महाराष्ट्रः मंदिर से चोरी के शक़ में आठ साल के दलित बच्चे को बेरहमी से पीटा, आरोपी गिरफ़्तार

यह घटना वर्धा में हुई, जहां अर्वी के जगोना माता मंदिर परिसर में खेल रहे बच्चे को दानपेटी से सिक्के चुराने के आरोप में हाथ-पैर बांधकर पीटा गया और गर्म फ़र्श पर बैठने को मजबूर किया गया.

/

यह घटना वर्धा में हुई, जहां अर्वी के जगोना माता मंदिर परिसर में खेल रहे बच्चे को दानपेटी से सिक्के चुराने के आरोप में हाथ-पैर बांधकर पीटा गया और गर्म फ़र्श पर बैठने को मजबूर किया गया.

Screenshot (10)

वर्धाः महाराष्ट्र के विदर्भ के वर्धा में चोरी के शक में आठ साल के बच्चे की पिटाई की गई और उसे घंटों गर्म फर्श पर बैठाया गया. बच्चा झुलस गया है और उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चा दलित समुदाय से आता है और आरोपी के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया है.

आरोपी की पहचान अमोल ढोरे (32) के रूप में की गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चा वर्धा के अर्वी में जगोना माता मंदिर के परिसर में खेल रहा था जब अमोल ने उस पर दानपेटी से सिक्के चुराने का आरोप लगाया. अमोल ने बच्चे के हाथ और पैर बांध दिए और उसे चिलचिलाती धूप में गर्म फर्श पर बैठने को मजबूर किया गया.

जैसे ही बच्चे के पिता को इस घटना के बारे में पता चला, उन्होंने अर्वी पुलिस  थाने में शिकायत दर्ज कराई.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे ने अपने साथ हुई ज्यादती के बारे में बताते हुए कहा, ‘मैं पानी पीने गया था. वे पानी पी रहे थे. उन्होंने मेरे पैर और हाथ बांध दिए और मेरी पिटाई की और मुझे गर्म फर्श पर बैठा दिया, मैं किसी तरह वहां से बचकर भागा.’

इस घटना की सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं ने भी निंदा की है. विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने विधान भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘यह बहुत ही गंभीर अपराध है. एक बच्चे के साथ सिर्फ इस वजह से इतना बुरा बर्ताव किया गया क्योंकि वह किसी विशेष जाति में पैदा हुआ. हम इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे.’

महिला एवं बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि राज्य सरकार ने इस घटना पर संज्ञान लिया है और अधिकारियों से जल्द से जल्द सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

मुंडे ने कहा, ‘इस तरह की घटनाएं समाज की वास्तविकता सामने लाती हैं. हमने सरकार के रूप में एक्शन लिया है लेकिन साथ में यह समाज की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह खुद के झांके.’