ने छह ग़ैर अरुणाचली समुदायों के लिए पीआरसी की सिफारिश कर दी.
झड़पों में तीन व्यक्तियों की मौत हो गई, उसके बाद भाजपा नीत सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि पीआरसी मुद्दे को कभी फिर से नहीं लिया जाएगा.
गाओ ने कहा कि राज्य चुनाव समिति की जल्द ही एक बैठक होगी जिसके बाद पार्टी लोकसभा और विधानसभा दोनों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करेगी.
गाओ ने कहा, ‘हमें विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी टिकट के लिए 200 आवेदन प्राप्त हुए हैं जबकि दो नाम- मेरा और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजीजू का, लोकसभा के लिए उम्मीदवारों की सूची में आए हैं. अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व की ओर से किया जाएगा.’
पार्टी सूत्रों के अनुसार, रिजीजू अरुणाचल प्रदेश पश्चिम से आम चुनाव लड़ेंगे जबकि गाओ अरुणाचल प्रदेश पूर्व से लड़ेंगे.
विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन के मानदंड के बारे में पूछे जाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘जीतने की क्षमता और अनुशासन दो प्रमुख कारक होंगे.’
उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने विधानसभा की सभी 60 सीटों के लिए उम्मीदवार खड़े करने का निर्णय किया है.’
उन्होंने कहा कि पार्टी अपना ‘60 प्लस दो’ लक्ष्य हासिल करने को लेकर आश्वस्त है.
अन्य दलों के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर उन्होंने कहा, ‘हम फिलहाल किसी के साथ गठबंधन के बारे में नहीं सोच रहे हैं लेकिन राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता है.’
राज्य के लिए स्टार प्रचारकों के बारे में पूछे जाने पर गाओ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह चुनाव प्रचार के लिए जल्द ही राज्य के दौरे करेंगे.
मिज़ोरम: कांग्रेस और जेडपीएम ने किया गठबंधन
आइज़ोल: मिज़ोरम में विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव लड़ने के लिए गठबंधन किया है. कांग्रेस सूत्रों ने बीते 12 मार्च को इस बारे में जानकारी दी .
समझौते के मुताबिक कांग्रेस राज्य में एकमात्र लोकसभा सीट से उम्मीदवार उतारेगी और जेडपीएम पार्टी आइज़ोल पश्चिम-एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेगी. समझौते की घोषणा बाद में की जाएगी.
दोनों चुनाव एक साथ 11 अप्रैल को होंगे.
राज्य की 40 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस और जेडपीएम के क्रमश: पांच और आठ विधायक हैं.
लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस को नए उम्मीदवार की ज़रूरत होगी क्योंकि उसके मौजूदा सांसद 84 वर्षीय सीएल रूआला वृद्धावस्था के कारण चुनाव नहीं लड़ेंगे.
भाजपा ने पूर्वोत्तर में पूरी की गठबंधन प्रक्रिया, लोकसभा की 22 सीटों पर नज़र
गुवाहाटी: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्वोत्तर में गठबंधन की प्रक्रिया पूरी कर ली है और क्षेत्र के आठ राज्यों की 25 लोकसभा सीटों में से कम से कम 22 जीतने का लक्ष्य रखा है.
पार्टी महासचिव राम माधव ने बीते 13 मार्च को यह जानकारी दी.
भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी माधव ने बीते 12 मार्च को आधी रात तक कई दौर की चर्चा की और असम गण परिषद (एजीपी), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ), इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी), नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के साथ गठबंधन किया.
भाजपा नेता त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और आईपीएफटी के नेताओं के साथ बुधवार को अगरतला में बैठक करेंगे.
इस गठबंधन को पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के तहत अंतिम रूप दिया गया है. एनईडीए भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का क्षेत्र की क्षेत्रीय पार्टियों के साथ राजनीतिक गठबंधन है.
माधव ने फेसबुक पर पोस्ट किया, ‘इस गठबंधन में क्षेत्र की 25 में से कम से कम 22 सीटें जीतने की क्षमता है और मोदी जी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनते देखने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है.’
बीते 12 मार्च को माधव ने नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और एनईडीए के संयोजक हेमंत विश्व शर्मा से मुलाकात की.
माधव ने एजीपी अध्यक्ष अतुल बोरा नीत पार्टी प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की और पूर्व सहयोगियों के गठबंधन को अंतिम रूप दिया.
उन्होंने कहा, ‘असम, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में भाजपा, एनपीपी, एनडीपीपी, एजीपी एवं बीपीएफ कांग्रेस को हराने के लक्ष्य से साथ लड़ेंगे. त्रिपुरा में भाजपा आईपीएफटी के साथ चुनाव लड़ेगी.’
माधव ने कहा, ‘विपक्ष अभी भी बातचीत कर रहा है और महागठबंधन बनाने के बारे में कह रहा है लेकिन हमारा गठबंधन पूर्वोत्तर एवं देश के अन्य हिस्सों में हो चुका है. राजग आज पहले से कहीं ज्यादा मजबूत गठबंधन है.’
असम: केवल कोकराझार सीट पर उम्मीदवार उतारेगा भाजपा का सहयोगी दल बीपीएफ
बरामा/असम: असम में सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी दल बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने बीते 12 मार्च को घोषणा की कि वह केवल भाषाई रूप से संवेदनशील कोकराझार सीट पर ही चुनाव लड़ेगा.
बीपीएफ प्रमुख हागरामा मोहिलारी ने बक्सा ज़िले में संवाददाताओं से कहा कि पार्टी विधायक और प्रदेश मंत्री प्रमिला रानी ब्रह्म इस सीट से चुनाव लड़ेंगी.
उन्होंने कहा कि बीपीएफ ने किसी अन्य लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और वह असम में अन्य सभी सीटों पर भाजपा को अपना समर्थन देगी.
मोहिलारी ने कहा, ‘हमने कोकराझार सीट के लिए अपना लोकसभा उम्मीदवार तय कर लिया है. यह प्रमिला रानी ब्रह्म होंगी. हमें पूरा भरोसा है कि वह जीतेंगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)