शहीद अधिकारी हेमंत करकरे पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान से नाराज़ करकरे के पूर्व सहयोगी ने भोपाल लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाख़िल किया.
नई दिल्लीः सेवानिवृत्त 71 सिविल सेवकों के एक समूह ने शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे के बारे में भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है और प्रज्ञा की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है.
मालूम हो कि प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि हेमंत करकरे की मौत उनके श्राप की वजह से हुई है.
पूर्व अधिकारियों ने एक खुला पत्र लिखते हुए कहा है कि प्रज्ञा ने न केवल राजनीतिक मंच का इस्तेमाल कट्टरता बढ़ाने के लिए किया बल्कि करकरे की यादों का भी अपमान किया. बता दें कि हेमंत करकरे मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के दौरान शहीद हो गए थे.
पूर्व अधिकारियों ने पत्र में लिखा, ‘एक पूर्व सहकर्मी, एक अधिकारी, जो अपने पेशेवराना अंदाज के लिए जाना जाता हो उनका इस तरह अपमान हैरान करने वाला है और इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. देश को करकरे के बलिदान का सम्मान करना चाहिए और उनका तथा उनकी स्मृतियों का अपमान नहीं करने दिया जाना चाहिए.’
पत्र में कहा गया, ‘करकरे के साथ या उनकी देखरेख में काम करने वाला हर अधिकारी मानता है कि वह निहायत ईमानदार और प्रेरणा देने वाले शख्स थे.’
इस पत्र पर पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरो, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवानकर और प्रसार भारती के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार के भी हस्ताक्षर हैं.
पत्र में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन करने पर भी नाराजगी जताई गई है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रज्ञा की उम्मीदवारी को हमारी सभ्यता की विरासत का प्रतीक करार दिया था.
पूर्व अधिकारियों ने एक सुर में साध्वी प्रज्ञा के बयान की निंदा करने और भाजपा से उनकी उम्मीदवारी खारिज करने की मांग की. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी से चुनाव के दौरान बने भय के माहौल को खत्म करने के लिए कदम उठाने की अपील की.
प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे पर दिए गए विवादित बयान से व्यथित होकर महाराष्ट्र के पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) रियाजुद्दीन देशमुख उनके ख़िलाफ़ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर आए हैं.
रियाजुद्दीन ने 23 अप्रैल को भोपाल सीट से अपना नामांकन पत्र दाख़िल कर दिया. कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी इस सीट पर चुनावी मैदान में हैं.
करकरे 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए थे और वह रियाजुद्दीन के वरिष्ठ अधिकारी थे.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित नेहरू नगर के रहने वाले रियाजुद्दीन ने बताया, ‘अपने वरिष्ठ अधिकारी करकरे के ख़िलाफ़ प्रज्ञा द्वारा की गई टिप्पणी से मैं अत्यधिक व्यथित हूं.’
उन्होंने कहा, ‘कुछ ही पलों बाद उसने शहीद हुए करकरे साहब को देशद्रोही कहा. मैंने फैसला किया है कि मैं उनके (प्रज्ञा) ख़िलाफ़ चुनाव लडूंगा.’
वर्ष 2016 में सहायक पुलिस आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए रियाजुद्दीन ने कहा, ‘मैंने करकरे के अधीन सब इंस्पेक्टर के रूप में काम किया था. उस समय वह (करकरे) अकोला जिले के पुलिस अधीक्षक थे. वह मेरे बॉस थे. वह बहादुर, लोगों की सहायता करने वाले एवं लोगों को प्रेरित करने वाले शख्स थे.’
उन्होंने कहा, ‘वह मुझे बहुत पसंद करते थे. मैं उन्हें अत्यधिक सम्मान देता था. मैंने भोपाल सीट से 23 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है और किसी भी हालत में मैं अपना नामांकन वापस नहीं लूंगा.’
भोपाल सीट से नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 अप्रैल है. इस सीट पर 12 मई को मतदान होना है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)