मामला महाराष्ट्र के धुले ज़िले के साक्री तालुका स्थित धोंडगीपाड़ा गांव का है. परिवार का आराेप है कि पंचायत के एक सदस्य के रिश्तेदार ने उनकी बच्ची का बलात्कार किया है. पंचायत ने कार्रवाई करने के बजाय हमें गांव से निकाल दिया और 11 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
धुलेः महाराष्ट्र के धुले जिले में पंचायत ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता को गांव से निकाल दिया है. पंचायत चाहती थी कि पीड़िता को गोली खिलाकर गर्भ में ही बच्चे को खत्म कर दिया जाए, लेकिन पीड़िता और उसके परिवारवालों ने इस पर आपत्ति जताई थी.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित परिवार द्वारा केस दर्ज करवाने पर पंचायत ने परिवार पर 11,000 रुपये जुर्माना लगा दिया था.
यह मामला धुले जिले के साक्री तालुका स्थित धोंडगीपाड़ा गांव का है. पीड़िता के माता-पिता मजदूरी के लिए गुजरात गए थे. अप्रैल में लौटने पर पता चला कि उनकी बेटी आठ महीने की गर्भवती है.
परिवार का आराेप है कि पंचायत के एक सदस्य के रिश्तेदार बाला सहाने ने उनकी 15 साल की बच्ची का बलात्कार किया है. न्याय के लिए पहले परिवारवालों ने पंचायत से गुहार लगाई. तब पंचायत ने गोली देकर गर्भस्थ शिशु को खत्म करने का फ़रमान सुना दिया. परिवार नहीं माना तो पंचायत ने उन्हें गांव से निकाल दिया. इस पर परिवार ने पिंपलनेर पुलिस थाने में शिकायत की.
पीड़िता के पिता का आरोप है कि पहले पुलिस ने टालमटोल की. इंस्पेक्टर ने सलाह दी कि गांव का मामला है, वहीं निपटाओ. इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता नवल ठाकरे की दख़ल के बाद 19 मई को केस दर्ज हुआ, जिस पर पंचायत और भड़क गई और माता-पिता काे आदेश दिया कि केस वापस लो, वरना 11,000 रुपये का जुर्माना भरो.
नाबालिग इस समय धुले जिला अस्पताल में भर्ती है. उसने 30 मई को बच्ची को जन्म दिया है.
पीड़िता की मां का कहना है, ‘दो महीने से पंचायत के लोग बच्ची को गिराने का दबाव बना रहे थे. क्या कोई मां ऐसा कर सकती है?’
पीड़िता के पिता ने कहा, ‘गांव जाते हैं तो लोग गालियां देते हैं. पानी तक भरने नहीं देते. चक्की से आटा भी नहीं लेने देते. मोबाइल पर धमकियां दे रहे. हम डरे हुए हैं.’
पीड़ित परिवार ने पंचायत के पांच सदस्यों के ख़िलाफ़ एसपी से शिकायत की, जब उनसे इस मुद्दे पर बात की गई ताे उन्हाेंने कहा कि जांच जारी है. उनसे पूछा गया कि आरोपी 10 दिन बाद भी फरार क्यों है, तो उनका जवाब था, जांच अधिकारी जांच कर रहे हैं, उन्हें सूचना दे दी है. जब पीड़ित पक्ष धमकियों के बारे में शिकायत करेगा तो हम उन्हें सुरक्षा देंगे.
उधर, पीड़िता के वकील का आरोप है कि पीड़िता के बयान दर्ज कराने से लेकर बच्चे और मां के डीएनए जांच कराने तक में लापरवाही हुई है.