सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन साल से अधिक समय तक रखे गए अवैध विदेशियों को सशर्त रिहा किया जा सकता है, बशर्ते ये अपनी बायोमीट्रिक जानकारी मुहैया कराएं.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि असम के हिरासत केंद्रों में तीन वर्ष से अधिक समय तक रखे गए अवैध विदेशियों को रिहा किया जा सकता है बशर्ते वे सुरक्षित डेटाबेस के साथ बायोमीट्रिक जानकारी उपलब्ध कराएं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने इन लोगों को दो भारतीय जमानत के साथ एक लाख रुपये का बॉन्ड जमा करने और रिहाई के बाद अपने निवास स्थान का पता मुहैया कराने के निर्देश दिए.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी सहमति जताई कि असम सरकार को राजनयिक स्तर पर इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कुछ और समय दिया जाना चाहिए, जिसमें इन घोषित विदेशियों के निर्वासन और अतिरिक्त विदेशी प्राधिकरण का गठन शामिल है.
अदालत ने विदेशी प्राधिकरण के गठन, इसके सदस्यों और कर्मचारियों की नियुक्ति के संदर्भ में राज्य सरकार को गुवाहाटी हाईकोर्ट से चर्चा के साथ विस्तृत योजना का खाका तैयार करने का भी निर्देश दिया.
अदालत ने कहा कि यह जानकारी जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी उपलब्ध कराई जाए और अगर जरूरत पड़े तो राज्य अवकाश पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख कर सकता है.
अगर संभव हो तो हिरासत केंद्रों से इन लोगों को रिहा करने से पहले इनकी आंखों की पुतलियों और सभी दसों उंगली के बायोमीट्रिक रिकॉर्ड और तस्वीरें एक सुरक्षित डेटाबेस में रख ली जाएं. विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा निर्देशानुसार ये लोग हर सप्ताह में एक बार पुलिस थाने में रिपोर्ट करें.
पीठ ने कहा, ‘रिहा किए गए इन विदेशियों की संबंधित पुलिस थाने में पेशी के संबंध में एक त्रैमासिक रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक (सीमा) द्वारा विदेशी न्यायाधिकरण को सौंपी जाए और इन शर्तों का उल्लंघन करने पर डीएफएन को गिरफ्तार किया जाएगा और विदेशी न्यायाधिकरण के समक्ष पेश किया जाएगा.’
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अब जुलाई में सुनवाई करेगा. अदालत ने इससे पहले असम सरकार को अवैध विदेशियों से संबंधित मामलों के त्वरित निपटान के लिए लगभग 1,000 विदेशी न्यायाधिकरण के गठन के तौर-तरीकों पर काम करने को कहा था.