रीगल के बाद 56 साल पुराने शीला सिनेमा का भी पर्दा गिरा

फिल्म बाहुबली: द कनक्लूज़न के प्रदर्शन का अधिकार नहीं मिलने के बाद पहले से वित्तीय संकट झेल रहा पुरानी दिल्ली का ऐतिहासिक शीला सिनेमा ने भी अपना पर्दा गिरा दिया.

फिल्म बाहुबली: द कनक्लूज़न के प्रदर्शन का अधिकार नहीं मिलने के बाद पहले से वित्तीय संकट झेल रहा पुरानी दिल्ली का ऐतिहासिक शीला सिनेमा बंद हो गया.

Shiela Cinema 1
दिल्ली के पहाड़गंज स्थित शीला सिनेमा. (फोटो साभार: विक्रांत पाटिल)

पहाड़गंज स्थित शीला सिनेमा ने लगातार 56 साल से तमाम फिल्मों का प्रदर्शन करने के बाद शुक्रवार को अपना पर्दा हमेशा के लिए गिरा दिया. ठीक एक महीने पहले 30 मार्च को कनॉट प्लेस स्थित रीगल सिनेमा बंद हुआ था.

यह सिनेमाघर वित्तीय नुकसान का सामना कर रहा था और फिल्म बाहुबली-2 के प्रदर्शन का अधिकार नहीं मिलने पर यह नुकसान कई गुना बढ़ गया.

शीला सिनेमा के मालिक उदय कौशिक ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘शीला सिनेमा शुक्रवार से हमने बंद कर दिया. हम नुकसान में चल रहे थे और सिनेमाघर का रखरखाव करना हमारे लिए मुश्किल हो रहा था.’

कौशिक ने कहा कि इसका बंद होना तो तय था लेकिन फिल्म बाहुबली: द कनक्लूज़न सिनेमाघर को एक नया जीवन दे सकता था.

पहाड़गंज स्थित इस ऐतिहासिक सिनेमाघर की स्थापना जनवरी 1961 में हुई थी. यह उन 65 थियेटरों में शामिल है जो फिल्म बाहुबली: द कनक्लूज़न के प्रदर्शन का अधिकार पाने में नाकाम रहे हैं.

कौशिक ने कहा, ‘अगर हमने इस फिल्म का प्रदर्शन किया होता तो हम कुछ कमाई कर सकते थे, लेकिन ये हो नहीं सका. असल सवाल यह था कि हम कब बंद हों.’ उन्होंने बताया कि सिनेमा हाल में जिस आख़िरी फिल्म का प्रदर्शन किया वह फेट ऑफ द फ्यूरियस थी, जो अच्छी चली.

कहा जाता है कि यह भारत का ऐसा पहला सिनेमा घर था जिसमें 70 एमएम का पर्दा लगा था.

उन्होंने बताया कि वह शीला को मल्टीप्लेक्स में तब्दील करने की उम्मीद करते हैं. शहर में एक पर्दे वाले कई सिनेमाघर अब मल्टीपल स्क्रीन के साथ चल रहे हैं जिनमें प्लाजा, संगम, सत्यम और रिवोली शामिल हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम शीला को एक मल्टीप्लेस में तब्दील करना चाहते हैं. निश्चित रूप से यह एक विकल्प है. लेकिन इसके लिए हमें कुछ वक्त लगेगा. हमारी योजना कम से कम 10 स्क्रीन की है.’

दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मोशन पिक्चर के कोषाध्यक्ष एवं फिल्म वितरक जोगिंदर महाजन ने कहा कि इस सिनेमाघर के बंद होने की कई वजह हैं जैसे कि संपत्ति कर, अधिक मनोरंजन कर और फिल्मों की नकली डीवीडी.

गौरतलब है कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में पिछले दशक में करीब 50 सिनेमाघर बंद हो गए हैं. दरियागंज का गोलचा सिनेमा भी बंद हो चुका है. इसके मल्टीप्लेक्स में तब्दील होने की अटकलें हैं.

इससे पहले 30 जनवरी को साल 1932 में बना रीगल सिनेमा बंद हो गया. आख़िरी दिन 85 साल पुराने इस सिनेमाघर में अभिनेता राजकपूर की दो फिल्मों का प्रदर्शन किया गया.

संगम से पहले राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर भी प्रदर्शित की गईं। अंतिम फिल्म संगम रात 10 बजे शुरू हुई। दिन में फिल्म मेरा नाम जोकर का प्रदर्शन किया गया जबकि आख़िरी शो में फिल्म संगम चलाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)