इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के प्रमुख समाचार.
अगरतला: त्रिपुरा के स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन को पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से बीते 31 मई को कैबिनेट से निकाल दिया गया. मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने अपने मंत्रिमंडल से स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन को बाहर का रास्ता दिखाया.
राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में बताया गया है, ‘सुदीप रॉय बर्मन को 31 मई को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. उनके द्वारा संभाले जाने वाले मंत्रालय को मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री जिष्णु देववर्मा को सौंप दिया गया है.’
मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पत्रकारों से कहा था कि राज्य में उन्हें कई षड्यंत्रों के बावजूद जीत मिली है. उन्होंने कहा था कि भाजपा के अंदर मौजूद शत्रुओं के षड्यंत्रों को विफल किया गया है.
देब ने कहा था, ‘हमारे अपने लोगों ने हमारे ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचा. उनका नाम लेने की जरूरत नहीं है. उनके नाम अपने आप सामने आ जाएंगे. पार्टी ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी.’
बर्मन पांच बार के विधायक हैं. वह विपक्ष के नेता और त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
उन्होंने 2016 में तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था और फिर 2017 में कांग्रेस के कुछ विधायकों के साथ भाजपा में आ गए थे.
भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने बताया कि पार्टी में मंत्रिमंडल में फेरबदल की मांग की जा रही थी.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सरकार के नए मंत्रिमंडल ने जब शपथ ग्रहण की थी तो तीन पद खाली थे. बर्मन के जाने से कैबिनेट में एक और पद खाली हो गया. ऐसा माना जाता है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाएगा और नेताओं के प्रदर्शन के आधार पर कुछ नए सदस्यों को शामिल किया जाएगा.’
मेघालय: शिलॉन्ग के पंजाबी लेन के निवासियों को अधिकारियों से मिला नोटिस
शिलॉन्ग: मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग स्थित पंजाबी लेन में अधिकारियों ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू किया है और वहां रहने वाले लोगों को नोटिस जारी कर उन्हें एक महीने के अंदर इलाके में अपने निवास स्थान की वैधता साबित करने का निर्देश दिया है.
शिलॉन्ग के पंजाबी लेन इलाके में काफी संख्या में पंजाब से आए उन लोगों के घर हैं, जिन्हें ब्रिटिश करीब 200 साल पहले सफाईकर्मी के तौर पर शिलॉन्ग लेकर आए थे.
मालूम हो कि पिछले साल मई महीने में सिख समुदाय के लोगों का एक ट्रांसपोर्ट सर्विस के कर्मचारियों से झगड़ा हो गया था. सोशल मीडिया पर ट्रांसपोर्ट सर्विस से जुड़े एक व्यक्ति की मौत होने की खबर फैलते ही सिखों व खासी समुदाय के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा था.
इस झड़प ने खासी और पंजाबी समुदाय के बीच पुराने तनाव को फिर से हरा कर दिया था. खासी समुदाय लंबे समय से मांग कर रहा है कि इलाके से अवैध प्रवासियों को हटाया जाए.
राज्य सरकार की उच्चस्तरीय समिति के निर्देश के बाद शिलॉन्ग नगर निगम बोर्ड (एसएमबी) अधिकारियों ने 31 मई को वहां के लोगों को नोटिस जारी किया.
ईस्ट खासी हिल्स जिला प्रशासन ने कहा कि पंजाबी लेन के लोगों को नोटिस जारी होने से पहले वहां सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू थी, क्योंकि इलाके में संकट की स्थिति पैदा होने की खुफिया सूचना मिली थी. अगले नोटिस तक वहां निषेधाज्ञा लागू रहेगी.
एसएमबी के अधिकारी ने बताया, ‘यहां रह रहे अधिकतर लोगों को नोटिस मिला है. अधिकारियों ने बंद पड़े घरों के दरवाजे पर भी नोटिस चिपकाए हैं.’
एसएमबी प्रमुख कार्यकारी अधिकारी एसबी सोहलिया ने कहा, ‘उन्हें आगे आने और तीन जून से लेकर तीन जुलाई के बीच एसएमबी कार्यालय आकर सूचना देने को कहा गया है.’
असम: राज्यसभा की दो सीटों के लिए भाजपा-अगप के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित
गुवाहाटी: असम में राज्यसभा की दो सीटों के लिए भाजपा और उसकी सहयोगी असम गण परिषद (अगप) के एक-एक उम्मीदवार को बीते 31 मई को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया.
तासा लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं और चाय बागान के मजदूरों के लिये काम करते रहे हैं. उन्होंने 2014 में जोरहाट सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें चुनाव में नहीं उतारा था.
असम की ये सीटें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के एक अन्य सदस्य एस. कुजूर का अगले महीने कार्यकाल समाप्त होने के बाद खाली होंगी.
