जम्मू कश्मीर पुलिस ने उर्दू दैनिक आफ़ाक़ के संपादक ग़ुलाम जिलानी क़ादरी को सोमवार देर रात गिरफ़्तार किया था. मंगलवार को उन्हें ज़मानत देते हुए स्थानीय अदालत ने पुलिस को फटकारते हुए कहा कि अगर क़ादरी ‘घोषित अपराधी’ थे तो दो बार उनका पासपोर्ट वेरीफिकेशन कैसे हुआ.
श्रीनगरः जम्मू कश्मीर की एक स्थानीय अदालत ने उर्दू के एक दैनिक समाचार पत्र आफ़ाक़ के मालिक और संपादक को गिरफ्तार किए जाने के मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस को फटकार लगाई है.
उर्दू समाचार पत्र के संपादक ग़ुलाम जिलानी क़ादरी (62) को सोमवार रात उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया था. श्रीनगर अदालत ने 26 साल पुराने एक मामले में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
क़ादरी उन आठ पत्रकारों में से एक थे, जिन पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन का बयान प्रकाशित करने के लिए 1990 में मामला दर्ज किया था.
श्रीनगर के तत्कालीन सीजेएम ने आरोपियों के फरार होने की सूचना मिलने पर 22 जून 1993 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. पुलिस द्वारा 26 सालों तक इस गिरफ्तारी वारंट पर कोई कदम नही उठाने की वजह से पुलिस अचानक ही सोमवार देर रात को कादरी के घर पहुंची.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, क़ादरी को मंगलवार दोपहर को जमानत देते हुए श्रीनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जम्मू कश्मीर पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि आप 26 सालों से क्या कर रहे थे और अगर आरोपी घोषित अपराधी था तो उसका दो बार पासपोर्ट वेरिफिकेशन कैसे हुआ.
अदालत ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट 31 जुलाई तक जमा कराने को कहा है. इस मामले में आठ आरोपियों में से तीन की मौत हो गई है.
कश्मीर में पत्रकार संस्थाओं ने इस गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे घाटी में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है.
गौरतलब है कि इससे पहले इस मामले में कादरी को टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज (टाडा) कोर्ट के समन पर गिरफ्तार किया गया था.
क़ादरी सोमवार रात करीब 11:30 बजे अपने काम से घर लौटे थे, जब पुलिस उनके घर पहुंची और उन्हें नजदीकी थाने ले गई.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें 1992 में हुए एक मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया है. यह पूछे जाने पर कि गिरफ़्तारी आधी रात को क्यों हुई, उन्होंने कहा, ‘दिन में पुलिस व्यस्त थी.’