फरवरी 1987 में प्रदेश के गठन के साथ ही वहां लागू विवादित आफस्पा क़ानून को 32 साल बाद पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और पापुमपारे ज़िला से हटाने का फ़ैसला लिया गया है.
ईटानगरः सुरक्षाबलों को अतिरिक्त शक्तियां देने वाले सुरक्षाबल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) कानून को अरुणाचल प्रदेश के नौ में से तीन जिलों से आंशिक रूप से हटा लिया गया है.
हालांकि यह कानून म्यामांर से सटे इलाकों में लागू रहेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी.
राज्य में इस कानून लागू होने के 32 साल बाद यह फैसला किया गया है. मालूम हो कि 20 फरवरी 1987 को राज्य के गठन के साथ ही यह कानून लागू हो गया था.
यह कानून असम और मणिपुर में पहले से लागू था. अरुणाचल प्रदेश के बाद मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड अस्तित्व में आए और इन राज्यों में भी यह कानून लागू किया गया.
जस्टिस बीपी जीवन रेड्डी समिति ने राज्य से आफस्पा हटाने की सिफारिश की थी. कानून के तहत सुरक्षाबल किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं और किसी भी परिसर में छापा मार सकते हैं.
गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि अशांत क्षेत्र घोषित अरुणाचल प्रदेश के चार थाना क्षेत्र रविवार से इस विशेष कानून के तहत नहीं हैं. जिन थाना क्षेत्रों से आफस्पा हटाया गया है, उसमें पश्चिम कामेंग जिले के बालेमू और भालुकपोंग थाने, पूर्वी कामेंग जिले का सेइजोसा थाना और पापुमपारे जिले का बालीजान थाना शामिल है.
अधिसूचना के अनुसार, हालांकि तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों, नामसाई जिले के नामसाई और महादेवपुर थानों के तहत आने वाले क्षेत्रों, लोअर दिबांग घाटी जिले के रोइंग और लोहित जिले के सुनपुरा में आफस्पा छह और महीनों के लिए 30 सितंबर तक लागू रहेगा.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार की वजह से चार थाना क्षेत्रों से अशांत क्षेत्र का टैग वापस ले लिया गया है और पूर्वोत्तर के प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों की निरंतर गतिविधियों को देखते हुए यह कानून अन्य क्षेत्रों में लागू रहेगा.
अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस कानून की धारा तीन के तहत उसे मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह फैसला किया.
पिछले साल मार्च में मेघालय में सुरक्षा स्थिति में सुधार आने पर आफस्पा पूरी तरह से हटा लिया गया था.
एक अधिकारी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के कुछ भागों में प्रतिबंधित एनएससीएन, उल्फा और एनडीएफबी जैसे उग्रवादी समूह मौजूद हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)