निर्वाचन अधिकारी अमरेंद्र डेका ने नाम वापस लेने की अवधि समाप्त होने के बाद भाजपा के कामख्या प्रसाद तासा और अगप के वीरेंद्र प्रसाद बैश्य को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया.
सिंह और कुजूर का कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो रहा है.
सूत्रों के अनुसार, विपक्षी कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था, क्योंकि विधानसभा में उनके पास पर्याप्त संख्या नहीं है.
पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने 1991 से पांच बार उच्च सदन में असम का प्रतिनिधित्व किया. 1991 में ही सिंह को पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था.
वह 1998 से 2004 के बीच सदन में विपक्ष के नेता रहे और 2004 से 2014 तक दो बार सरकार का नेतृत्व किया. वह आखिरी बार 2013 में उच्च सदन के लिए चुने गए थे जब राज्य में तरुण गोगोई नीत कांग्रेस सरकार सत्ता में थी.
सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर यहां दिसपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं. उन्होंने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
मेघालय: जस्टिस एके मित्तल ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली
शिलॉन्ग: जस्टिस एके मित्तल ने 28 मई को मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली.
अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल तथागत राय ने राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में जस्टिस मित्तल को शिलॉन्ग स्थित राजभवन में पद की शपथ दिलाई.
जस्टिस मित्तल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जस्टिस थे और पदोन्नति से पहले वह इसी हाईकोर्ट में कार्यरत थे.
उन्होंने चीफ जस्टिस मोहम्मद याकूब मीर की जगह ली है.
मिज़ोरम: जेडपीएम ने कांग्रेस से नाता तोड़ा
आइजोल: जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने 30 मई को कहा कि उसने कांग्रेस से अपना गठबंधन तोड़ लिया है.
पार्टी ने मिज़ोरम की एकमात्र लोकसभा सीट और आइजोल पश्चिम-1 विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था.
जेपीएम अध्यक्ष लल्लियानसावता ने कहा कि कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठजोड़ मुद्दों पर आधारित था और इसका मकसद नागरिकता संशोधन विधेयक के प्रस्तावित कानून के खिलाफ राजग विरोधी एक गठबंधन बनाना था.
उन्होंने कहा कि हमारे साझा उम्मीदवार संसदीय चुनाव में नहीं जीत सके.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे उम्मीदवार की हार का मुख्य कारण यह था कि लोगों ने कांग्रेस को खारिज कर दिया.
मणिपुर: कांग्रेस के 12 विधायकों ने पीसीसी पद छोड़े, कहा-पार्टी छोड़ने की मंशा नहीं
इम्फाल: मणिपुर में कांग्रेस के 12 विधायकों ने पार्टी की प्रदेश इकाई के पदों से इस्तीफा दे दिया है जिससे उनके सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो जाने की अटकलें तेज हो गई हैं.
हालांकि उनमें से कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा कि उनकी मंशा किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की नहीं है.
इस पूर्वोत्तर राज्य की दोनों लोकसभा सीट हारने के बाद विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) से 29 मई को इस्तीफा दे दिया था.
आंतरिक मणिपुर सीट पर जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजकुमार रंजन सिंह को जीत मिली वहीं बाहरी मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के लोरहो एस. फोजे के हिस्से आई.
इन इस्तीफों के बाद अटकलें तेज हो गईं कि क्या कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं, लेकिन कुछ ने इसे यह कह कर खारिज किया कि उनका कदम जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए है.
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में राज्य में भाजपा गठबंधन की सरकार चला रही है.
कांग्रेस के इन 12 विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गैखनगम को अपना इस्तीफा सौंपा, जो कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के भी सदस्य हैं.
राज्य में 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के 29 विधायक थे, लेकिन उसके आठ विधायक पिछले साल भाजपा में शामिल हो गए थे जिससे 60 सदस्यीय सदन में भगवा पार्टी के विधायकों की संख्या 21 से बढ़कर 29 हो गई थी.
अरुणाचल प्रदेश: एनपीपी बाहर से भाजपा नीत राज्य सरकार को समर्थन देगी
ईटानगर: नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 29 मई को मुख्यमंत्री पेमा खांडू नीत अरुणाचल प्रदेश की नई भाजपा सरकार को बिना किसी शर्त के बाहर से समर्थन दिया.
एनपीपी विधायक दल के नेता मुचु मिठी ने शपथ लेने के बाद बताया कि मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा जो कि पार्टी के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने खांडू को लिखित में समर्थन देने की जानकारी दे दी है, क्योंकि पार्टी केंद्र में भी भाजपा नीत राजग का हिस्सा है.
खांडू ने हाल ही में 11 विधायकों के साथ अरुणाचल प्रदेश के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
मिठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री खांडू को जीत की बधाई देते हुए कहा कि एनपीपी और भाजपा वादों को हकीकत बनाने के लिए साथ काम करेगी.
