राजस्थानः पाठ्यक्रम में बदलाव, सावरकर को वीर की जगह अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगने वाला बताया

राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बना दिया था, आरएसएस के राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे. राजनीतिक हितों के लिए सावरकर की बढ़िया छवि गढ़ी गई थी.

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विनायक दामोदर सावरकर. (फोटो साभार: ट्विटर/@VasundharaBJP)

राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बना दिया था, आरएसएस के राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे. राजनीतिक हितों के लिए सावरकर की बढ़िया छवि गढ़ी गई थी.

विनायक दामोदर सावरकर. (फोटो साभार: ट्विटर/@VasundharaBJP)
विनायक दामोदर सावरकर. (फोटो साभार: ट्विटर/@VasundharaBJP)

जयपुरः राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने स्कूली पाठ्यक्रम में वीर सावरकर की जीवनी वाले हिस्से में बदलाव करने का ऐलान किया है. तीन साल पहले राज्य की भाजपा सरकार में विनायक दामोदर सावरकर को वीर, महान देशभक्त और महान क्रांतिकारी बताया गया था लेकिन अब कांग्रेस शासन में नए सिरे से तैयार स्कूली पाठ्यक्रम में उन्हें वीर की जगह जेल की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया गया है. इसके साथ ही नए तथ्य भी जोड़े गए हैं.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का कहना है कि वह छात्रों को सही तरीके से इतिहास से रूबरू कराने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव कर रहे हैं.

राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह दोतासरा का कहना है कि पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया था. उसी के प्रस्तावों के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार हुआ है. इसमें किसी प्रकार की कोई राजनीति नहीं की गई है. फिर भी अगर पाठ्यक्रम को लेकर कोई मामला सामने आएगा तो उस पर अमल किया जाएगा.

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दोतासरा ने कहा, ‘तत्कालीन भाजपा सरकार ने शिक्षा विभाग को एक प्रयोगशाला बना दिया था, आरएसएस के राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे. तत्कालीन सरकार ने वीर सावरकर की जीवनी तैयार की. इस विषय के तथ्यों की समीक्षा हमारी सरकार की समिति द्वारा की गई, जिससे पता चला कि राजनीतिक हितों के लिए सावरकर की बढ़िया छवि गढ़ी गई.’

उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकार द्वारा तैयार की गई सावरकर की जीवनी से अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उतना महत्व नहीं दिया गया.’

भाजपा ने इसे सावरकर की वीरता का अपमान बताया है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए गठित समिति के प्रस्तावों के अनुसार इसे तैयार किया गया है और इसमें राजनीति नहीं की गई है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आते ही स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा का काम शुरू हुआ था. इसके लिए दो समितियां बनाई गई थीं.

माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए गठित समिति ने 10वीं कक्षा के अध्याय तीन ‘अंग्रेजी साम्राज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष’ में देश के कई महापुरुषों की जीवनी शामिल की है. इसमें सावरकर से जुड़े हिस्से में काफी बदलाव किया गया है.

सावरकर की जीवनी की शुरुआती कुछ पंक्तियों में लिखा था कि वीर सावरकर महान क्रांतिकारी, महान देशभक्त और महान संगठनवादी थे. उन्होंने आजीवन देश की स्वतंत्रता के लिए तप और त्याग किया. उनकी प्रशंसा शब्दों में नहीं की जा सकती. सावरकर को जनता ने वीर की उपाधि से विभूषित किया अर्थात वे वीर सावरकर कहलाए. भाजपा शासन में पढ़ाया गया था कि सावरकर ने अभिनव भारत नाम के संगठन की स्थापना 1904 में की थी.

हालांकि, सावरकर की जीवनी में जो नए तथ्य जाड़े गए हैं, उनमें कहा गया है कि जेल के कष्टों से परेशान होकर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के पास चार बार दया याचिकाएं भेजी थीं. इसमें उन्होंने सरकार के कहे अनुसार काम करने और खुद को पुर्तगाल का बेटा बताया था.

ब्रिटिश सरकार ने याचिकाएं स्वीकार करते हुए सावरकर को 1921 में सेलुलर जेल से रिहा कर दिया था और रत्नागिरी की जेल में रखा था. यहां से छूटने के बाद सावरकर हिंदू महासभा के सदस्य बन गए और भारत को एक हिंदू राष्ट्र स्थापित करने की मुहिम चलाते रहे.

दूसरे विश्व युद्ध में सावरकर ने ब्रिटिश सरकार का सहयोग किया. वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का सावरकर ने विरोध किया था. महात्मा गांधी की हत्या के बाद उन पर गोडसे का सहयोग करने का आरोप लगाकर मुकदमा चला. हालांकि बाद में वे इससे बरी हो गए.

पूर्व शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है, ‘वीर सावरकर हिंदुत्व से जुड़े रहे हैं. कांग्रेस हमेशा हिंदुत्व से घृणा करती है इसलिए यह वीर सावरकर का कद छोटा करने की कोशिश है. क्रांतिकारियों को पाठ्यक्रम में इसलिए शामिल किया जाता है कि बच्चे उनसे प्रेरणा ले सके लेकिन तथ्यों को तोड़-मरोड़कर इस प्रकार उनका अपमान ठीक नहीं है.’

राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह दोतासरा का कहना है कि पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया था. उसी के प्रस्तावों के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार हुआ है. इसमें किसी प्रकार की कोई राजनीति नहीं की गई है. फिर भी अगर पाठ्यक्रम को लेकर कोई मामला सामने आएगा तो उस पर अमल किया जाएगा.