उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गाजियाबाद में पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के पक्ष में चुनावी सभा के दौरान यह टिप्पणी की थी.
नई दिल्ली: नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल एल. रामदास ने भारतीय सेना को ‘मोदीजी की सेना’ कहने को लेकर चुनाव आयोग में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शिकायत की है.
उन्होंने कहा कि सैन्य बल किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ी हुई नहीं होती हैं और दावा किया कि कई पूर्व और सेवारत सैनिक इसको लेकर चिंतित हैं.
एडमिरल एल रामदास ने कहा, ‘सैन्य बल किसी व्यक्ति विशेष से जुड़े हुए नहीं होते हैं बल्कि वे देश की सेवा करते हैं. चुनाव खत्म होने तक मुख्य चुनाव आयुक्त ही सर्वेसर्वा हैं. मैं इस संबंध में चुनाव आयोग से शिकायत करने जा रहा हूं.’
चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में एडमिरल रामदास ने कहा, ‘सशस्त्र बलों के सबसे वरिष्ठ पूर्व प्रमुखों में से एक के रूप में मैं आपके संज्ञान में यह लाना अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी समझता हूं कि देश की सेनाएं केवल भारत के संविधान के प्रति ही अपनी निष्ठा रखती हैं.’
Adm L Ramdas complains to the ECI.
We, the Indian Armed Forces, are not #ModiKiSena nor are we a private army of any ragtag political group Mr @myogiadityanathWe owe our allegiance to The Constitution of India.@rwac48 @veteran10525 @Jaykaul@ColSanjayPande @ikaveri @kjsingh2 pic.twitter.com/KFaQP4xiE9
— Priyadarshi/ପ୍ରିୟଦର୍ଶୀ/प्रियदर्शी/ਪ੍ਰਿਅਦਰਸ਼ੀ (@MajChowdhury) April 2, 2019
रविवार को गाजियाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने भारतीय सेना को ‘मोदीजी की सेना’ कहा था. उनके बयान पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया जिस पर विपक्षी दलों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी.
आदित्यनाथ की इस टिप्पणी को सेना ने भी पसंद नहीं किया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सैनिक और सेना के अधिकारी इससे चिंतित हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचएस पनाग ने भी कहा कि यह हैरान करने वाली टिप्पणी नहीं है क्योंकि पिछले पांच साल में कई नेताओं ने इस तरह की टिप्पणी करते हुए राष्ट्रवाद को सैन्य बलों से जोड़ने की कोशिश की है.
पनाग ने कहा, ‘ऐसे बयान सेना को राजनीतिकरण की ओर ले जाते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि सेना हमेशा गैरराजनीतिक रही है.’
बता दें कि इससे पहले बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद मार्च में भी एडमिरल रामदास ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा था.
तब चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा था, ‘एक जिम्मेदार नागरिक और भारतीय सशस्त्र बलों के एक गौरवशाली व्यक्ति के रूप में, मैं अपनी भावना और निराशा की गहरी चिंता साझा कर रहा हूं कि कैसे कुछ राजनीतिक दल सशस्त्र सेना की तस्वीरों, वर्दी और अन्य उदाहरणों का इस्तेमाल करके सार्वजनिक स्थानों पर, मीडिया में और चुनावी रैलियों में अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं.’
उन्होंने कहा था, ‘यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है क्योंकि इसमें हमारे सशस्त्र बलों की नींव और मूल्य प्रणाली को नष्ट करने की क्षमता है, जो कि भारतीय संविधान की दूरदृष्टि और जज्बे के इरादे से बनाई गई है.’
उन्होंने कहा था, ‘हम चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप करने और राजनीतिक दलों को एक मजबूत संदेश भेजने का आग्रह करते हैं कि सशस्त्र सेना से संबंधित तस्वीरों, अन्य सामग्री/रिपोर्ट या अन्य जानकारी का कोई राजनीतिक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.’
आदित्यनाथ की टिप्पणी पर चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लिया है और इस संबंध में गाजियाबाद जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.
आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में दिए गये योगी आदित्यनाथ के इस बयान से संबंधित मीडिया रिपोर्टों पर आयोग ने संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की है.
गाजियाबाद के जिलाधिकारी इस मामले से जुड़े तथ्यों का विस्तृत ब्योरा राज्य निर्वाचन कार्यालय को मुहैया करायेंगे. निर्वाचन कार्यालय इसके आधार पर तैयार की गयी रिपोर्ट आयोग को सौंपेगा.
उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद से सांसद और केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह के पक्ष में रविवार को चुनावी सभा के दौरान यह टिप्पणी की. इसमें योगी ने कहा, ‘कांग्रेस के लोग आतंकवादियों को बिरयानी खिलाते थे और मोदी जी की सेना आतंकवादियों को गोली और गोला देती है.’
आयोग ने गत 19 मार्च को सभी राजनीतिक दलों को एक परामर्श जारी कर चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक लाभ के लिए सैनिकों और सैन्य अभियानों का जिक्र करने से बचने को कहा था.
आयोग ने इसे चुनाव आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन बताते हुए राजनीतिक दलों और राजनेताओं को सोशल मीडिया पर भी सैनिकों और सैन्य अभियान की तस्वीर और अन्य संबद्ध सामग्री के प्रसार से बचने को कहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)