एनपीपी को राज्य के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें मिली थी. 60 सीटों वाले विधानसभा चुनाव में 41 सीट भाजपा ने और सात सीट जनता दल (यू) ने जीती है.
मिज़ोरम: चार साल बाद फिर शराबबंदी लागू
आइजोल: मिज़ोरम में चार साल बाद फिर से शराबबंदी कानून लागू कर दी गई है. राज्य सरकार ने 28 मई को मद्य निषेध कानून को अधिसूचित किया.
राज्य विधानसभा ने इस साल 20 मार्च को मिज़ोरम मद्य निषेध विधेयक, 2019 पारित किया और राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी ने विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी.
आबकारी और नारकोटिक्स विभाग के आयुक्त एन. सैलो ने बताया कि राज्य के कानून एवं विधि विभाग ने अधिसूचना जारी की और राज्य सरकार के आधिकारिक गजट में इसे प्रकाशित किया.
राज्य में प्रभावशाली गिरजाघर और समुदाय आधारित संगठन सख्त शराबबंदी कानून का समर्थन कर रहे थे. मिज़ोरम में भारत की आजादी के बाद से ही लगभग पूरी तरह से शराबबंदी लागू थी.
सिक्किम: नवनिर्वाचित विधायक सोमवार को लेंगे शपथ
गंगटोक: सिक्किम की 10वीं विधानसभा के पहले सत्र का आगाज तीन जून को एक दिन के लिए होगा.
राजभवन से बीते 31 मई को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि इस सत्र के दौरान, विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष संजय लेपचा 32 सदस्यीय विधानसभा में 29 नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे.
मालूम हो कि पहली बार विधायक बने संगे लेपचा को बीते 28 मई को 10वीं सिक्किम विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष के तौर पर शपथ दिलाई गई. राज्यपाल गंगा प्रसाद ने राजधानी गंगटोक स्थित राजभवन में उन्हें शपथ दिलाई थी.
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग, डीटी लेपचा (दोनों एसडीएफ के) और कुंगा नीमा लेपचा (एसकेएम के) दो-दो सीटों से निर्वाचित हुए हैं.
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार तमांग उर्फ पीएस गोले विधानसभा के सदस्य नहीं हैं क्योंकि उन्होंने हाल में हुआ विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था.
उनकी पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) की चुनाव में जीत हुई है और उसे 17 सीटे मिली हैं. वहीं पवन कुमार चामलिंग नीत एसडीएफ को 15 सीटें मिली हैं और करीब 25 साल बाद वह सत्ता से बाहर हुए हैं.
मणिपुर: फ़र्ज़ी आधार कार्ड रखने के आरोप में नौ रोहिंग्या गिरफ़्तार
इम्फाल: मणिपुर के तेंग्नौपल जिले में भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित मोरेह शहर से नौ रोहिंग्याओं को फर्जी आधार कार्ड के साथ गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बीते एक जून को यह जानकारी दी.
पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रमजीत ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने फर्जी आधार कार्ड रखने के आरोप में 27 मई को तेंग्नौपल चौकी से दो महिलाओं समेत चार रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया.
एसपी ने बताया कि पुलिस ने 28 मई को मोरेह शहर में एक होटल से तीन महिलाओं समेत पांच अन्य रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया.
उन्होंने कहा कि जांच में खुलासा हुआ कि ताहिर अली एक रोहिंग्या है और उसने स्थानीय मणिपुरी महिला से विवाह किया तथा वह इन विदेशियों को अवैध तरीके से देश के अंदर लाने के प्रबंधों में शामिल था.
पुलिस ने कहा कि अली को शुक्रवार थौबल जिले से गिरफ्तार किया गया.
उन्होंने कहा कि ताहिर अली को छोड़कर ये सभी फर्जी आधार कार्ड लेकर राज्य की राजधानी से सीमाई शहर आए थे.
एसपी ने बताया कि गिरफ्तार रोहिंग्या न तो हिंदी और न ही अंग्रेजी बोलना जानते हैं, जिसके कारण उनसे बात करने में परेशानी आ रही है.
उन्होंने बताया कि वे भारत के अंदर कैसे घुसे और फर्जी आधार कार्ड उन्हें कैसे मिला, इस बारे में पता लगाया जा रहा है.
त्रिपुरा: बलात्कार के आरोपी आईपीएफटी विधायक की अग्रिम ज़मानत याचिका ख़ारिज की
अगरतला: त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने एक महिला से शादी नहीं कर उसे धोखा देने और उसका बलात्कार करने के मामले में आरोपी विधायक धनंजय त्रिपुरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है.
धनंजय त्रिपुरा में आईपीएफटी के विधायक हैं और यह पार्टी राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी है.
जस्टिस अरिंदम लोध ने शुक्रवार को आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं.
सरकारी अभियोजक बाबुल चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि विधायक फरार है.
