कठुआ गैंगरेप मामला: पठानकोट कोर्ट ने छह आरोपियों को दोषी ठहराया, एक बरी

पिछले साल जनवरी में जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले के रसाना गांव में आठ साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी.

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Ahmedabad: School and Madarsa students display placards as they protest over government's alleged 'inaction' in Kathua and Unnao rape cases, in Ahmedabad on Sunday. PTI Photo by Santosh Hirlekar (PTI4_15_2018_000053B)
(फोटो: पीटीआई)

पिछले साल जनवरी में जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले के रसाना गांव में आठ साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी.

Ahmedabad: School and Madarsa students display placards as they protest over government's alleged 'inaction' in Kathua and Unnao rape cases, in Ahmedabad on Sunday. PTI Photo by Santosh Hirlekar (PTI4_15_2018_000053B)
(फोटो: पीटीआई)

पठानकोट: कठुआ सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में पठानकोट कोर्ट ने सात आरोपियों में से छह को दोषी ठहराया और विशाल नाम के एक आरोपी को बरी कर दिया है. जिला एवं सत्र न्यायालय जज तेजविंदर सिंह ने ये फैसला दिया है.

मालूम हो कि मामले की जांच कर रही राज्य पुलिस की अपराध शाखा ने सात लोगों के खिलाफ मुख्य आरोपपत्र दायर किया था. एक किशोर आरोपी के खिलाफ अलग से आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें बताया गया था कि किस तरह नाबालिग लड़की को कथित तौर पर अगवा किया गया, नशे की दवा दी गई और एक पूजा स्थल के भीतर उससे बलात्कार किया गया. जिसके बाद लड़की की हत्या कर दी गई थी.

सामूहिक बलात्कार और हत्या के इस जघन्य मामले के घटनाक्रम की शुरुआत 10 जनवरी को होती है. इस दिन कठुआ ज़िले की हीरानगर तहसील के रसाना गांव की लड़की गायब हो जाती है. वह बकरवाल समुदाय की थी जो एक ख़ानाबदोश समुदाय है. इसका ताल्लुक मुस्लिम धर्म से है.

परिवार के मुताबिक, यह बच्ची 10 जनवरी को दोपहर क़रीब 12:30 बजे घर से घोड़ों को चराने के लिए निकली थी और उसके बाद वो घर वापस नहीं लौट पाई.

फिर क़रीब एक सप्ताह बाद 17 जनवरी को जंगल में उस मासूम की लाश मिलती है. मेडिकल रिपोर्ट में पता चला कि लड़की के साथ कई बार कई दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म हुआ है और पत्थर से कूचकर उसकी हत्या की गई थी. उसे भारी मात्रा में नींद की गोलियां दी गई थीं. जिस वजह से वह कोमा में चली गई थी.

अपराध शाखा द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, बच्ची का अपहरण, बलात्कार और हत्या अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए रची गई एक सोची-समझी साज़िश थी. नाबालिग के लिए एक अलग आरोप पत्र दायर किया गया है.

कठुआ में एक गांव के ‘देवीस्थान’ की देखरेख करने वाले सांजी राम को इस अपराध के पीछे का मुख्य साज़िशकर्ता बताया गया.

इस अपराध में विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, दोस्त प्रवेश कुमार उर्फ मन्नू, सांजी राम का भतीजा, बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ ‘शम्मा’ और एक नाबालिग शामिल थे.

आरोप पत्र में जांच अधिकारी हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्ता का भी नाम है जिन्होंने कथित तौर पर राम से चार लाख रुपये लिये और अहम साक्ष्य नष्ट किए.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, गैंगरेप और हत्या के आरोप में रणबीर दंड संहिता की धारा 120 बी, 328, 363, 343, 376डी, 302, 328 और 201 के तहत आरोप तय किए गए थे.

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद इस मामले में हर दिन कैमरे की निगरानी में ट्रायल किया गया और तीन जून को अभियोजन एवं बचाव पक्ष के 114 गवाहों की गवाही पूरी हुई थी.

पीड़िता के पिता द्वारा जम्मू में खुद के, अपने परिवार और वकील की जान को खतरा बताते पर सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को कठुआ से पठानकोट स्थानांतरित कर दिया था.

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