अरुणाचल प्रदेश: चुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी बना बड़ा मुद्दा

दो लोकसभा सीटों वाले अरुणाचल प्रदेश में छह बाहरी जनजातियों को स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने के विरोध में एक महीने पहले भड़की थी हिंसा, यही प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. अरुणाचल पश्चिम से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व भाजपा नेता किरण रिजिजू का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी से. राजेश माली की रिपोर्ट.

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दो लोकसभा सीटों वाले अरुणाचल प्रदेश में छह बाहरी जनजातियों को स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने के विरोध में एक महीने पहले भड़की थी हिंसा, यही प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. अरुणाचल पश्चिम से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व भाजपा नेता किरण रिजिजू का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी से. राजेश माली की रिपोर्ट.

Arunachal Pradesh violence
स्थायी निवासी प्रमाण पत्र देने के विरोध में हुई हिंसा का एक दृश्य. (फोटो: पीटीआई)

अरुणाचल पूर्व और अरुणाचल पश्चिम. ईटानगर के टेनिस पार्क इलाके में महीनेभर पहले तक भाजपा के भव्य दफ्तर के लिए जोरशोर से काम चल रहा था लेकिन अब पुलिस फायरिंग में मारे गए तीन युवकों की याद में स्मारक बन रहा है.

अरुणाचल के नामसाई और चांगलाग में रहने वाली छह जनजातियों को परमानेंट रेजिडेंट सर्टिफिकेट (पीआरसी) देने के फैसले के खिलाफ छात्र और नागरिक संगठनों के आंदोलन के दौरान 22 फरवरी को हिंसा भड़क गई थी. यहां भाजपा की सरकार है. गुस्से को देखते हुए सरकार ने यूटर्न ले लिया, पर इस पूरे घटनाक्रम ने कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा दे दिया.

ईटानगर में राहुल गांधी ने भाजपा सरकार को युवाओं को गोली मारने वाली सरकार तक कह दिया. यहां चुनाव में पैसा भी बड़ा फैक्टर है.

ईटानगर अरुणाचल पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में आता है जहां से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व भाजपा नेता किरण रिजिजू सांसद हैं. उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी से है. दूसरी सीट अरुणाचल पूर्व कांग्रेस के पास है. इन दो लोकसभा सीटों के साथ ही विधानसभा की 60 सीटों के लिए 11 अप्रैल को चुनाव है.

हिंसा की वजह से हालत यह है कि कांग्रेस और भाजपा के प्रवक्ता भी बात करने को तैयार नहीं है. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव चेरा ताया ने इसका कारण बताया, ‘यह सेंसेटिव इश्यू है. हमें इस पर बोलने को मना किया है. दूसरे मुद्दे पर बात कर सकते हैं.’

इधर भाजपा कार्यालय की सुरक्षा के लिए बाहर सीआरपीएफ के जितने जवान तैनात थे, उतने लोग कार्यालय के अंदर नहीं थे. वजह बताई- सभी ने टिकट के लिए दिल्ली में डेरा डाल रखा है. अगले दिन दफ्तर में मिले भाजपा के प्रदेश सचिव मोबा ताईपोडिया के पास गिनाने के लिए मोदी की उपलब्धियों के कई उदाहरण हैं लेकिन पीआरसी का जिक्र छेड़ते ही इतना ही कहते हैं ‘सरकार सब कुछ साफ कर चुकी है.’

इधर निर्माणाधीन भाजपा कार्यालय के अधूरे कॉलम-बिंब पर टंगे बैनर बता रहे हैं कि भाजपा के लिए पीआरसी से मुंह फेरना इतना आसान नहीं है. फायरिंग में जान गंवाने वाले रिसो तारी का परिवार यहीं डटा हुआ है. यहीं पर रिसो को दफनाया था. रिसो के परिजन अपनी मौजूदगी में स्मारक बनवा रहे हैं. बड़े भाई तापर कहते हैं हम यहां से चले जाए तो ये लोग (सरकार) हमारे भाई की याद को हटा देंगे. रिसो की पत्नी व चार साल का बेटा भी यहीं रहता है.

रोचक: यहां वि धानसभा चुनाव भी हैं. विधानसभा में भाजपा के 48, एनपीपी 7, कांग्रेस 3 व निर्द लीय 2 वि धायक हैं. 2014 में कांग्रेस 42, भाजपा 11, पीपीए 5 व निर्दलीय दो. बाद में सीएम पेमा खांडू 36 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए.

लोकसभा की 2 सीटें

पश्चिम – मौजूदा सांसद: भाजपा (किरण रिजिजू)
टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस की ताकतवर नेता जारजूम इटे ने बगावत कर दी है. उनका प्रभाव इतना है कि चार दलों नेशनल पीपुल्स पार्टी, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल, जद (एस) व तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऑफर दे दिया.

पूर्व- मौजूदा सांसद: कांग्रेस (इरिंग निनोंग)
भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष तापिर गाओ को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री जेम्स वांगलट को. जिन 6 जातियों को पीआरसी का ऐलान हुआ था, वे यहीं रहती हैं.

(दैनिक भास्कर से विशेष अनुबंध के तहत प्रकाशित)