नॉर्थ ईस्ट डायरी: पूर्वोत्तर के राज्यों से इस सप्ताह की प्रमुख ख़बरें

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के प्रमुख समाचार.

PTI5_6_2017_000061B

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के प्रमुख समाचार.

Guwahati: Assam Secretariat employees wearing 'dhoti-kurta' and 'mekhela-chador', on their way to office after the state government advocated voluntary 'traditional' dress code for staff, in Dispur near Guwahati on Saturday. PTI Photo(PTI5_6_2017_000061B)
असम की राजधानी दिसपुर में असम सचिवालय के कर्मचारी परंपरागत ‘धोती-कुर्ता’ और ‘मेखला-चादोर’ में आॅफिस जाते हुए. बीते दिनों सरकारी कर्मचारियों को परंपरागत ड्रेस पहनकर आॅफिस आने की सलाह दी गई है. (फोटो: पीटीआई)

असम: सरकारी दफ्तरों में लागू हो सकता है ड्रेसकोड

असम में पारंपरिक पहनावे को बढ़ावा देने के लिए सरकार अपने दफ्तरों में कर्मचारियों के लिए ड्रेसकोड लाने पर विचार कर रही है. हालंकि यह ऐच्छिक होगा, जिसके तहत कर्मचारियों को महीने के पहले और तीसरे शनिवार को पारंपरिक परिधान पहनना होगा. पुरुषों को धोती-कुर्ता और महिलाओं को मेखला-चादोर पहनना होगा.

‘पारंपरिक वेशभूषा को बढ़ावा देने के लिए यह सलाह प्रशासकीय सुधार और प्रशिक्षण के प्रमुख सचिव पीके बोरठाकुर ने सामान्य प्रशासन के प्रमुख सचिव (सामान्य प्रशासन) पीके तिवारी को लिखकर भेजी है.

उन्होंने मुख्य सचिव वी के पिपरसेनिया को इस विचार का श्रेय देते हुए लिखा है, ‘मुख्य सचिव की सलाह पर आप अधिकारियों/कर्मचारियों से महीने के पहले और तीसरे शनिवार को उनकी इच्छानुसार पारंपरिक परिधान में आने के लिए प्रस्ताव तैयार कर सकते हैं.

सिविल सर्विस दिवस 2017 को माननीय मुख्यमंत्री के कहने पर कर्मचारी अपनी पारंपरिक वेशभूषा यानी धोती-कुरते और महिला कर्मचारी मेखला चादर पहन के आए थे, जिसे आम जनता के साथ मीडिया में भी सराहा गया था.

पर बोरठाकुर की यह सलाह कर्मचारियों को कुछ ख़ास पसंद नहीं आई है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक असम में सरकारी कर्मचारियों की शीर्ष संस्था सदोऊ असम कर्मचारी परिषद की अध्यक्ष बसाब कलिता ने कहा, ‘असम में हर जनजाति और समुदाय का अपना अलग पारंपरिक पहनावा है. सरकार अगर इस तरह का कोई फैसला लेती है तो इससे सिर्फ भ्रम ही पैदा होगा.’

असम: आफ्सपा के तहत पूरा राज्य अशांत घोषित, मियाद तीन महीने और बढ़ी 

केंद्र सरकार द्वारा आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (आफ्सपा) के तहत पूरे असम को अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है. इसके साथ ही उल्फा, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) जैसे संगठनों द्वारा की जा रही हिंसा के मद्देनज़र राज्य में और तीन महीने के लिए आफ्सपा लागू कर दिया है.

गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में असम के अलावा मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों को भी अशांत क्षेत्र घोषित किया है. गौरतलब है कि असम में 1990 से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट लागू है.

गृह मंत्रालय ने राज्य में 3 मई से आफ्सपा कानून को बढ़ा दिया गया है. मंत्रालय के मुताबिक साल 2016 में असम में हिंसा की 75 घटनाएं हुईं,  जिनमें 33 लोगों की जान चली गई, जिनमें 4 सुरक्षाकर्मी भी थे. इसके अलावा 14 वे लोग भी थे, जिनका अपहरण किया गया था.

2017 में अब तक राज्य में हिंसा की 9 घटनाएं हुई हैं, जहां सुरक्षा बलों के दो जवानों सहित चार लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा की इन सभी घटनाओं के पीछे उल्फा और एनडीएफबी का हाथ था.

इसके साथ ही एक अन्य अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के तिराप, चांगलांग और लॉंगडिंग जिलों और असम की सीमा से लगे 16 पुलिस थानों में आने वाले इलाकों को भी अशांत क्षेत्र घोषित किया है. इन क्षेत्रों में भी तीन महीनों के लिए आफ्सपा को बढ़ा दिया गया है. मंत्रालय ने साफ कहा है कि इन उग्रवादी संगठनों द्वारा की जा रही हिंसा के चलते ही यह फ़ैसला लिया गया है.

अरुणाचल प्रदेश: राज्यपाल की नियुक्ति के लिए सड़क पर उतरे छात्र

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (आपसू) के ने राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति के लिए इटानगर ने मार्च निकालकर प्रदर्शन किया. उन्होंने राज्यपाल के अलावा नॉर्थईस्टर्न रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में डायरेक्टर की नियुक्ति करने की भी मांग रखी.

