चुनाव समिति से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार नौकरशाह हैं और उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए जिससे भाजपा को लाभ होता दिखे.
नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने कांग्रेस के न्यूनतम आय गारंटी योजना (न्याय) के चुनावी वादे की आलोचना करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजीव कुमार ने सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों को 6,000 रुपये प्रतिमाह देने के कांग्रेस के वादे को खारिज करते हुए कहा था कि पार्टी (कांग्रेस) चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कह या कर सकती है.
#MinimumIncomeGuarantee scheme will take Indian economy four steps back. #GDP #IndiaEconomy #FiscalDeficit https://t.co/2T0zdtVGM1
— Rajiv Kumar (@RajivKumar1) March 26, 2019
राजीव शुक्ला ने सोमवार को समाचार एजेंसी एएनआई को बताया था कि इस प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. आचार संहिता के दौरान सत्ताधारी पार्टी के हित में सरकारी विमानों, वाहनों और मशीनरी के इस्तेमाल की मनाही होती है. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आचार संहिता लागू हो गई थी.
चुनाव समिति से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राजीव कुमार नौकरशाह हैं और उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए, जिससे भाजपा को लाभ होता दिखे. उनसे जवाब मांगा गया है. राजीव कुमार से दो दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है.
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने सोमवार को कहा था कि अगर चुनाव बाद उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो तो उनकी सरकार हर साल सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को सालाना 72,000 रुपये की न्यूनतम आय सुनिश्चित करेगी.
कांग्रेस अध्यक्ष ने न्यूनतम आय योजना को एक बेहतरीन फैसला बताते हुए कहा कि यह ग़रीबी पर आख़िरी वार होगा. इस योजना से हर साल 3,60,000 करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्मीद है और इससे सबसे गरीब श्रेणी के पांच करोड़ परिवारों यानी 25 करोड़ लोगों को लाभ होगा.
मालूम हो कि राहुल गांधी के इस ऐलान के बाद राजीव कुमार ने एएआई से कहा था, ‘यह कांग्रेस की पुरानी नीति है. वे चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कह और कर सकते हैं. 1966 में ग़रीबी हटाई गई थी, बाद में वन रैंक वन पेंशन योजना लागू की गई, सभी को शिक्षा के अधिकार के तहत उचित शिक्षा दी गई.इसलिए आप देख सकते हो कि वे कुछ भी कह और कर सकते हैं.’
राजीव कुमार ने कहा था, ‘2008 में चिदंबरम वित्तीय घाटे को 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी तक ले गए थे. यह घोषणा उसी पैटर्न पर आगे बढ़ने जैसी है. राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था पर इसके पड़ने वाले प्रभाव की चिंता किए बिना घोषणा कर दी. इस योजना की वजह से हम चार कदम पीछे चले जाएंगे.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि वित्तीय घाटा 3.5 फीसदी से बढ़कर 6 फीसदी तक हो सकता है. सभी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां हमारी रेटिंग कम कर सकती हैं. हो सकता है कि हमें बाहर से कर्ज न मिले और हमारा निवेश बंद हो जाए.’