पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि सामान्य तौर पर मीडिया की भूमिका सरकार से सवाल पूछने की होती है. लेकिन यहां पर मीडिया ने केवल विपक्ष से सवाल पूछा. विपक्षी पार्टियों से सवाल पूछा गया कि उन्होंने 50 साल पहले कुछ क्यों नहीं किया? क्या मीडिया को यही करना होता है?
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव के दौरान मीडिया की भूमिका पर आलोचनात्मक रुख अपनाते हुए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने सोमवार को आरोप लगाया कि मीडिया ने सत्ताधारी नेताओं से कठिन सवाल पूछने के बजाय केवल विपक्षी पार्टियों से सवाल पूछे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक पैनल चर्चा के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही. वहां पर वे नई दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक द्वारा चुनावी खर्चे को लेकर जारी होने वाली रिपोर्ट के सिलसिले में मौजूद थे.
कुरैशी ने पूछा कि सामान्य तौर पर मीडिया की भूमिका सरकार से सवाल पूछने की होती है. वे सरकार से सवाल पूछती हैं कि वे क्या कर रहे हैं और क्या नहीं कर रहे हैं. लेकिन यहां पर मीडिया ने केवल विपक्ष से सवाल पूछा. विपक्ष पार्टियों से सवाल पूछा गया कि उन्होंने 50 साल पहले कुछ क्यों नहीं किया? क्या मीडिया को यही करना होता है?
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा, ‘लेकिन यहां पर सत्ताधारी नेताओं के बारे में मीठी-मीठी बातें की जाती रहीं. कठिन सवाल पूछने की बजाय उन्होंने नेताओं को उन्हें समय देने के लिए धन्यवाद दिया.’
बता दें कि लोकसभा चुनाव सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक हुआ. इसके नतीजे 23 मई को घोषित किए गए.
कुरैशी ने आरोप लगाया, ‘2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान मीडिया की भूमिका संदेहास्पद रही और कुछ हद तक सवालों के घेरे में भी रही. इसके साथ ही चुनाव आचार संहिता लागू के दौरानसोशल मीडिया पर भी जो कुछ भी हुआ उसने 48 घंटे चुनाव प्रचार पर पाबंदी रहने के नियमों का पूरी आजादी से उल्लंघन किया.’
उन्होंने कहा, ‘कई चरणों में चुनाव होने के कारण जहां एक चरण के लिए चुनाव प्रचार पर पाबंदी रही तो दूसरा चुनाव प्रचार जारी रहता था. इस दौरान दोनों चीजों को अलग-अलग करना नामुमकिन था और लोग प्रचार के लिए आजाद थे. मीडिया इन बातों की पूरी जानकारी थी लेकिन फिर भी उसने कई नेताओं को भाषणों को लगातार पूरे दिन टेलीकास्ट किया.’
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मीडिया को चुनाव आयोग की आंख और कान समझा जाता है.
अपने कार्यकाल के बारे में बात करते हुए कुरैशी ने कहा, ‘हम अपनी पूरी मशीनरी को दिशानिर्देश जारी करते हैं कि अगर वे मीडिया में कुछ भी देखते हैं तो उसे एक शिकायत की तरह मानें और उन पर कार्रवाई करें.’