राष्ट्रपति ने संसदीय समिति की उस सिफ़ारिश को मंज़ूरी दे दी है, जिसमें यह कहा गया था कि राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम या तो क्षेत्रीय फिल्मों को हिंदी में डब करे या फिर उसमें हिंदी सबटाइटल मुहैया कराए.
अधिकारिक भाषाओं पर बनी संसदीय समिति ने फिल्म निर्माताओं को राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के पास हिंदी में पटकथा जमा करने की भी सिफ़ारिश की थी और सभी उद्देश्यों के लिए इसे उपलब्ध कराने को कहा था.
यह सिफ़ारिश एनएफडीसी की ओर से प्रोड्यूस की गई फिल्मों पर ही लागू होगी.
एनएफडीसी एक केंद्रीय एजेंसी है जिसकी स्थापना का उद्देश्य देश में अच्छे सिनेमा को प्रोत्साहित करना है. यह संस्था भारत में फिल्मों की शूटिंग के लिए मदद मुहैया कराती है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत काम करने वाला एनएफडीसी फिल्मों के निर्माण, वित्त प्रबंधन, प्रोडक्शन और वितरण में सहायता उपलब्ध करवाता है.
एनएफडीसी के नियमों के अनुसार, अब तक फीचर फिल्म बनाने के लिए दिए जाने वाले आवेदन के साथ आवेदक को पटकथा की छह प्रतियां अंग्रेजी में और एक प्रति उस भाषा में जमा करनी होती थी जिसमें वह फिल्म बनने वाली होती है.
हालांकि राष्ट्रपति की ओर से संसदीय समिति की सिफ़ारिशों को मंज़ूरी मिलने के बाद एनएफडीसी को फिल्म निर्माण के अपने नियमों में फेरबदल करने होंगे.
समिति ने अपनी सिफ़ारिशों में यह भी कहा है कि एनएफडीसी की ओर से होने वाले फिल्म समारोहों में दिखाई जाने वाली क्षेत्रीय फिल्मों का भी प्रसारण हिंदी सबटाइटल या फिर हिंदी में डब करके किया जाए ताकि दर्शक अच्छी फिल्मों के ज़रिये हिंदी से जुड़ सकें.
हालांकि इससे पहले इन सिफारिशों को मंज़ूर नहीं किया गया था, क्योंकि एनएफडीसी की फिल्म डबिंग यूनिट अभी बंद है. उधर, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और फिल्म समारोह निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें ऐसा कोई निर्देश अभी नहीं मिला है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘अब तक हमें ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला है. हम आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं. जैसे ही ऐसा कोई आदेश आएगा हम उसके मुताबिक काम करेंगे.’
द्रमुक ने क्षेत्रीय फिल्मों में हिंदी सबटाइटल देने की आलोचना की
द्रमुक ने रविवार को उस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई जिसमें क्षेत्रीय फिल्मों को हिंदी में डब करने या हिंदी सबटाइटल दिए जाने की बात है. पार्टी ने इसे क्षेत्रीय सिनेमा पर भाषा को थोपने का एक प्रयास बताते हुए केंद्र से इस पर स्पष्टीकरण मांगा.
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने प्रस्ताव के संदर्भ में कहा कि द्रमुक हिंदी को थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी.
उन्होंने कहा, सभी क्षेत्रीय भाषाओं का समान रूप से सम्मान होना चाहिए, उन्हें हिंदी के प्रभाव में लाने का कोई भी प्रयास भारत की एकता और अखंडता को बर्बाद करेगा.
उन्होंने एक बयान में कहा, भाजपा सरकार हिंदी और संस्कृत को थोपने के लिए सिनेमा को भी निशाना बना रही है जो निंदनीय है. केंद्र को इस मामले को साफ करना चाहिये.
द्रमुक ने 1960 के दशक में हिंदी विरोधी प्रदर्शनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था. स्टालिन ने कहा कि द्रमुक हिंदी के प्रभाव के प्रतिरोध के लिए तैयार है.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)