भीड़ के डर से बोलने की आज़ादी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

अनिक दत्ता के निर्देशन में बनी बंगाली भाषा की फिल्म ‘भोबिष्योतेर भूत’ पर पश्चिम बंगाल में अनाधिकृत प्रतिबंध लगा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से फिल्म के निर्माता को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश देते हुए ये टिप्पणी की.

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(फोटो साभार: ​पीटीआई/फेसबुक)

अनिक दत्ता के निर्देशन में बनी बंगाली भाषा की फिल्म ‘भोबिष्योतेर भूत’ पर पश्चिम बंगाल में अनाधिकृत प्रतिबंध लगा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से फिल्म के निर्माता को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश देते हुए ये टिप्पणी की.

New Delhi: A view of the Supreme Court, in New Delhi, on Thursday. (PTI Photo / Vijay Verma)(PTI5_17_2018_000040B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने आज पश्चिम बंगाल सरकार से फिल्म ‘भोबिष्योतेर भूत’ के निर्माता को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा, जिसे राज्य में ‘अनौपचारिक’ प्रतिबंध का सामना करना पड़ा.

इसके अलावा कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार पर भी एक लाख का मुआवजा दिया है. इस मामले को लेकर कोर्ट ने कलात्मक स्वतंत्रता के खिलाफ समाज में बढ़ती असहिष्णुता पर गंभीर चिंता व्यक्त की.

लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘भीड़ की डर से बोलने की आजादी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है.’ इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित करके राज्य सरकार से कहा था कि वे सही तरीके से फिल्म ‘भोबिष्योतेर भूत’ फिल्म की स्क्रीनिंग सुनिश्चित करें.

अनिक दत्ता द्वारा निर्देशित फिल्म राजनीतिक दलों पर अपनी व्यंग्यात्मक सामग्री के कारण विवादों में रही थी. अपनी याचिका में, फिल्म के निर्माता ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार राज्य पुलिस की शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है और ‘सुपर-सेंसर’ के रूप में काम कर रहा है.

निर्माता ने कहा कि फिल्म की प्रदर्शनी में इस तरह के अवरोध उत्पन्न करना अधिकारों का उल्लंघन किया क्योंकि उन्होंने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से फिल्म के लिए विधिवत ‘यू/ए’ प्रमाणपत्र प्राप्त किया था.

याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बताया गया था कि उसे कोलकाला पुलिस की राज्य इंटेलीजेंस यूनिट से एक पत्र मिला था. इसमें यूनिट के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए फिल्म की प्री-स्क्रीनिंग रखने को कहा गया था.

याचिकाकर्ता के अनुसार, पत्र में कथित तौर पर बताया गया था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस बात की सूचना है कि फिल्म में जो दिखाया गया है उससे लोगों की भावनाएं आहत होंगी और क़ानून और व्यवस्था का मसला पैदा हो सकता है.

इस पर याचिकाकर्ता ने राज्य पुलिस को बताया था कि इस मुद्दे पर फिल्म को सर्टिफिकेट जारी करते समय सीबीएफसी से बातचीत हो चुकी है.

कोर्ट ने इससे अपने पहले के अंतरिम आदेश में कहा था, ‘बार-बार, इस अदालत के फैसलों में यह कहा गया है कि एक बार सीबीएफसी द्वारा एक फिल्म को विधिवत प्रमाणित कर दिए जाने के बाद, राज्य सरकार या किसी भी संस्था के पास ये अधिकार नहीं है कि वे फिल्म दिखाने पर रोक लगा दें.

कोर्ट ने आगे कहा, ‘राज्य द्वारा की गई ऐसी कार्रवाई बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार सीधा हमला है.’

बीते 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के गृह मंत्रालय के प्रमुख सचिव और डीजीपी को निर्देश जारी कर कहा था कि वे सभी थियेटरों को ये जानकारी दें कि इस फिल्म पर कोई रोक नहीं लगाई है और फिल्म दिखाया जाए.

भबिश्योतेर भूत (भविष्य के भूत) बंगाली भाषा की एक राजनीतिक व्यंग्य फिल्म है, जो बीते 15 फरवरी को रिलीज़ हुई थी. रिलीज़ के अगले ही दिन हालांकि पश्चिम बंगाल के थियेटरों और मल्टीप्लेक्स में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई थी. कोलकाता के थियेटरों से भी इस फिल्म को हटा दिया गया था.

फिल्म के निर्माताओं का कहना था कि यह आदेश पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से जारी किया गया था.

अनिक दत्ता ने अपनी इस फिल्म में विभिन्न राजनीतिक दलों और उनकी विचारधाराओं पर व्यंग्य किया है. इसमें भाजपा और आरएसएस की गाय को लेकर राजनीति और बंगाल में लेफ्ट फ्रंट के मार्क्सवाद और अतिवादी इस्लाम का मज़ाक बनाया गया है.

फिल्म पर रोक लगाने के बारे में पूछने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, ‘मैं इसका जवाब नहीं दूंगी, मुझसे ये सवाल न पूछा जाए.’

ये फिल्म भूतों के एक समूह की एक कहानी है, जिसमें एक नेता का भूत भी शामिल होता है. ये भूत एक शरणार्थी शिविर में रहते हैं. फिल्म में परन बनर्जी, स्वास्तिका मुखर्जी, सब्यसाची चक्रबर्ती, बरुन चंदा, मुन मुन सेन आदि मुख्य भूमिकाओं में हैं.