मध्य प्रदेशः दलित किसान की हत्या के मामले में 13 को उम्रक़ैद

किसान पर सितंबर 2017 में उनकी हत्या के पहले आरोपियों द्वारा दो बार हमला किया गया था, जिसको लेकर वे एससी/एसटी अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाने की कोशिश कर रहे थे.

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(फोटोः पीटीआई)

किसान पर सितंबर 2017 में उनकी हत्या के पहले आरोपियों द्वारा दो बार हमला किया गया था, जिसको लेकर वे एससी/एसटी अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाने की कोशिश कर रहे थे.

Court Hammer (2)

भोपालः मध्य प्रदेश के गुना की विशेष अदालत ने दलित व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या के मामले में 13 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इन 13 लोगों में से 12 सवर्ण जाति के लोग हैं.

यह दलित किसान सितंबर 2017 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारक) अधिनियम के तहत केस दर्ज करवाने की कोशिश कर रहा था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरपंच प्रवीन उर्फ पप्पू शर्मा के नेतृत्व में सवर्ण जाति के कुछ लोगों ने नीलम अहिरवार (45) के ख़िलाफ़ दो शिकायत दर्ज कराई थी.

पहली शिकायत में कहा गया था कि अहिरवार ने गुना से लगभग 20 किलोमीटर दूर एक गांव से ट्रैक्टर की चोरी की और दूसरा आरोप था कि नीलम अहिरवार ने महुखान ग्राम पंचायत भवन से 15 किलो उड़द की दाल चोरी की.

हालांकि सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट ने इन दोनों आरोपों को झूठा करार दिया. अहिरवार के परिवार ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि अहिरवार और उसके भाई दोनों के पास 25 बीघा जमीन है और पर्याप्त अनाज और दाल हैं.

30 सितंबर 2017 को हुए जानलेवा हमले से पहले भी अहिरवार पर 16 सितंबर और 25 सितंबर को दो हमले हुए थे. दूसरे हमले के बाद वह पुलिस के पास जाकर केस दर्ज करवाना चाहते थे.

इस बीच सरपंच ने 15 सितंबर को अहिरवार को महुखान आने के लिए कहा, उससे कहा गया कि ट्रैक्टर मिल गया है. इसके बाद उसे ग्राम पंचायत भवन ले जाया गया, जहां उस पर दाल चोरी का आरोप लगाया गया.

सवर्ण जाति के गांव वालों ने अहिरवार और सोनू (अन्य शख्स जिस पर दाल चोरी का आरोप लगाया गया) को पुलिस को सौंप दिया. अहिरवार को 25 सितंबर को जमानत मिली और इसी दिन उस पर दोबारा हमला हुआ.

अभियोजन के मुताबिक, कुछ आरोपी अहिरवार के घर में घुसे, उसे घसीटकर बाहर निकाला और लाठी-डंडों से उसकी पिटाई की. अहिरवार की पत्नी ने इसे रोकने की कोशिश की तो उस पर भी हमला किया गया. कुछ घंटों बाद ही जिला अस्पताल में कुछ घंटों बाद ही अहिरवार की मौत हो गई.

इस मामले में एक जून को विशेष जज (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम) प्रदीप मित्तल ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 459 (घर में घुसकर तोड़-फोड़ करने) की धाराओं में 13 आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई.

जज ने इन 13 में से छह आरोपियों की उम्र 25 साल से कम होने के आधार पर नरमी बरतने की याचिका ख़ारिज कर दी.