द टेलीग्राफ के अनुसार इटानगर के गंगा मार्केट के आकाशदीप से शुरू होकर जीरो पॉइंट तक की गई इस रैली में विभिन्न छात्र संगठनों के नेताओं ने जमा हुए लोगों के समूह के सामने अपनी बात रखी.

आपसू अध्यक्ष हावा बगांग ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बिना राज्यपाल के राज्य बिना मुखिया के ही चल रहा है. उन्होंने कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश को राज्यपाल के रूप में एक मुखिया की सख्त ज़रूरत है. चीन लगातार अरुणाचल के कई हिस्सों पर दावेदारी जता रहा है, असम के साथ सीमा को लेकर विवाद जारी है, नगालैंड के लोग राज्य की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहे हैं. इतनी समस्याओं के बीच भी हमारे पास कोई स्थायी राज्यपाल नहीं है, जो इनके समाधान के लिए कोशिश भी करे.’

ProtestIn ArunachalPradesh Telegraph
फोटो साभार: द टेलीग्राफ

गौरतलब है कि 2016 में जेपी राजखोवा को राज्यपाल पद से बर्ख़ास्त करने के बाद राज्य में कोई राज्यपाल नहीं है. 28 जनवरी 2017 से यह ज़िम्मेदारी अतिरिक्त प्रभार के रूप में नगालैंड के राज्यपाल पीबी आचार्य संभाल रहे हैं.

वहीं राज्य के दोनों प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में कोई नियमित डायरेक्टर न होने पर बगांग ने कहा कि यूनियन केंद्र और राज्य सरकार को इस तरह प्रदेश में शिक्षा से कोई समझौता नहीं करने देगी. यूनियन के उपाध्यक्ष तोबोम दाई ने कहा, ‘विद्यार्थियों को अनगिनत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कैंपस प्रबंधन का हाल बुरा है.’

यूनियन ने यह भी बताया कि जल्द ही इन मांगों के साथ छात्रों का एक डेलीगेशन नई दिल्ली भी जाएगा.

मिज़ोरम: नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की अपील

मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल स्थित भ्रष्टाचार रोधी संस्था पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन एंड डेवलपमेंट सोसायटी ऑफ मिजोरम (प्रिज्म) ने लोगों से नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने और विरोध प्रदर्शन करने का आग्रह किया है.

गौरतलब है कि इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के कुछ अल्पसंख्यक समुदायों के अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिए योग्य बनाने का की बात कही गई है.

बीते दिनों एक विज्ञप्ति जारी करके प्रिज्म ने कहा कि संगठन की कार्यकारिणी की 5 मई को हुई बैठक में इस प्रस्तावित विधेयक के ख़िलाफ़ राज्य के सभी राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल करने का फैसला किया गया.

प्रिज्म ने यह भी कहा कि अगर यह विधेयक पारित हो गया तो भारत में गंभीर जनसांख्यिकीय संकट होगा, जिससे बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले पूर्वोत्तर के क्षेत्रों पर असर पड़ेगा.

असम : भाजपा विधायक पर विवादित टिप्पणी करने पर गिरफ्तार हुए डीएसपी को मिली ज़मानत

प्रदेश में भाजपा की एक महिला पर फेसबुक पर आपत्तिजनक आरोप लगाने वाले डिप्टी एसपी अंजन बोरा को ज़मानत मिल गई है.

23 असम पुलिस बटालियन के अंजन कार्बी आंगलोंग ज़िले के मांजा में डिप्टी एसपी के पद पर तैनात हैं. 25 अप्रैल को उनके फेसबुक अकाउंट पर सत्तारूढ़ भाजपा की एक महिला विधायक के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उन पर वेश्यावृत्ति का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद उन्हें सीआईडी ने गिरफ्तार कर लिया था.

उन्होंने बिना किसी का नाम लिए इस पोस्ट में लिखा था, ‘भाजपा की एक महिला विधायक देह व्यापार में शामिल हैं. वह दिसपुर स्थित राज्य सचिवालय की बिल्डिंग में 3 घंटे की सेवा के बदले एक लाख की फीस वसूलती हैं. पर यह बता दूं कि उनका सरनेम चक्रवर्ती नहीं है. जय श्री राम, जय हिंदू भूमि.’

anjanborapost
अंजन बोरा की विवादित पोस्ट का स्क्रीनशॉट

ज्ञात हो कि असम में भाजपा की दो ही महिला विधायक है और बोरा के इस तरह सरनेम लिखने से स्पष्ट था कि उनका इशारा किसकी ओर है. हालांकि इस बात की पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है कि यह पोस्ट उन्होंने ख़ुद किया था या उनके सोशल मीडिया अकाउंट से किसी और ने.

इस घटना के बाद भाजपा ने उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाई, राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया, वहीं राज्य के डीजीपी मुकेश सहाय ने उनके इस कृत्य को नियमों का उल्लंघन बताया. गिरफ़्तारी के बाद बोरा को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां उन्हें निजी मुचलके पर ज़मानत दे दी गई.

गौरतलब है कि अंजन बोरा इससे पहले भी अपनी फेसबुक पोस्ट को लेकर विवादों में रह चुके हैं. फरवरी 2016 में उन्होंने मुस्लिमों के ख़िलाफ़ एक विवादित पोस्ट लिखी थी, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. एक पोस्ट में उन्होंने यह भी दावा किया था कि वे कांग्रेस के स्थानीय नेता रफीकुल इस्लाम सहित कई मुस्लिमों की जान ले चुके हैं.