हालांकि, विधायक ने दावा किया था कि उन्हें मामले में फंसाया गया है और विपक्षी दल उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.
महिला ने अपनी शिकायत में दावा किया कि रीमावैली विधानसभा से आईपीएफटी विधायक ने उनके साथ अंतरंग संबंध रखे, लेकिन बाद में शादी करने से इनकार कर दिया.
विधायक पर बलात्कार और महिला को धोखा देने का मामला दर्ज किया गया है.
असम: अतिसार नियंत्रण अभियान की शुरुआत
गुवाहाटी: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने असम में अतिसार नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ) अभियान शुरू किया है.
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, स्वास्थ्यकर्मी एवं अलग-अलग विभागों के लोगों को अतिसार के उपचार और रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी दी जाएगी. यह बच्चों की एक आम बीमारी है.
इस बीमारी को स्वच्छ पेयजल मुहैया करा, स्वच्छता अपनाकर, हाथ धोने तथा बच्चे को कम से कम छह महीने तक स्तनपान कराकर एवं उचित पोषण के जरिये रोका जा सकता है.
विज्ञप्ति में बताया गया है कि सही मात्रा में ओआरएस घोल और जिंक गोलियों के सेवन से तथा बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पोषण देकर अतिसार से होने वाली लगभग सभी मौतों को टाला जा सकता है.
त्रिपुरा: लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद हिंसा को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर
अगरतला: लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद त्रिपुरा में हुई हिंसा को लेकर बीते 28 मई को राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए.
कांग्रेस ने हिंसा के लिए जहां भाजपा को जिम्मेदार बताया, वहीं भगवा दल ने आरोप माकपा पर मढ़ा.
बीते 23 मई को आम चुनाव के परिणाम की घोषणा होने के बाद पश्चिमी त्रिपुरा और राज्य के अन्य हिस्सों में हुई झड़पों में दो लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए.
भाजपा ने दावा किया कि मरने वाले दो लोग उसके कार्यकर्ता थे, वहीं पुलिस ने कहा कि उसके पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि मरने वाले दो लोग किसी राजनीतिक दल से जुड़े थे.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उसके कार्यकर्ताओं पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने हमला किया और उन्हें डराया-धमकाया.
भाजपा ने त्रिपुरा की दोनों लोकसभा सीट अच्छे अंतर से जीती थीं.
कांग्रेस नेता सुबल भौमिक ने अगरतला में एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री बिप्लब देब के इस्तीफे की मांग की.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य के आठ जिलों में हिंसा की 100 से अधिक शिकायतें दर्ज हुई हैं.
भाजपा प्रवक्ता नबेन्दु भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस के आरोप निराधार हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे कार्यकर्ता हिंसा में शामिल नहीं हैं. माकपा कार्यकर्ताओं का एक समूह भाजपा कार्यकर्ताओं के भेष में राज्य में गड़बड़ी पैदा कर रहा है. इन लोगों ने सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में भी लोगों पर हमले किए हैं.’
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि पिछले पांच दिन में उनके दो पार्टी कार्यकर्ता मारे गए हैं और 25 से अधिक घायल हुए हैं.
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य बिजन धर ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद राज्य में 200 से अधिक हमले और आगजनी की 88 घटनाएं हुई हैं.
उन्होंने कहा कि वाम नेताओं और समर्थकों पर बार-बार हमले हो रहे हैं, लेकिन इन हमलों के सिलसिले में अब तक कोई गिरफ्तार नहीं हुआ है.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शांति की अपील की: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों से हिंसा रोकने की अपील करते हुए कहा कि उनकी सरकार अपराधियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेगी, चाहे उनकी राजनीतिक पहचान कुछ भी हो.
देब ने कहा कि लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने के बाद से राज्य में हिंसा के 186 मामले दर्ज किए गए हैं लेकिन राजनीतिक हत्या की कोई खबर नहीं मिली है.
देब ने बीते 28 मई की रात अगरतला स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से कहा, ‘राज्य में राजनीतिक हिंसा की पुरानी परंपरा रही है. हम चाहते हैं कि यह बंद हो. इन्हें रोकना अकेले प्रशासन के बस में नहीं है. अगर सभी पार्टियां आगे आती हैं, तो ही इस खतरे को रोका जा सकता है. मैं सभी राजनीतिक दलों से हिंसा को रोकने में सहयोग की अपील करता हूं.’
उन्होंने कहा कि भाजपा राजनीतिक बदले की भावना में यकीन नहीं रखती.
भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख बिप्लब ने कहा, ‘हमारी सरकार अपराधियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेगी, चाहे उनकी राजनीतिक पहचान कुछ भी हो और मैं यह भी देखना चाहूंगा कि भाजपा का कोई भी कार्यकर्ता राजनीतिक हिंसा में शामिल न हो.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)