योगी के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक पोस्ट: पत्रकारों की गिरफ़्तारी की पत्रकार संगठनों ने की निंदा

उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को तीन पत्रकारों प्रशांत कनौजिया, इशिका सिंह और अनुज शुक्ला को गिरफ़्तार किया है.

New Delhi: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath addresses on the second day of the two-day BJP National Convention, at Ramlila Ground in New Delhi, Saturday, Jan 12, 2019. (PTI Photo/Kamal Kishore)(PTI1_12_2019_000148B)
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को तीन पत्रकारों प्रशांत कनौजिया, इशिका सिंह और अनुज शुक्ला को गिरफ़्तार किया है.

New Delhi: Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath addresses on the second day of the two-day BJP National Convention, at Ramlila Ground in New Delhi, Saturday, Jan 12, 2019. (PTI Photo/Kamal Kishore)(PTI1_12_2019_000148B)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड समेत कई पत्रकार संगठनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संबंधित कथित आपत्तिजनक वीडियो के मामले में पत्रकार प्रशांत कनौजिया, इशिका सिंह और अनुज शुक्ला की गिरफ्तारी की निंदा की है.

जहां स्वतंत्र पत्रकार कनौजिया को उनके ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया जबकि सिंह और शुक्ला को उनके चैनल नेशन लाइव पर एक कार्यक्रम के लिए गिरफ्तार किया गया. उन तीनों को कथित तौर पर उनके द्वारा साझा किए गए और प्रसारित वीडियो के संबंध में गिरफ्तार किया गया है. उस वीडियो में एक महिला ने आदित्यनाथ की प्रेमिका होने का दावा करते हुए कहा कि वह उसके साथ अपना जीवन बिताना चाहती है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संबंधित कथित आपत्तिजनक वीडियो के मामले में पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को एडिटर्स गिल्ड ने ‘कानून का दुरुपयोग’ और प्रेस को डराने का प्रयास बताया है.

गिल्ड ने एक बयान में कहा, ‘पुलिस की कार्रवाई कठोरतापूर्ण, मनमानी और कानूनों के अधिकारवादी दुरुपयोग के समान है.’  बयान में कहा गया कि गिल्ड इसे प्रेस को डराने-धमकाने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने के प्रयास के तौर पर देखती है.

इसमें कहा गया है कि प्राथमिकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ ‘प्रेम संबंध’ होने का दावा करने वाली महिला के वीडियो को ट्विटर पर साझा करने पर आधारित है. गिल्ड ने कहा कि टीवी चैनल ने इस विषय पर वीडियो प्रसारित किया था.

उसने कहा, ‘महिला के दावे में जो भी सच्चाई हो, इसे सोशल मीडिया पर डालने और एक टीवी चैनल पर प्रसारित करने के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करना कानून का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग है.’

गिल्ड ने कहा, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया अपनी मांग को दोहराता है कि मानहानि कानून को खत्म किया जाना चाहिए. इस विशिष्ट मामले में कानून का दुरुपयोग, जैसा कि पहले कर्नाटक में हुआ था, आपराधिक मानहानि से परे चला गया था क्योंकि कई आईटी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों को एक प्रेरित और प्रतिशोधी कार्रवाई की तरह देखा गया है.’

वहीं, नेटवर्क ऑफ वूमेन इन मीडिया ने भी गिरफ्तारी का विरोध किया है और मांग की है कि तीनों पत्रकारों को तत्काल रिहा किया जाए.

नेटवर्क ऑफ वूमेन इन मीडिया ने कहा, ‘सच्चाई यह है कि तीनों को सप्ताह के अंत में गिरफ्तार किया गया जबकि अदालतें बंद रहती हैं और जमानत मिलने की प्रक्रिया कठिन हो जाती है. यह साफ संकेत है कि पुलिस की मंशा उन्हें प्रताड़ित करने और न्याय की पहुंच से दूर करने की है.’

उनकी गिरफ्तारियां न केवल उनके मौलिक अधिकारों, बल्कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार पर एक गंभीर पर हमला हैं. इसका यह भी एक संकेत है कि यूपी सरकार अपराधों को लेकर भेदभाव कर रही है और विरोध को दबाने का प्रयास कर रही है.

इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, साउथ एशियन वूमेन इन दि मीडिया एंड प्रेस एसोसिएशन ने भी एक संयुक्त बयान जारी करके तीनों पत्रकारों की गिरफ्तारी की निंदा की है.

बयान में कहा गया, ‘इन तीन पत्रकारों के खिलाफ यूपी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई साफ तौर प्रशासनिक अधिकारों के बाहर जाकर की गई है और कानून के अनुसार नहीं है. मीडिया से जुड़े होने के कारण हमारा मानना है कि पत्रकारों को अपना काम जिम्मेदारीपूर्वक करना चाहिए लेकिन हमारा यह भी मानना है कि पत्रकारों और अन्य के खिलाफ लगातार इस्तेमाल किए जा रहे मानहानि के कानून को भी खत्म किया जाना चाहिए.

हम उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध और मांग करते हैं कि वह दोबारा विचार करे और सभी तीनों पत्रकारों के खिलाफ दायर मानहानि के आरोपों को वापस ले ले.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)