पद्मश्री पाने के बाद नहीं मिल रहा काम, लौटाना चाहता हूं सम्मान: दैतारी नायक

दैतारी नायक का कहना है कि जब से उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला है, लोग उनकी प्रतिष्ठा का हवाला देकर उनसे कोई काम कराने को तैयार नहीं हैं. वह चींटियों के अंडे खाने को मजबूर हैं. ओडिशा के तालबैतरणी गांव के रहने वाले नायक को पहाड़ खोदकर नहर बनाने के लिए पद्मश्री सम्मान से इसी साल नवाज़ा गया था.

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The President, Shri Ram Nath Kovind presenting the Padma Shri Award to Shri Daitari Naik, at the Civil Investiture Ceremony-II, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on March 16, 2019.

दैतारी नायक का कहना है कि जब से उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला है, लोग उनकी प्रतिष्ठा का हवाला देकर उनसे कोई काम कराने को तैयार नहीं हैं. वह चींटियों के अंडे खाने को मजबूर हैं. ओडिशा के तालबैतरणी गांव के रहने वाले नायक को पहाड़ खोदकर नहर बनाने के लिए पद्मश्री सम्मान से इसी साल नवाज़ा गया था.

The President, Shri Ram Nath Kovind presenting the Padma Shri Award to Shri Daitari Naik, at the Civil Investiture Ceremony-II, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on March 16, 2019.
इस साल मार्च में राष्ट्रपति भवन में दैतारी नायक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान दिया था. (फोटो साभार: पीआईबी)

भुवनेश्वर: ओडिशा के आदिवासी किसान और पद्मश्री से सम्मानित दैतारी नायक को यह सम्मान पाने के बाद दो जून की रोटी जुटाने के लिए भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हाल ये है कि जिंदा रहने के लिए वह चींटियों के अंडे खाने को मजबूर हैं. यह सम्मान मिलने के बाद उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा है.

हालात इतने बुरे हैं कि अब वह अपना पद्मश्री सम्मान भी सरकार को लौटाने का मन बना रहे हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दैतारी को इसी साल ओडिशा में तीन किलोमीटर नहर बनाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. उनका कहना है कि यह सम्मान उनके जीवनयापन में मुश्किलें पैदा कर रहा है.

ओडिशा के क्योंझर जिले के खनिज संपन्न तालबैतरणी गांव के रहने वाले दैतारी (75) ने सिंचाई के लिए 2010 से 2013 के बीच अकेले ही गोनासिका का पहाड़ खोदकर तीन किलोमीटर लंबी नहर बना दी थी. इस नहर से अब 100 एकड़ जमीन की सिंचाई होती है.

दैतारी का कहना है कि इस सम्मान ने उन्हें गरीबी की ओर धकेल दिया है. वह कहते हैं, ‘पद्मश्री ने किसी भी तरह से मेरी मदद नहीं की. पहले मैं दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करता था. लोग मुझे काम ही नहीं दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह मेरी प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है. अब हम चींटी के अंडे खाकर गुजर-बसर कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अब मैं अपने परिवार को चलाने के लिए तेंदू के पत्ते और आम पापड़ बेचता हूं. सम्मान ने मेरा सब कुछ ले लिया है. मैं इसे वापस लौटाना चाहता हूं ताकि मुझे फिर से काम मिल सके.’

उन्होंने कहा कि हर महीने 700 रुपये की वृद्धावस्था पेंशन से उनके पूरे परिवार का जीवनयापन करना मुश्किल है. उन्हें कुछ दिन पहले इंदिरा आवास योजना के तहत एक घर आवंटित हुआ था, जो अधूरा है, जिस वजह से उन्हें अपने पुराने फूस के घर में ही रहना पड़ रहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस स्थिति से दुखी दैतारी ने अपना पद्मश्री सम्मान का मेडल बकरी के बाड़े में लटका दिया है.

नायक के बेटे आलेख भी एक मजदूर हैं. उनका कहना है कि उनके पिता से सड़क निर्माण और नहर को खराब होने से बचाने के वादे पूरे नहीं किए गए. उनसे कहा गया था कि पथरीली नहर को कंक्रीट का बना दिया जाएगा, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ.

आलेख ने कहा, ‘मेरे पिता इस वजह से भी निराश हैं कि वह लोगों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे, जैसे कि पीने का साफ पानी उन्हें मुहैया कराना.’

कांग्रेस प्रवक्ता सत्य प्रकाश नायक ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा कि आदिवासी किसानों की दशा से पता चलता है कि ओडिशा सरकार द्वारा किसानों को किए गए वादे कितने खोखले थे.

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किसानों के लिए कलिया योजना शुरू की थी, लेकिन उनका प्रशासन सिंचाई के लिए नहर खोदने वाले किसान के लिए कुछ नहीं कर सका. यह शर्मनाक है.’

क्योंझर जिले के कलेक्टर आशीष ठाकरे ने कहा कि हम इस बारे में पूछताछ करेंगे कि नायक पद्मश्री क्यों लौटाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम उनकी समस्या सुनेंगे और उनसे पुरस्कार नहीं लौटाने के लिए समझाने की गुजारिश करेंगे.’