कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें 2015 के गुजरात के विसपुर दंगा मामले में उनकी सज़ा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें 2015 के विसपुर दंगा मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था.
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया. पीठ में जस्टिस एमएम शांतनागोदर और जस्टिस नवीन सिन्हा भी शामिल हैं.
पटेल की ओर से पेश हुए वकील से पीठ ने कहा कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरुरत नहीं है क्योंकि हाईकोर्ट का आदेश पिछले साल अगस्त में आया था.
पीठ ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, ‘आदेश अगस्त 2018 में पारित हुआ था. अब तत्काल सुनवाई की क्या जरुरत है?’
Supreme Court declines urgent hearing of Patidar leader Hardik Patel's plea seeking a suspension of his conviction in a 2015 case relating to rioting, so that he can contest the upcoming Lok Sabha elections. (file pic) pic.twitter.com/5AMtzD3SqC
— ANI (@ANI) April 2, 2019
25 वर्षीय पटेल ने 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी के टिकट पर जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है.
हार्दिक की याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने हाईकोर्ट में कहा कि पटेल के खिलाफ देशद्रोह की दो शिकायतों के साथ 17 एफआईआर दर्ज हैं.
वहीं हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील में कहा कि अगर उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई तो उन्हें अपूर्णनीय क्षति होगी क्योंकि तब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
बता दें कि इससे पहले 29 मार्च को गुजरात हाईकोर्ट ने 2015 के हिंसा मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका को ख़ारिज कर दिया था.
जस्टिस एजी उरैजी ने गुजरात सरकार की दलीलें सुनने के बाद सत्र अदालत द्वारा हार्दिक की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया था.
अपने आदेश में जस्टिस उरैजी ने कहा कि असाधारण मामले में ही दोषसिद्धि पर रोक लगाई जा सकती है और हार्दिक का मामला इस श्रेणी में नहीं आता.
पिछले साल जुलाई में गुजरात की एक अदालत ने पाटीदार अनामत आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को 2015 के विसनगर हिंसा मामले में दोषी ठहराते हुए उसे दो साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
पिछले साल अगस्त में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा हार्दिक को दो साल की जेल की सज़ा पर रोक लगा दी थी लेकिन उनकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई थी.
मालूम हो कि पाटीदार समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल ने मेहसाणा में आंदोलन किया था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी.
रैली के हिंसक रूप लेने के बाद भीड़ ने मेहसाणा के विसनगर में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही मीडिया के कुछ लोगों पर भी हमला किया था. इस मामले में मेहसाणा ज़िले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को दर्ज कराई गई प्राथमिकी में हार्दिक भी एक आरोपी थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)