झारखंडः भीमा-कोरेगांव हिंसा के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के घर पर छापा

महाराष्ट्र के पुणे में एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी के रांची स्थित घर पर छापा मारकर कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और इंटरनेट मॉडेम जब्त कर लिया.

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फादर स्टेन स्वामी. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के पुणे में एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी के रांची स्थित घर पर छापा मारकर कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और इंटरनेट मॉडेम जब्त कर लिया.

Stan Swamy PTI
सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी (फोटोः पीटीआई)

रांचीः महाराष्ट्र पुलिस ने एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बुधवार सुबह सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के घर पर छापा मारा.

बुधवार सुबह करीब 7:15 बजे महाराष्ट्र पुलिस की आठ सदस्यीय टीम ने झारखंड के रांची में स्टेन स्वामी (83) के घर पर छापा मारा. पुलिस ने साढ़े तीन घंटों तक उनके कमरे की छानबीन की. आरोप है कि पुलिस ने उनके कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और इंटरनेट मॉडेम जब्त कर लिया और जबरन उनसे उनके ईमेल व फेसबुक के पासवर्ड मांगे.

आरोप है कि पुलिस ने उनके ईमेल और फेसबुक के पासवर्ड बदल दिए और दोनों अकाउंट ज़ब्त कर लिए.

पिछले साल 28 अगस्त 2018 को भी महाराष्ट्र पुलिस ने स्टेन स्वामी के कमरे की तलाशी ली थी.

स्टेन झारखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वे कई वर्षों से राज्य के आदिवासी व अन्य वंचित समूहों के लिए काम रहे हैं. उन्होंने विशेष रूप से विस्थापन, संसाधनों की कंपनियों द्वारा लूट, विचाराधीन कैदियों व पेसा कानून पर काम किया है.

स्टेन ने समय-समय पर सरकार की भूमि अधिग्रहण कानूनों में संशोधन करने के प्रयासों की आलोचना की है. इसके साथ ही वे वन अधिकार अधिनियम, पेसा व संबंधित कानूनों के समर्थक हैं.

इससे पहले पिछले साल जुलाई में झारखंड की खूंटी पुलिस ने पत्थलगड़ी आंदोलन मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी, कांग्रेस के पूर्व विधायक थियोडोर किड़ो समेत 20 अन्य लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया है.

गैर सरकारी संगठन झारखंड जनाधिकार महासभा ने स्टेन स्वामी के घर पर छापेमारी की निंदा करने के साथ ही पिछले कुछ समय में विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस की कार्रवाई की भी आलोचना की है.

मालूम हो कि पिछले वर्ष 6 जून को सुरेंद्र गाडलिंग, सुधीर धावले, महेश राउत, शोमा सेन और रोना विलसन को गिरफ़्तार किया गया था. वे अभी तक महाराष्ट्र की यरवदा केंद्रीय जेल में कैद हैं. इसी तरह 28 अगस्त 2018 को पुलिस ने पांच अन्य कार्यकर्ताओं– सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, वरवरा राव और गौतम नवलखा को गिरफ़्तार किया था. ये लोग भी अभी तक रिहा नहीं हुए हैं.

महाराष्ट्र पुलिस ने इन सामाजिक कार्यकर्ताओं पर पिछले साल एक जनवरी को महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगाया है.

महासभा की ओर से कहा गया है कि ये छापेमारियां व गिरफ्तारियां वंचित समूहों के अधिकारों के लिए कार्यरत लोगों में भय पैदा करने के लिए सरकार द्वारा प्रयास हैं. महासभा की ओर से मांग की गई है कि इस तरह की छापेमारी तुरंत बंद हों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मुक़दमे वापस लिए जाए और जो जेल में कैद हैं, उनकी तुरंत रिहाई हो.