बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इन छात्रों ने साइबर लाइब्रेरी 24 घंटे खोलने के लिए पिछले साल भूख हड़ताल की थी, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था.
उच्चतम न्यायालय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आठ छात्रों का निलंबन वापस ले लिया और विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया कि उनके लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जाए जो उनके निलंबन के कारण छूट गई.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने विश्वविद्यालय को आठ छात्रों की सेमेस्टर परीक्षाएं 30 जुलाई तक कराने के लिए विशेष बंदोबस्त करने का निर्देश दिया.
अदालत ने निलंबित छात्रों द्वारा वकील प्रशांत भूषण और नेहा राठी के माध्यम से दाख़िल याचिका पर बृहस्पतिवार को आदेश सुनाया. छात्रों ने दावा किया था कि विश्वविद्यालय ने परिसर में साइबर लाइब्रेरी ख़ासतौर पर परीक्षा के समय 24 घंटे खोलने की उनकी मांगों को दबाने के लिए कार्रवाई की.
छात्रों ने अपनी मांग को लेकर भूख हड़ताल की थी और उसकी वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया. इसके चलते ऐसी परिस्थिति बनी कि वे परीक्षाएं नहीं दे सके. उन्हें मई 2016 में छात्रावासों से निकाल दिया गया था.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया था.
बीएचयू के इन छात्रों ने साइबर लाइब्रेरी को 24 घंटे खोलने, हॉस्टल से लाइब्रेरी तक बस सर्विस देने और मुख्य कैंटीन को 24 घंटे खोलने की मांग को लेकर पिछले साल मई में भूख हड़ताल की थी.
हालांकि बीएचयू प्रशासन ने उनकी इन मांगों को अव्यवहारिक और मैनुअल के ख़िलाफ़ बताया था. बीएचयू प्रशासन ने पूर्व महासचिव विकास सिंह समेत आठ छात्रों को इस मुद्दे पर निष्कासित भी कर दिया है.
विकास सिंह के अलावा प्रियेश पांडेय, अनुपम कुमार, दीपक सिंह, गौरव पुरोहित, आकाश पांडेय, शांतनु सिंह गौर, रोशन पांडेय को निलंबित किया गया था.
समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